
Ed raids on liquor tradera 11 locations in mp

भोपाल। सोमवार सुबह राजधानी भोपाल, आर्थिक नगरी इंदौर, जबलपुर और मंदसौर समेत कुल 11 ठिकानों पर एक साथ ईडी द्वारा छापामार कार्रवाई की जा रही है। इंदौर, भोपाल, मंदसौर और जबलपुर जिले सहित कई शहरों में आबकारी अधिकारियों और शराब ठेकेदारों के ठिकानों पर छापेमारी की गई। यह कार्रवाई 71 करोड़ रुपये के फर्जी बैंक चालान घोटाले के सिलसिले में की जा रही है।

एफआईआर के आधार पर जांच
प्रारंभिक तौर पर भोपाल में आबकारी उड़नदस्ते में पदस्थ उपायुक्त आलोक खरे के ठिकानों पर छापे की जानकारी सामने आई थी। बाद में ईडी के सूत्रों ने साफ किया कि खरे के घर-दफ्तर पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। प्रवर्तन निदेशालय ने यह जांच एक एफआईआर के आधार पर शुरू की है, जिसमें आरोप है कि कुछ शराब ठेकेदारों ने फर्जी चालान और दस्तावेजों के जरिए सरकार को करोड़ों का राजस्व नुकसान पहुंचाया। सूत्रों के अनुसार, वित्त वर्ष 2015-16 से 2017-18 के बीच इन ठेकेदारों ने नकली चालान के माध्यम से शराब खरीदने के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) हासिल किए।
चालानों में जान बूझकर हेरफेर
जांच में यह सामने आया है कि आरोपी शराब ठेकेदार चालानों में जान बूझकर हेरफेर करते थे। चालान में राशि अंकों में भरी जाती थी। लेकिन शब्दों में राशि के लिए छोड़ी गई जगह को खाली रखा जाता था। बैंक में मूल राशि जमा करने के बाद, ठेकेदार बाद में चालान की कॉपी में उस खाली जगह पर लाखों रुपये जोड़ देते थे।मध्यप्रदेश में 49 करोड़ रुपए के आबकारी फर्जी बैंक चालान घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने सोमवार को सुबह अलग अलग कारोबारियों के 11 ठिकानों पर एक साथ प्रदेशभर में कार्रवाई की है। ये कार्रवाई इंदौर, जबलपुर, भोपाल और मंदसौर में चल रही है।49 करोड़ के फर्जी बैंक चालान घोटाले का आरोप योगेंद्र जायसवाल और विजय श्रीवास्तव पर लगा है। इनके ठिकानों पर सुबह से कार्रवाई चल रही है। बताया जा रहा है कि जब संजीव दुबे आबकारी आयुक्त थे, तब यह चालान घोटाला हुआ था, वहीं चालान घोटाले में अब तक 22 करोड़ की रिकवरी हो चुकी थी।

ईडी को साक्ष्य और बयान दिए
इंदौर में शराब ठेकेदार अविनाश और विजय श्रीवास्तव, राकेश जायसवाल, योगेंद्र जायसवाल, राहुल चौकसे, सूर्यप्रकाश अरोरा, गोपाल शिवहरे, लवकुश और प्रदीप जायसवाल के ठिकानों पर छापे पड़े हैं। बसंत बिहार कॉलोनी, तुलसी नगर और महालक्ष्मी नगर में ईडी की टीमें पहुंची हैं।दरअसल, इंदौर जिला आबकारी अधिकारी कार्यालय में साल 2015 से 2018 के बीच सरकारी गोदाम से शराब लेने के लिए इस्तेमाल 194 बैंक चालानों में गड़बड़ी सामने आई थी। हजारों के बैंक चालानों को लाखों रुपए का बनाकर गोदामों से उतनी ही शराब उठाई गई। फिर इसे ठेकेदारों ने अपनी सरकारी शराब दुकान से बेचा। शिकायत मिलने पर ईडी ने 2024 में जांच शुरू की थी।

जवान बंगले के बाहर तैनात
इंदौर, में बसंत विहार कालोनी, तुलसी नगर समेत अन्य ठिकानों पर ईडी की टीम जमा है। इंदौर के तुलसी नगर में रहने वाले सुरेंद्र चौकसे के घर पर ईडी की टीम पहुंची है। फिलहाल, चौकसे के घर A-296 पर ईडी की टीम दस्तावेजों की पड़ताल कर रही है। सुरेंद्र चौकसे आबकारी अधिकारी के पद से सेवा निवृत्त हुए हैं। सीआरपीएफ के जवान उनके बंगले के बाहर तैनात हैं। खास बात ये है कि, इस कार्रवाई से स्थानीय प्रशासन को भनक तक नहीं लगी। शिकायतकर्ता राजेंद्र गुप्ता ने ईडी को साक्ष्य और बयान दिए थे। 6 मई को ईडी ने प्राथमिकी दर्ज की थी और आबकारी आयुक्त से 5 बिन्दुओं पर जानकारी मांगी गई थी, लेकिन जो ईडी को जानकारी मिली वो अधूरी थी।
मंदसौरमें अनिल के ठिकानों पर रेड
इधर मंदसौर शहर की जनता कॉलोनी में रहने वाले शराब कारोबारी अनिल त्रिवेदी के ठिकानों पर तड़के 4 बजे ईडी की रेड पड़ी। त्रिवेदी की 10 साल साल गैंगवार में हत्या कर दी गई थी। ये पूर्व में आबकारी विभाग में पदस्थ था। हत्या मंदसौर-प्रतापगढ़ रोड पर हुई थी। शुरुआती सूचना अनुसार, दस साल पूर्व करीब 25 करोड़ रुपए के किसी लेनदेन के मामले में ईडी ने आकर परिवार के सदस्यों से पूछताछ कर रही है। इसका बेटा राजस्थान में निंबाहेड़ा-उदयपुर में रहता है। इस फर्जीवाड़े से तैयार की गई चालानों की कॉपियां देशी शराब गोदामों या विदेशी शराब के मामले में जिला आबकारी कार्यालयों में जमा की जाती थीं। ईडी अधिकारियों ने फिलहाल दस्तावेजों की जांच शुरू कर दी है और छापेमारी अभी भी जारी है। इस कार्रवाई में कई आबकारी अधिकारियों की भी भूमिका की जांच हो रही है। घोटाले की कुल रकम करीब 71 करोड़ रुपये आंकी गई है, जिससे राज्य सरकार को भारी वित्तीय नुकसान पहुंचाया गया।