
If congress does not need me, then tell me i have an option
नई दिल्ली (ब्यूरो)। तिरूअनंतपुरम से कांग्रेस सांसद शशि थरूर के रूख ने इन दिनों कांग्रेस की चिंता बढ़ा दिये हैं।पिछले दिनों उन्होंने खुद के पास कोई काम न होने की शिकायत की थी। उनका यहां तक कहना था कि यदि मेरी जरूरत नहीं है तो पार्टी बता दे। मेरे पास विकल्प खुले हैं। उनके इस बयान से यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि वो पार्टी बदल सकते है। बीजेपी में जा सकते है। इसलिए कि उन्होंने मोदी की भी तारीफ की है। इसके अलावा केरल में एलडीएफ सरकार की उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए प्रशंसा उन्होंने अपने लेख मे किया। इससे विवाद छिड़ गया है। केरल कांग्रेस के तमाम नेताओं की इससे भृकुटियां तन गईं।
लेफ्ट सरकार की तारीफ
कांग्रेस के लोकसभा सांसद शशि थरूर पार्टी के भीतर खुद को अलग-थलग महसूस कर रहे हैं। जबसे उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केरल में पिनराई विजयन की अगुआई वाली लेफ्ट सरकार की तारीफ की है, तब से पार्टी में वह एक तरह से हाशिए पर चले गए हैं। ऐसी अटकलें भी लग रही हैं कि वह बीजेपी या सीपीएम में शामिल हो सकते हैं लेकिन उन्होंने इन अटकलों को खारिज किया है।
विवाद के कारण
केरल में एलडीएफ सरकार की उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए प्रशंसा करने वाले उनके लेख पर विवाद छिड़ गया था। केरल कांग्रेस के तमाम नेताओं की इससे भृकुटियां तन गईं। कांग्रेस नेताओं द्वारा उनके लेख के बारे में लगातार आलोचना के बारे में पूछे जाने पर थरूर ने कहा कि उन्हें विवाद के कारण समझ में नहीं आ रहा है।
पॉडकास्ट में फिर अपने तेवर दिखाए
वैसे कहते हैं न कि सियासत में कई बार जो दिखता है, वो होता नहीं। जो कहा जाता है, असल में हो रहा होता है उसके कुछ उलट ही। थरूर के मामले में भी कुछ-कुछ वैसा ही है। पहले तो राहुल गांधी ने उन्हें दिल्ली तलब कर लिया और ऊपर से उनकी शिकायतों को दूर करने का कोई आश्वासन तक नहीं दिया। थरूर पूछते रहे कि पार्टी में मेरा क्या रोल है, ये साफ कर दीजिए लेकिन राहुल ने तवज्जो ही नहीं दी। अब थरूर ने एक मलयालम पत्रिका के साथ पॉडकास्ट में फिर अपने तेवर दिखाए हैं। उन्होंने ये कहकर अपनी मंशा साफ कर दी है कि वह तो कांग्रेस के लिए उपलब्ध हैं, लेकिन अगर पार्टी को उनकी जरूरत नहीं है तो उनके पास भी विकल्प मौजूद हैं। उन्होंने कांग्रेस आलाकमान को ये संदेश दे दिया है कि विकल्प उनके भी पास है, वह शायद और ज्यादा इंतजार नहीं कर सकते।
‘विकल्प’ मौजूद हैं
आईई मलयालम पॉडकास्ट में थरूर ने पार्टी बदलने की अफवाहों को खारिज करते हुए कहा कि मतभेद होने पर भी वह ऐसा नहीं सोचते। लेकिन उसी पॉडकास्ट में उनका ये बयान कुछ और ही कहता है कि अगर पार्टी को उनकी जरूरत नहीं है तो उनके पास भी ‘विकल्प’ मौजूद हैं। कांग्रेस से 4 बार के सांसद थरूर ने हालांकि ये नहीं बताया कि उनकी तरकश में मौजूद विकल्पों में आखिर क्या-क्या है। क्या उन विकल्पों में बीजेपी जॉइन करना भी शामिल है? या फिर लेफ्ट में जाएंगे जिसका केरल में मजबूत जनाधार है?
ये अंदाज नागवार गुजरा
शशि थरूर ने हाल ही में केरल की एलडीएफ सरकार की नीतियों की तारीफ की थी। इतना ही नहीं, उन्होंने पीएम मोदी के अमेरिकी दौरे और डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात की भी सराहना की थी लेकिन कांग्रेस को उनका ये अंदाज नागवार गुजरा है। पॉडकास्ट इंटरव्यू में थरूर ने इस विवाद पर भी अपना पक्ष रखा। कांग्रेस सांसद ने कहा कि उन्होंने खुद को कभी राजनेता नहीं माना और उनके राजनीतिक विचार ‘संकीर्ण’ हैं। उन्होंने कांग्रेस से केरल में नए मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए अपना आधार बढ़ाने का आह्वान किया।
कोई प्रभावशाली नेता नहीं
थरूर ने ये भी कहा कि कांग्रेस की केरल यूनिट में कोई प्रभावशाली नेता नहीं है। उन्होंने दावा किया कि अन्य कांग्रेस नेताओं ने उनके विचारों का समर्थन किया। केरल में अगले साल विधानसभा चुनाव होने है। उसके मद्देनजर थरूर की ये टिप्पणी काफी गंभीर है। उन्होंने कांग्रेस को चेताया भी कि अगर वह अपनी अपील का विस्तार नहीं करती है तो उसे लगातार तीसरी बार केरल में विपक्ष में बैठना पड़ेगा।
अलग-थलग पड़े थरूर
पीएम मोदी और केरल की एलडीएफ सरकार की तारीफ करके कांग्रेस के भीतर अलग-थलग पड़े थरूर को राहुल गांधी ने दिल्ली तलब किया था। 18 फरवरी को दोनों की मुलाकात हुई। हमारे सहयोगी टाइम्स ऑफ इंडिया ने उस मुलाकात को लेकर सूत्रों के हवाले से बताया था कि राहुल गांधी ने थरूर की शिकायतों या सुझावों को स्वीकार करने से साफ मना कर दिया। सूत्रों ने ये भी बताया कि अखिल भारतीय कांग्रेस समिति थरूर पर मुरव्वत के मूड में नहीं है। राहुल गांधी के साथ मीटिंग में थरूर ने ये भी कहा था कि वह स्पष्ट कर दें कि पार्टी में उनकी भूमिका क्या रहेगी। उन्होंने पार्टी के भीतर खुद को उपेक्षित किए जाने पर गहरी निराशा जाहिर की थी।