
Gond architecture has been the conductor culture of nature-dr. kurria

* विश्व संग्रहालय दिवस पर वेंकट भवन में प्रदर्शनी एवं कार्यशाला
रीवा। विश्व संग्रहालय दिवस के अवसर पर मध्य प्रदेश के पुरातत्व अभिलेखागार एवं संग्रहालय के तत्वावधान में रीवा के वेंकट भवन पुरातत्व संग्रहालय की ऐतिहासिक सुरंग में गोंड स्थापित कला से संबंधित चित्र प्रदर्शनी का शुभारंभ किया गया एवं प्राचीन मूर्ति कला से संबंधित कार्यशाला का आयोजन किया गया ।
गोंड स्थापत्य कला
गोंड आदिवासी स्थापत्य कला से संबंधित चित्र प्रदर्शनी का शुभारंभ करते हुए अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय के कुलगुरु डॉ राजेंद्र कुमार कुररिया ने कहा कि गोंड संस्कृति हमारे देश की प्राकृतिक सभ्यता संस्कृति का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्कृति है ,जिनके घर , महल या रहवास के स्थलों पर प्रकृति चित्रण वन्यजीवों का चित्रण उभर कर सामने आता है और यह हमेशा राष्ट्र के प्रति समर्पित रहे हैं । गोंड स्थापत्य कला मध्य भारत के अपने मध्य प्रदेश के विभिन्न जिलों में विस्तारित रहे हैं और इस समाज की राष्ट्रभक्त जांबाज रानी के नाम पर ही मध्य प्रदेश ही नहीं देश का सबसे सुंदर रेलवे स्टेशन रानी कमलापति के नाम से समर्पित किया गया है ।जो गोंड सभ्यता संस्कृति की परिचायक रही है। कुलपति डॉ कुररिया ने पुरातत्व विभाग के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसी प्रदर्शनी से वर्तमान समाज न केवल शिक्षित होता है बल्कि देश में उनके द्वारा दिए गए योगदान को बेहतर तरीके से समझ सकता है। आयोजित कार्यशाला में प्रो महेश चंद्र श्रीवास्तव, सरदार प्रहलाद सिंह, इतिहासकार असद खान, शिक्षाविद् डॉ मुकेश येंगल, डॉ गोविंद सिंह डांगी, डॉ चंद्रप्रकाश मिश्र ने भी संबोधित किया।

सैकड़ो की तादात में प्रतिमाएं
अपने संबोधन में असद खान ने कहा कि नवमी सदी से 1150 ई तक विंध्य क्षेत्र में कलचुरीयुग था जो मूर्ति कला एवं स्थापत्य कला की दृष्टि से स्वर्णिम युग था । रीवा नगर में उसे युग की अद्भुत मूर्ति शिल्प रीवा किले में पुतिरहा दरवाजा, पदमधर पार्क में हर गौरी की विशाल प्रतिमा, भैरवनाथ की प्रतिमा के अलावा सैकड़ो की तादात में प्रतिमाएं उसे स्वर्णिम दौर की शिल्पकला का बयां खुद-ब-खुद कर रही हैं। पर्यावरण एवं पुरातत्व विशेषज्ञ डॉ मुकेश येंगल ने कहा कि प्राचीन मूर्तिकला में भारत विश्व का प्रतिनिधित्व करता है। अजन्ता एलोरा के मन्दिर, कोणार्क का सूर्य टेंपल, दक्षिण भारत अद्भुत मूर्तिकला और विंध्यक्षेत्र में डेढ़ हजार सालों के अनवरत मुर्तिशिल्प लाजवाब हैं। डॉ येंगल ने रीवा के विरासत की विस्तापूर्वक जानकारी प्रस्तुत की। दूसरे सत्र में डॉ रविता पाठक, शिक्षाविद् जेपी जायसवाल, पंकज शर्मा , विनोद भट्ट, एवं शाहिद परवेज़ ने भी अपने विचार व्यक्त किये।
आयोजित प्रदर्शनी एवं कार्यशाला
विश्व संग्रहालय दिवस के अवसर पर वेंकट भवन पुरातत्व संग्रहालय में आयोजित प्रदर्शनी एवं कार्यशाला के अवसर पर विश्वविद्यालय में प्राचीन इतिहास विभाग के विभाग अध्यक्ष प्रोफेसर महेश चंद्र श्रीवास्तव,कार्यक्रम संयोजक डॉ मुकेश येंगल , लेखक असद खान वरिष्ठ समाजसेवी सरदार प्रहलाद सिंह, डॉ गोविंद सिंह डांगी, डॉ चंद्र प्रकाश मिश्रा, डॉ नलिन दुबे ,सेना के पूर्व अधिकारी चंद्रशेखर तिवारी, शिक्षाविद् पंकज शर्मा , इंजीनियर दीपक निगम, ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के प्रकाश द्विवेदी, शिक्षाविद जेपी जायसवाल प्राचार्य उत्कृष्ट विद्यालय, केंद्रीय विद्यालय की सीनियर लेक्चरर डॉ रविता पाठक ,यूथ हॉस्टल एसोसिएशन के चेयरमैंन शाहिद परवेज ,वेंकट भवन के तेज बहादुर सिंह ,शिव श्रीवास्तव,अभिषेक शर्मा, कुसुम सिंह ,रूबी द्विवेदी ,नीलू तिवारी, रुचि द्विवेदी ,शिक्षाविद उमेश, शिवेश श्रीवास्तव ,आंचल मिश्रा ,मिडीया के साथी संदीप जडिया, रंजीव गुप्ता, विजय विश्वकर्मा, अविनाश, सुरेंद्र शर्मा, सहित नगर के बड़ी संख्या में शिक्षाविद एवं समाजसेवी संगठन के साथी उपस्थित रहे।