
Hemant be came the new state president of bjp ,abhay is happy with rajendar not being made
राष्ट्रमत न्यूज,भोपाल(ब्यूरो)। डिप्टी सीएम राजेन्द्र शुक्ला मुख्यमंत्री डाॅ मोहन यादव की पहली पसंद नहीं है। यही वजह है कि वो बीजेपी का प्रदेश अध्यक्ष नहीं बन जाए। जबकि वो केन्द्रीय मंत्रियों के बीच काफी दौड़ लगाए। केन्द्रीय मंत्रियों से मिल कर अपनी सियासी साख बनाने की पूरी कोशिश की।दस माह बाद आखिर बीजेपी को नया प्रदेश अध्यक्ष मिल ही गया। बैतूल के विधायक हेमंत विजय खंडेलवाल नए बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष चुने गए।राजेन्द्र शुक्ला के प्रदेश अध्यक्ष नहीं बनने से सबसे अधिक खुश कांग्रेस विधायक अभय मिश्रा हैं।वहीं राजेन्द्र शुक्ला के समर्थक काफी निराश हैं।
हेमंत निर्विरोध चुने गए
प्रदेश अध्यक्ष के लिए नामांकन प्रक्रिया के दौरान प्रदेश संगठन मंत्री हितानंद शर्मा ने सीएम डाॅ मोहन यादव को इशारा किया और सीएम खंडेलवाल को मंच पर ले गए। सीएम डाॅ मोहन उनके प्रस्तावक बने। हेमंत निर्विरोध चुने गए।
अभय खुश राजेन्द्र अध्यक्ष नहीं बने
सुबह से बीजेपी में अंदर खलबली थी। लेकिन दोपहर तक यह तस्वीर साफ हो गयी थी कि बीजेपी के नए प्रदेशाध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल बनाए जाएंगे। जबकि इस पद के लिए डिप्टी सीएम राजेन्द्र शुक्ला पिछले दस माह से एड़ी चोटी एक किये हुए थे। नरोतम मिश्रा भी चाह रहे थे प्रदेश अध्यक्ष बनना। ब्राम्हण नेता किनारे कर दिये गए। राजेन्द्र शुक्ला का अध्यक्ष नहीं बनने से उनके समर्थक काफी निराशा हैं। उन्हें पूरा भरोसा था कि भैया ही प्रदेश अध्यक्ष बनेंगे और फिर सी.एम बन ही जाएंगे। लेकिन हेमंत विजय खंडेलवाल के प्रदेश अध्यक्ष बनने से सबसे अधिक खुशी कांग्रेस विधायक अभय मिश्रा को मिली। प्रदेश अध्यक्ष चुनाव से पहले वो कइयों से राजेन्द्र शुक्ला के बारे में राय जानते रहे। अभय मिश्रा अपने हर पत्रकार वार्ता में मुख्यमंत्री डाॅ मोहन यादव की तारीफ करते और डिप्टी सीएम की खिलाफत। शब्द भी सियासी मार्यादा से नीचे के रहे। राजेन्द्र शुक्ला के प्रदेश अध्यक्ष नहीं बनने से अभय मिश्रा का सियासी हमला जारी रहेगा। और डिप्टी सीएम रीवा तक सिमट कर फिर रह गए। वैसे भी रीवा के वो सी.एम. ही हैं,उनके समर्थक यही कह कर अपना दिल बहलाते रहेंगे।
महाकौशल से दो बार अध्यक्ष बने
महाकौशल क्षेत्र से दो बार प्रदेशाध्यक्ष मिला। पहली बार शिवप्रसाद चनपुरिया सामान्य 1985 से 1986 से तक अध्यक्ष रहे। दूसरी बार राकेश सिंह सामान्य को मौका मिला। वे 2018 से 2020 तक संगठन के प्रदेशाध्यक्ष रहे। वर्तमान में राकेश सिंह पीडब्ल्यूडी मंत्री हैं।
शिवराज के बाद हेमंत दूसरे नेता
मध्य क्षेत्र से दूसरी बार किसी नेता को प्रदेश भाजपा संगठन के नेतृत्व का मौका मिला है। हेमंत खंडेलवाल शिवराज के बाद दूसरे नेता हैं। प्रदेश का सीएम बनने से पहले शिवराज सिंह चैहान ओबीसी मई 2005 से फरवरी 2006 तक भाजपा प्रदेशाध्यक्ष रहे।
छत्तीसगढ़ को दो बार मौका मिला
अविभाजित मध्य प्रदेश के समय छत्तीसगढ़ के दो नेता भी एमपी भाजपा अध्यक्ष रहे। रायगढ़ से लखीराम अग्रवाल सामान्य ने 1990 से 1994 तक और नंदकुमार साय एसटी ने 1997 से 2000 तक प्रदेश संगठन की कमान संभाली थी।