
Farmers will not save paddy they are angry with the government
बालाघाट (ब्यूरो)। प्रदेश में कई जिलों से खबर आ रही है कि बरदाना नहीं होने की वजह से किसान अपना धान नहीं बेच पा रहे हैं। किसान गुस्से में है। बालाघाट के किसान समर्थन मूल्य पर अपना धान इस बार नहीं बेचना चाहते। न खुद बेच रहे हैं और न ही अन्य किसानों को बेचने दे रहे हैं। उन्हें मंडी से वापस कर रहे हैं। किसान अपना धान समर्थन मूल्य पर नहीं बेचने को तैयार नहीं हैं। 31 सौ रुपए क्विंटल से कम में धान नहीं बचेना चाहते। जाहिर सी बात है कि मोहन सरकार से किसान नाराज हैं।
उपज बेचने को तैयार नहीं
मध्यप्रदेश सरकार द्वारा किसानों के साथ की गई वादा-खिलाफी का असर अब विरोध के रूप मे सामने आ रहा है। जहाँ एक तरफ विपक्ष के नेता भी सरकार पर हमला बोल रहे है तो दूसरी तरफ किसान भी मोहन सरकार से खासे नाराज है। जहाँ किसानों की नाराजगी इस रूप मे देखी जा रही है कि किसान इस बार समर्थन मूल्य पर अपनी उपज बेचने को तैयार नहीं है। यदि कोई किसान उपज बेचने खरीदी केंद्र तक पहुँचता है तो उसे दूसरे किसान खदेंड़कर वापस भिजवा दें रहे है। किसान माइक से मुनादी कर रहे हैं कि सरकार के समर्थन मूल्य पर कोई भी किसान धान नहीं बेचेगा।
मांग को लेकर अड़े किसान
कुछ इस तरह का नजारा बालाघाट जिले के लालबर्रा तहसील क्षेत्र के ग्राम टेंगनीकला मे देखने मिला, जहाँ उपज बेचने केंद्र पहुचे एक किसान का अन्य किसानो के साथ विवाद शुरू हो गया। अंत मे उस किसान को अपनी फसल लेकर वापस घर लौटना पढ़ा। यहां समर्थन मूल्य पर धान का रेट 3100 किये जाने की मांग को लेकर अड़े किसानो का कहना है कि जब तक सरकार 3100 रूपए का दाम नहीं देगी, कोई किसान अपनी फसल नहीं बेचेगा। यही वजह थी कि विरोध कर रहे किसानों ने एक किसान को वापस लौटा दिया।