
Kailashs skills sing songs with trees
राष्ट्रमत न्यूज,कटनी (ब्यूरो)। कटनी जिले के बरही थाना के तहत सरई गांव के रहने वाले कैलाश विश्वकर्मा पेड़ की जड़ों में अपनी लाजवाब कलाकारी दिखाने के लिए जाने जाते हैं। उनके हूनर से पेड़ की जड़े गीत गाने लगते हैं। ईश्वर की प्रतिमाएं मन में श्रद्धा के भाव जगा देती हैं। कैलाश असाधारण प्रतिभा के धनी है।वो लकड़ी में जान फूक देते हैं। उनकी लकड़ी की कलाकृति के दीवाने दूसरे राज्य के लोग हैं।पिछले नौ साल से वो झारखंड ओड़िशा और मध्यप्रदेश में लकड़ियों में उकेरी गयी अपनी कलाकारी को बेच रहे हैं।राम की उनकी एक मूर्ति 46 हजार रुपए में बिकी।
वे बताते हैं कि वे आमतौर पर पेड़ कटने के बाद निकलने वाली जड़ों को मूर्तियों के रूप में आकार देते है। यह हूनर उन्होंने अपने पिता श्याम लाल विश्वकर्मा से सीखा।
लकड़ी की जड़ में होती मूर्ती
कैलाश कहते हैं कि वे आमतौर पर लकड़ी की जड़ से मूर्तियां तैयार करते हैं। क्योंकि इसको आकार दिया जाए तो यह नेचुरल दिखाई देती हैं। लेकिन इस पर काम करना ज्यादा कठिन होता है। इसके लिए पेड़ की जड़ को गड्ढा खोदकर इस तरह से निकाला जाता है, ताकि उसके आकार को नुकसान न पहुंचे।
बड़े शहरों में नहीं बेची
कैलाश विश्वकर्ता बताते हैं कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के दौरान उन्होंने भगवान राम को धनुष दिए कई मूर्तियां बनाई। जो सभी बिक गई। इसमें एक मूर्ति साढ़े तीन फीट की बनाई थी, जो 46 हजार रुपए में विक्रय हुई।भगवान राम के अलावा राधा.कृष्ण की भी मैंने कई मूर्तियां बनाई। कैलाश बताते हैं कि उन्होंने बड़े शहरों में जाकर मूर्तियां नहीं बेची।
सभी मूर्तियां कटनी से ही बिकती रही हैं। यहां इंडस्ट्री से जुडे अधिकारी यहां से मूर्तियां खरीदकर ले जाते हैं। अब कई लोग डिमांड करके मूर्तियां बनवाते हैं। कई मूर्तियां तो झारखंड और ओडिशा तक भी गई हैं।
दस दिन लगते हैं मूर्ति बनाने में
कैलाश बताते हैं कि मूर्ति की कीमत उसकी साइज और लकड़ी पर निर्भर करती है। यदि मूर्ति सागौन की लकड़ी पर बनाई जाए तो यह ज्यादा महंगी पड़ती है।एक मूर्ति बनाने में करीबन 10 दिन का समय लगता है। वे टेबल पर रखने वाले एनीमल, फ्लावर पाट्स भगवान की मूर्तियां बनाते हैं। यदि भगवान की मूर्ति है। तो सबसे ज्यादा ध्यान उनका चेहरा बनाने में रखना होता है। हाल ही में वे अपनी मूर्तियां लेकर एक कार्यक्रम में भोपाल भी पहुंचे थेए मूर्तियां देख सीएम डाॅ मोहन यादव ने भी मेरी खूब तारीफ की थी।