
Giving quality education to children is our top priority

रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में राज्य सरकार ने प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को उत्कृष्ट स्वरूप प्रदान करने और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए शालाओं और शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया को प्राथमिकता से लागू करने का निर्णय लिया है। इस निर्णय के पीछे शिक्षा विभाग की वह समीक्षा रिपोर्ट है, जिसमें राज्यभर के सरकारी स्कूलों में संसाधनों के असमान वितरण की गंभीर स्थिति सामने आई है।
शिक्षक संकट की स्थिति बनी हुई
शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि ऐसे विद्यालयों की प्रासंगिकता समाप्त हो चुकी है, और अब वहां से शिक्षकों को तत्काल उन स्कूलों में नियोजित किया जाएगा जहां उनकी आवश्यकता है।दूसरी ओर राज्य के अनेक दूरस्थ और आदिवासी क्षेत्रों में वर्षों से शिक्षक संकट की स्थिति बनी हुई है। मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय कुंवारपुर में विषयवार शिक्षक न होने के कारण वर्ष 2024-25 में कक्षा 12वीं का परीक्षा परिणाम महज 40.68 प्रतिशत रहा, जो राज्य औसत से बहुत कम है।

स्कूल में भी छात्र संख्या शून्य है
रिपोर्ट के अनुसार छत्तीसगढ़ में 211 शासकीय विद्यालय ऐसे हैं जहां एक भी छात्र दर्ज नहीं है, फिर भी वहां नियमित शिक्षक पदस्थ हैं। इससे न केवल शैक्षणिक संसाधनों का दुरुपयोग हो रहा है, बल्कि आवश्यकता वाले विद्यालयों में शिक्षकों की कमी से विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। उदाहरण के लिए, सरगुजा जिले के बतौली विकासखंड की प्राथमिक शाला साजाभवना में कोई छात्र नहीं है, जबकि एक सहायक शिक्षक वहां कार्यरत हैं। इसी तरह हर्राटिकरा स्कूल में भी छात्र संख्या शून्य है, लेकिन वहां एक प्रधान पाठक और दो सहायक शिक्षक पदस्थ हैं।
युक्तियुक्तकरण परिवर्तन की कुंजी है
मुख्यमंत्री श्री साय ने इस मांग को गंभीरता से लेते हुए शिक्षा विभाग को निर्देश दिए कि जहां शिक्षक अनुपयोगी रूप से पदस्थ हैं, वहां से उन्हें शीघ्रता से जरूरतमंद स्कूलों में भेजा जाए। उन्होंने कहा कि शिक्षक वहीं तैनात हों जहां छात्र हैं – यही सुशासन की प्राथमिक शर्त है।मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। यह प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को सशक्त करने का अभियान है।