
Gangulpara is eco tourist but not a culvert,villagers warned
राष्ट्रमत न्यूज,बालाघाट(ब्यूरो)। गांगुलपरा जलाशय के निकट बसा वन ग्राम गांगुलपरा इको पर्यटन क्षेत्र है। लेकिन आवागमन के लिए आज तक शासन- प्रशासन ने पक्की सडक तो दूर की बात है,एक पुलिया तक बनावाना जरूरी नहीं समझा। गांव के दो सौ परिवार के लोगों को बरसों से बरसात में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इस गांव के लोग आज भी शहर की मुख्यधारा से नहीं जुड़ पाए। बिरसा बिग्रेड के बैनर तले कलेक्ट्रेट कार्यालय में जनसुनवाई में कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर गांगुलपारा वन ग्राम तक पक्का पहुंच मार्ग और पुलिया बनाए जाने की मांग कर चुके हैं।
जवाबदेही प्रशासन की होगी
ग्रामीणों की मांग है कि नालों से आवागमन के लिए तत्काल वैकल्पिक पुलिया का निर्माण कराया जाए।इसके लिए प्रशासन को सात दिन की मोहलत ग्रामीणों ने दी है।यदि उनकी मांगों को प्रशासन ने पूरा नहीं किया तो पूरा गांव मवेशियों को लेकर बैहर मार्ग पर डेरा डाल देगा। जिसकी जवाबदेहीप्रशासन की होगी।
एम्बुलेंस नहीं पहुंचती
ग्रामीणों के अनुसार उनका वन ग्राम गांगुलपारा, जलाशय, पहाड़ों और जंगलों से घिरा है गांव में लगभग 200 परिवार रहते हैं। गांव तक आवागमन मार्ग नहीं होने की वजह से अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।गर्भवती महिला या वन्य प्राणियों के हमले में घायल किसी व्यक्ति को अस्पताल पहुंचाना हो तो सड़क नहीं होने की वजह से गांव में एंबुलेंस नहीं पहुंच पाती। ऐसी स्थिति में ग्रामीण चादर और बांस का डोला बनाकर उपचार के लिए बालाघाट लाते हैं।
ज्ञापन पर ध्यान कोई नहीं दिया
ग्रामीणों ने बताया कि अपनी प्रमुख मांग को लेकर वे पिछले कई वर्षों से जिला पंचायत,जनपद पंचायत,कलेक्टर कार्यालय डीएफओ कार्यालय सहित अन्य शासकीय कार्यालयों में ज्ञापन सौंप चुके हैं।वहीं स्थानीय जनप्रतिनिधियों से लेकर विधायक,सांसद और मंत्री तक को कई बार ज्ञापन दिया जा चुका है।उसके बाद भी उनकी यह मांग पूरी नहीं हुई है। उन्हें हर बार सिर्फ और सिर्फ आश्वासन ही मिलता है।
इनका कहना हैं
वर्ष 2023 मे विधायक निधि से पूर्व विधायक रामकिशोर नानो कावरे द्वारा 38 लाख का सुदूर सड़क का निर्माण किया गया है। आज वो सडक नालों में तब्दील हो गई है। हमारा शहर से संपर्क टूट चुका हैं। गांगुलपारा मछुआ नाका से ग्राम तक पहुँचने के लिए सात बड़े नालों से गुजरना पड़ता हैं। इन नालों पर तत्काल वैकल्पिक पुलों का निर्माण कर आवाजाही प्रारंभ करानी चाहिए। एक पुलिय की मांग को लेकर पूरा गांव छाती भर पानी पार करके जिला कलेक्टर को ज्ञापन देने आया।
धनीराम मर्सकोले
गांगुलपारा आदिवासी ग्राम सभा अध्यक्ष