
Godham instead of gothan in chhattisgarh
राष्ट्रमत न्यूज,रायपुर(ब्यूरो)।छत्तीसगढ़ सरकार ने गौठान की जगह राज्य में गौधाम बनाने का फैसला किया है। चरवाहों को मानदेय और चारा के लिए बजट देगी सरकार। संस्थाओं की निगरानी भी सरकार रखेगी। गौधाम के लिए संस्थाओं के लिए मापदंड भी बनाए गए हैं।
रैंकिंग के साथ ईनाम भी दिए जाएंगे
छत्तीसगढ़ में आवारा और निराश्रित गौवंशों की बढ़ती मौतों पर अब सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। गौठानों की जगह अब ‘गौधाम’ बनाए जाएंगे। यहां चरवाहों और गोसेवकों को मासिक मानदेय मिलेगा, चारा-पानी की व्यवस्था होगी और बेहतर संचालन पर रैंकिंग के साथ ईनाम भी दिए जाएंगे।पिछले हफ्ते तीन हादसों में 90 गायों की मौत के बाद बिलासपुर रोड पर 18 गायों के मारे जाने पर मुख्य सचिव ने अफसरों को फटकार लगाई थी।गौधाम में केवल निराश्रित, घुमंतू और जब्त गौवंशों को रखा जाएगा।
‘गौधाम योजना’ को हरी झंडी
वित्त विभाग ने प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है और पशुधन विकास विभाग ने कलेक्टरों व फील्ड अधिकारियों को आदेश जारी कर दिया है। हाल ही में हाई कोर्ट ने सड़कों पर मरी पड़ी गायों की घटनाओं पर संज्ञान लिया था। पिछले हफ्ते तीन हादसों में 90 गायों की मौत के बाद बिलासपुर रोड पर 18 गायों के मारे जाने पर मुख्य सचिव ने अफसरों को फटकार लगाई थी। इसके बाद सरकार ने ‘गौधाम योजना’ को हरी झंडी दी।
क्या होगा गौधाम में
गौधाम में केवल निराश्रित, घुमंतू और जब्त गौवंशों को रखा जाएगा। शासकीय भूमि पर सुरक्षित बाड़ा, शेड, पानी-बिजली और चारागाह की सुविधा होगी। संचालन के लिए नजदीकी पंजीकृत गौशाला समितियों को प्राथमिकता दी जाएगी, अन्यथा NGO, ट्रस्ट, सहकारी समितियों को मौका मिलेगा। चयन का मापदंड गौसेवा, नस्ल सुधार, जैविक खाद और पशुपालन प्रशिक्षण का अनुभव होगा।
शासकीय भूमि पर होगा गौधाम
गौधाम की स्थापना ऐसी शासकीय भूमि पर की जाएगी, जहां सुरक्षित बाड़ा, पशु शेड, पर्याप्त जल आपूर्ति और बिजली की सुविधा मौजूद हो। इसके लिए पहले से विकसित अवसंरचना वाले गौठानों को प्राथमिकता दी जाएगी। उपलब्धता के आधार पर गौठान से लगी चारागाह भूमि हरे चारे के उत्पादन के लिए दी जाएगी। संचालन के लिए चयनित संस्था को प्रदान की गई भूमि, अवसंरचना और चारागाह पर किसी प्रकार का स्वामित्व अधिकार नहीं होगा।
संस्था चयन के मापदंड
- गौसेवा के क्षेत्र में न्यूनतम 5 वर्ष का अनुभव।
- नस्ल सुधार और गौधाम संचालन में कम से कम 3 वर्ष का अनुभव।
- पशुपालकों को प्रशिक्षण देने का अनुभव।
- जैविक खाद उत्पादन और जैविक खेती में कार्य का अनुभव।
गौधाम का उद्देश्य
- गौ-आधारित उत्पादों को बढ़ावा देना।
- चारा विकास कार्यक्रम को प्रोत्साहित करना।
- प्रशिक्षण केंद्र के रूप में विकसित करना।
- पशुओं की नस्ल सुधार कार्य करना।
- समाज में गौसेवा के प्रति जागरूकता और प्रेरणा फैलाना।
- स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर सृजित करना।
- पशु क्षमता – प्रत्येक गौधाम में उपलब्ध संसाधनों के अनुसार अधिकतम 200 गौवंशीय पशु रखना।