
Generation are not getting away from congress
राष्ट्रमत न्यूज,मुुुंबई(ब्यूरो)। किसी समय महाराष्ट्र में कांग्रेस की तूती बोलती थी। उसकी स्थिति मजबूत हुआ करती थी। अब लगातार कांग्रेस समस्या से जूझ रही है। कभी पार्टी की रीढ़ माने जाने वाले कई परिवारों की नई पीढ़ी या तो विपक्षी दलों के साथ गठबंधन कर रही है या फिर सक्रिय राजनीति से दूर जा रही है। यह बदलाव कांग्रेस की संगठनात्मक गहराई को कमजोर कर रहा है और इस वर्ष होने वाले महत्त्वपूर्ण स्थानीय निकाय चुनावों से पहले दल की मुश्किलें बढ़ा रहा है। कई युवा राजनेताओं को अब कांग्रेस में अपना भविष्य नहीं दिखता। संगठन कमजोर है। उनका दूसरी पार्टी में जाना विचारधारा से ज्यादा अस्तित्व की चिंता है। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि महाराष्ट्र कांग्रेस में समस्या सिर्फ दलबदल की नहीं है, बल्कि पीढ़ीगत वफादारी के अंत की है।
बुरी हार का सामना करना पड़ा
पिछले वर्ष हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को राज्य में अपनी सबसे बुरी हार का सामना करना पड़ा था। महाराष्ट्र की 288 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस को केवल 16 सीट से ही संतोष करना पड़ा था। कांग्रेस ने शिवसेना-उद्धव बालासाहेब ठाकरे (यूबीटी) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा)-शरदचंद्र पवार के साथ गठबंधन में 101 सीट पर चुनाव लड़ा था। हाल के महीनों में कांग्रेस से लंबे समय से जुड़े परिवारों के नेताओं ने ऐसे कदम उठाए हैं, जो समर्पित समर्थकों के बीच पार्टी की घटती लोकप्रियता को दर्शाते हैं।
BJP में शामिल हो गए हैं
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अनंत गाडगिल ने दशकों से पार्टी से जुड़े रहने वाले परिवारों की दूसरी पीढ़ी के नेताओं के पार्टी छोड़ने के सिलसिले पर चिंता व्यक्त की है। गाडगिल का संबंध संभवत: उन अंतिम निष्ठावान परिवारों में से एक से है, जो हमेशा पार्टी के प्रति प्रतिबद्ध रहे हैं। तीसरी पीढ़ी के राजनीतिक नेता गाडगिल ने बताया कि कांग्रेस की विचारधारा से गहराई से जुड़े होने के नाते वे 139 साल पुरानी पार्टी के भविष्य को लेकर चिंतित हैं। गाडगिल ने कहा कि उन्हें यह देखकर दुख हुआ कि उनके पिता (वीएन गाडगिल) के केंद्रीय मंत्रिमंडल के सहयोगियों और कई अन्य लोगों के बच्चे कांग्रेस छोड़कर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए हैं।
कांग्रेस का साथ छोड़ रहे युवा साथी
महाराष्ट्र में पूर्व केंद्रीय मंत्री मिलिंद देवरा ने 2024 में कांग्रेस छोड़ दी और अब शिवसेना के सांसद हैं। सांगली में, कट्टर कांग्रेसी शिवाजीराव देशमुख के पुत्र सत्यजीत देशमुख BJPमें शामिल हो गए। गाडगिल ने कहा, विडंबना देखिए। जिस भाजपा ने शिवाजीराव देशमुख को परिषद के अध्यक्ष पद से हटाने के लिए अन्य दलों के साथ गठबंधन किया था, उसने बाद में उनके बेटे को विधायक बना दिया। धुले में, कट्टर कांग्रेसी रोहिदास पाटिल के पुत्र कुणाल पाटिल हाल ही में भाजपा में शामिल हुए हैं। उन्होंने कहा, PUNE में कांग्रेस के एक अन्य पूर्व मंत्री अनंतराव थोपटे के बेटे संग्राम थोपटे यह दावा करते हुए भाजपा में शामिल हो गए कि कांग्रेस ने उन्हें उचित सम्मान नहीं दिया। कांग्रेस के दिग्गज नेता वसंतदादा पाटिल की पौत्री राजश्री पाटिल भी भाजपा में शामिल हो गईं।
राहुल के आलोचक भी बन गए
विधान परिषद के पूर्व सदस्य ने कहा, वरिष्ठ नेता बालासाहेब थोराट के भतीजे और कभी राहुल गांधी के करीबी माने जाने वाले सत्यजीत तांबे न केवल विधान परिषद के निर्दलीय सदस्य बने, बल्कि राहुल के आलोचक भी बन गए। ये सभी पारंपरिक कांग्रेसी परिवारों से थे। कांग्रेस चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हो गईं और लातूर शहर से कांग्रेस उम्मीदवार अमित देशमुख के खिलाफ चुनाव लड़ा।
उनसे सब कुछ जानने की उम्मीद न करें
गाडगिल के अनुसार, कुछ वरिष्ठ पदाधिकारियों का मानना है कि पार्टी के राष्ट्रीय नेताओं को सही प्रतिक्रिया (फीडबैक) भी नहीं मिल रही है। गाडगिल ने कहा, (कांग्रेस सांसद) सोनिया, राहुल और (अध्यक्ष मल्लिकार्जुन) खरगे को पूरे देश में पार्टी के मामलों की देखभाल करनी है। उनसे सब कुछ जानने की उम्मीद करना गलत है। इसलिए चुनाव के दौरान पार्टी पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की जाती है। लेकिन अगर पर्यवेक्षकों के आकलन में कमी होती है, तो पार्टी को नुकसान होता है।