
Hemant soren is returning to jharkhand
रांची। झारखंड की 43 विधानसभा सीटों पर चुनाव संपन्न हो चुके हैं। अब 38 सीटों पर मतदान शेष है। राज्य की 81 सीटों पर इस बार दो चरणों में चुनाव कराए गए हैं। बीजेपी ने झारखंड में अपनी सरकार बनाने के लिए चुनावी रणनीति बदल दी है। जिससे हेमंत सोरेन की पार्टी टेंशन में है। उसे लगता था कि पार्टी अपने स्टार प्रचारक को दूसरे जगह प्रचार में लगा देगी । लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। किसी भी स्टार प्रचारक को अधिक काम नहीं दिया है। ताकि वे अपने विधान सभा को अधिक से अधिक समय दे सकें और जीत सकें। वैसे यह माना जा रहा है बीजेपी अपनी इस रणनीति से झारखंड में सरकार बनाने की स्थिति में आ गयी है।
बीजेपी की साइलेंट स्ट्रेटजी
झारखंड चुनाव में लव और लैंड जिहाद को बीजेपी ने चुनावी औजार बना लिया है। इसके जरिए भारतीय जनता पार्टी ने हेमंत सोरेन सरकार के खिलाफ मजबूत मोर्चेबंदी कर दी है। बीजेपी ने रोटी और बेटी का नारा भी दिया है। बड़े नेता अपने भाषण भी इसी के इर्द गिर्द रख रहे हैं। वहीं दूसरी ओर इस बार बीजेपी की साइलेंट स्ट्रेटजी ने हेमंत की पार्टी की को टेंशन दे दिया है। बीजेपी ने अपने किसी भी स्टार प्रचारक को खासकर जो चुनाव लड़े रहे हैं,उन्हें एक दो विधान सभा ही दिये हंै प्रचार के लिए। ताकि वे अपने विधान सभा को अधिक से अधिक समय दे सकें और जीत सकें। चुनावी रणनीति के मुताबिक बीजेपी ने इस बार सीट वाइज रणनीति तैयार की है। बड़े नेताओं की फील्डिंग लगाई गई है। पार्टी के बड़े नेता पूरे झारखंड में जाने के बजाय सिर्फ एक या दो सीट पर फोकस कर रहे हैं। जिससे जादुई नंबर को आसानी से छू सके।
आरजेडी की टेंशन
बीजेपी इस बार झारखंड में सरकार बनाने के लिए गंभीर है। बीजेपी के तीन पूर्व सीएम सिर्फ अपनी अपनी सीट बचाने की दिशा में ही काम कर रहे हैं। जेएमएम सूत्रों का कहना है कि बीजेपी के बड़े नेताओं की मजबूत फील्डिंग ने पार्टी की टेंशन उन सीटों पर बढ़ा दी हैं जहां उसके गठबंधन के उम्मीदवार के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी है जेएमएम को अपने से ज्यादा कांग्रेस और आरजेडी उम्मीदवारों की टेंशन सता रही है।
इन्हें यहां की जिम्मेदारी सौंपी
– अर्जुन मुंडा जो कि 3 बार झारखंड के मुख्यमंत्री रहे। अर्जुन मुंडा को सिर्फ पोटका सीट तक सीमित कर दिया गया।मुंडा की पत्नी मीरा मुंडा यहां से चुनाव लड़ रही हैं। पोटका आदिवासी बहुल इलाका है और यहां पर 2019 में जेएमएम ने जीत हासिल की थी। मुंडा 2024 में खूंटी से चुनाव हार गए थे। हालांकि इस बार उनकी मोर्चेबंदी सिर्फ पोटका तक ही रही। दिलचस्प बात है कि अर्जुन मुंडा का नाम बीजेपी के स्टार प्रचारक की लिस्ट में भी शामिल था।
– बाबू लाल मरांडी जो कि झारखंड बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बाबू लाल मरांडी तब तक अपने क्षेत्र से बाहर नहीं निकले। जब तक वहां पर कैंपेन खत्म नहीं हुआ। मरांडी को इस बार बीजेपी ने राज धनवार में ही ड्यूटी लगा रखी थी।मरांडी इस सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। माले और जेएमएम ने मरांडी की यहां मजबूत घेराबंदी कर रखी है।कहा जा रहा है कि बीजेपी नहीं चाहती थी कि पूरे चुनाव में उसका सबसे बड़ा स्थानीय नेता ही हार जाए।
– पूर्व सीएम चंपई सोरेन जब झारखंड मुक्ति मोर्चा में थे, तो अलग अलग क्षेत्र में घूम घूमकर प्रचार कर रहे थे।लेकिन बीजेपी ने उन्हें सिर्फ 2 सीटों की मुख्य जिम्मेदारी सौंपी थी।चंपई को पहले चरण के मतदान तक सरायकेला और घाटशिला तक ही सीमित रखा गया था। सरायकेला से चंपई खुद चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि घाटशिला में उनके पुत्र बाबू लाल मैदान में हैं।दोनों ही सीटों पर पिछली बार बीजेपी को हार मिली थी।
-नेता प्रतिपक्ष चंदन कुमार बाउरी वैसे तो बीजेपी के स्टार प्रचारक हैं, लेकिन उन्हें बीजेपी ने सिर्फ अपनी सीट बचाने की जिम्मेदारी सौंप रखी है।बाउरी अपने क्षेत्र चंदनकियारी से बाहर नहीं निकल रहे हैं। चंदनकियारी में इस बार झारखंड मुक्ति मोर्चा ने मजबूत उम्मीदवार उतार दिया है। बाउरी अपने क्षेत्र में इंडिया गठबंधन को फिर से मात देने के लिए कैंपेन के साथ.साथ रणनीति तैयार कर रहे हैं।
-पूर्व केंद्रीय मंत्री सुदर्शन भगत को सिर्फ गुमला में बीजेपी ने तैनात कर रखा है। भगत यहां से पार्टी के उम्मीदवार भी हैं। गुमला से वर्तमान में जेएमएम के भूषण तिर्की विधायक हैं। बीजेपी की रणनीति इस सीट को फिर से हासिल करने की है। 2009 और 2014 में बीजेपी ने यहां जीत हासिल की थी।
सांसद-मंत्री एक ही रणनीति पर
निशिकांत दुबे गोड्डा से लोकसभा के सांसद हैं। पार्टी ने उन्हें स्टार प्रचारक की लिस्ट में भी शामिल किया है, लेकिन निशिकांत संथाल परगना पर ही मुख्य फोकस कर रहे हैं। निशिकांत सारठ, मधुपुर और जामताड़ा में ही बीजेपी के लिए रणनीति तैयार कर रहे हैं।इसी तरह केंद्र सरकार में मंत्री अन्नपूर्णा देवी पहले चरण के मतदान तक कोडरमा में डटी हुई थी। एक और केंद्रीय मंत्री संजय सेठ रांची में ही मोर्चा संभाले हुए थे।