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राष्ट्रमत न्यूज,रीवा(ब्यूरो)। आज भी जंगलों, कंदराओं से सटे पहाड़ी इलाकों, खाइयों एवं समतल मैदानों में छोटी-छोटी झोपड़ियां व बस्ती बनाकर वनोंपज पर निर्भर रहकर परिवार के साथ गुमनाम सी जिंदगी बिता रहे आदिवासियों के सर्वांगीण विकास के लिए भारत सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा कर्मठ व्यक्तियों एवं संस्थाओं को जनहित में सशक्त बनाने हेतु के लिए एक अभिनव प्रयोग के अंतर्गत तलाशने और तराशने का काम युद्धस्तर पर शुरू हो गया है।

आदि कर्मयोगी” साथी
केंद्र की प्रोसेस लैब में भारत की बृहद आबादी 140 करोड लोगों में से छांटकर तैयार किये जा रहे हैं , देश के लिए समर्पित व कर्मठ “आदि कर्मयोगी” साथी । यह केवल विचार मंथन नहीं है, बल्कि बीते एक माह में प्रोसेस लैब में तैयार हजारों *आदि कर्मयोगी”, आदिवासियों के हित में मोर्चा संभालने रीवा जिले में भी दस्तक दे चुके हैं । गहन विचार मंथन की प्रयोगशाला और कठिन परिश्रम के बाद यह समर्पित साथी ब्लैक कैट कमांडो के समान दबे पांव मित्र बनकर पहुंचेंगे हर जिले के दूरस्थ अंचल में वनों के करीब विस्तारित जंगल रक्षक आदिवासियों के गांव में, जहां पर शुरू होगा इनका एक्शन प्लान।
एक्शन प्लान पर काम
अभी तक निश्चित तौर पर यह चिंतनीय था कि भारत की आजादी के इतने सालों बाद भी विकास की रोशनी ,जंगलों और वन्य प्राणियों के रक्षक, आदिवासियों की झोपड़ी तक नहीं पहुंची है। केंद्रीय नेतृत्व के साथ देश के थिंक टैंक ने देर सबेर ही सही एक अति महत्वपूर्ण कदम उठाकर उसपर गहन मंथन के उपरांत एक्शन प्लान पर काम करना शुरू कर दिया कि वनों वन्य प्राणियों और देश की रक्षा के लिए अंग्रेजों से भी सीना तानकर लोहा लेने वाले भगवान की संज्ञा प्राप्त बिरसा मुंडा जैसे आदिवासी नेतृत्व के देश भर में विस्तारित समाज के लोगों तक देश की अन्य लोगों की समान ही विकास और सुविधाओं को पहुंचाना, अब राष्ट्र की प्राथमिकता होनी चाहिए। इसके लिए उनके बीच में रहकर और आदिवासी जनजातीय समाज के लोगों के परंपरागत ज्ञान व सम्मान की रक्षा करते हुए, उनकी मंशा के अनुरूप उनको लाभ पहुंचाना ही प्रमुख लक्ष्य होना चाहिए और इसके लिए चाहिए थे हजारों लाखों कर्मठ कर्मयोगी ।
ढाई हजार गांव तक का भ्रमण
मंथन के उपरांत केंद्र सरकार ने प्रोसेस लैब में तैयार करना शुरू कर दिया *आदि कर्मयोगी*। देश के साथ ही मध्य प्रदेश के हर जिले से विभिन्न प्रमुख विभागों के अधिकारियों व कर्मचारियों के साथ रीवा जिले से कर्मठ सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में जिला प्रशासन द्वारा नामांकित किया गया डॉ मुकेश येंगल को। जो बीते वर्षों में रीवा एवं मऊगंज जिले के लगभग पौने तीन हजार गांवों में से ढाई हजार गांव तक का भ्रमण कर चुके हैं। उल्लेखनीय है कि रीवा और मऊगंज क्षेत्र के कई इलाके आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र हैं। जहाँ पहुंचना कर्मयोगियों का लक्ष्य है।

चार दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला
देश के तमाम केंद्र शासित क्षेत्रों के साथ ही सभी 30 राज्यों के चयनित 550 जिलों में आदिवासी बाहुल्य 3000 ब्लॉकों में विस्तारित, लगभग 11 करोड़ जनजाति आदिवासियों तक प्रोसेस लैब में तैयार होकर गांव-गांव तक पहुंचेंगे लगभग 20 लाख कर्मयोगी । देश के कर्मठ कर्मयोगियो को छांटकर कश्मीर से कन्याकुमारी और त्रिपुरा, सिक्किम से लेकर गुजरात राजस्थान की तक राष्ट्रीय स्तर की साथ-साथ दिवसीय गहन प्रशिक्षण कार्यशाला के उपरांत प्रत्येक राज्य मुख्यालयों में चार-चार दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित की जा चुकी है और अब तैयारी चल रही है , सितंबर माह में देश भर के बचे हुए जिलों और लगभग सभी ब्लॉक स्तर पर कम जोगियो को तैयार करने की कवायत इसके उपरांत यह सभी कर्मयोगी आदिवासी बाहुल्य गांव में पहुंचकर अपने कार्य को शुरू कर देंगे ।