
Green soldiers are handling both the forest and the house
राष्ट्रमत न्यूज,बालाघाट(ब्यूरो)। दुनिया में कान्हा नेशलन पार्क की अपनी पहचान है। लेकिन कोई नहीं जानता कि कान्हा नेशनल पार्क को पहचान दिलानें के पीछे ग्रीन सोल्जर्स का बड़ा योगदान है।आज महिलाएं जोखिम भरे काम को भी चुन रही हैं। और कामयाबी के झंडे गाड़ रही हैं। कान्हा नेशनल टाइगर पार्क में 55 महिला ग्रीन सोल्जर्स की देखरेख में वन और वन्य जीव सुरक्षित हैं। इन्ही की वजह से हर भारतीय और विदेशी पर्यटक यहां खीचे चले आते हैं।
बेटा साथ में रहता है शिक्षा के
ग्रीन सोल्जर शिक्षा सोनी कान्हा नेशनल टाइगर पार्क के कोर और बफर जोन रेंज में 9 वर्षो से तैनात है। उनका पूरा परिवार यहां से 250 किलोमीटर छिन्दवाड़ा में है। कई बार जंगल में रहते हुए विषम परिस्थितियों का भी सामना किया है। उनके एक वर्ष का बेटा है। जो हमेशा उनके साथ रहता है। जबकि वो जानती हैं कि जंगल में छोटे से बच्चे के साथ काम करना जोखिम भरा है। एक बार मधुमक्खी उन पर हमला कर दी थी। बड़ी मुश्किल से जान बची थी।
पुष्पलता को बड़ा मोह है कान्हा से
पुष्पलता तराम भी बड़ी सजगता और निरभिक्ता के साथ कान्हा कोर क्षेत्र में तैनात हैं। इसी जंगल में 3 वर्ष पहले उनके पति की मृत्यु हुई। इसके बावजूद उन्हें इस जंगल से बड़ा लगाव है। इसी लगाव के साथ पुष्पलता कान्हा के वन्य जीवों की सुरक्षा में बड़ी सतर्कता के साथ काम लेती है। ग्रीन सोल्जर पुष्पलता की अपनी एक अलग कहानी है। पुष्पलता के पति चुन्नीलाल की वर्ष 2023 कान्हा में ही मृत्यु हुई थी। यहां कोर इलाके में गश्त के दौरान अचानक तबियत खराब हुई,लेकिन वहां नेटवर्क नहीं होने से समय पर इलाज नही मिल पाया। पति की मृत्यु के बाद ही बड़ा बेटा भी चल बसा। परिवार में हर तरह से परेशानियों के बाद पुष्पलता ने पति की कर्मभूमि को ही अपना लिया। 2023 से पुष्पलता प्रतिदिन 12 से 15 किमी. उसी जंगल और वन्य जीवों की परवाह में लगी है। जैसे उनके पति कोई अधूरा काम छोड़ गए। जिसे पुष्पलता ग्रीन सोल्जर के रूप में पूरा कर रही हैं।