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नई दिल्ली।(ब्यूरो)। सुप्रीम कोर्ट ने आज फिर ED की खिंचाई की। मौाखिक साक्ष्य नहीं बल्कि साइंटिफिक जांच होनी चाहिए। यह हैरानी वाली बात है कि कांग्रेस राज में एक भी दोषी नहीं लेकिन बीजेपी शासन में इतने सारे मामले के बाद भी केवल 40 केस में ही दोषी। जस्टिस उज्जवल भुइंया ने कहा ईडी की दोषसिद्धी दर बहुत कम है। यह 60-70 फीसदी होता तो हम समझ सकते थे। लेकिन यह बहुत कम है।
गिरफ्तारियों पर सवाल
सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस उज्ज्वल भुइयां ने चिंता जताते हुए कहा कि अगर आरोपी को दोषी नहीं ठहराया जाता है तो क्या होगा? मुकदमे के लिए किसी को कब तक इंतजार करना पड़ सकता है? पश्चिम बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी की जमानत अर्जी पर यह सुनवाई करते हुए जस्टिस उज्ज्वल भुइयां और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने ईडी की गिरफ्तारियों पर सवाल उठाया। मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 2 साल से जेल में बंद चटर्जी की अर्जी पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने अरसे तक बिना मुकदमा चलाए हिरासत में रखने पर यह अहम टिप्पणियां कीं।
सबूतों पर ध्यान दें
सुप्रीम कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में कम सजा दर का हवाला देते हुए ईडी से गुणवत्तापूर्ण अभियोजन और सबूतों पर ध्यान केंद्रित करने को कहा था। मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपी छत्तीसगढ़ के एक व्यवसायी की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस सूर्यकांत, दीपांकर दत्ता और उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने कहा कि सजा की दर बढ़ाने के लिए ईडी को वैज्ञानिक जांच करनी चाहिए।
केवल 40 मामलों में सजा
केंद्र सरकार ने इसी साल 6 अगस्त को लोकसभा में यह जानकारी दी थी कि धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत 2014 से 2024 तक कुल 5,297 मामले दर्ज किए गए, जबकि केवल 40 मामलों में सजा हुई और 3 बरी हो गए। गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी के एक सवाल के जवाब में यह जानकारी दी थी।
पीठ ने तब क्या कहा था
सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त में ईडी को लेकर एक बड़ी टिप्पणी की थी। उसने ईडी को कहा था कि आपको अभियोजन और साक्ष्य की गुणवत्ता पर ज्यादा फोकस करने की जरूरत है। ऐसे जो भी मामले जहां आपको यह लगता है कि प्रथम दृष्टया मामला बनता है, उनमें आपको अदालत में इसे स्थापित करने की जरूरत है।
साइंटिफिक जांच जरूरी
सुप्रीम कोर्ट ने ईडी से कुछ गवाहों के बयानों और हलफनामों को मौखिक साक्ष्य ही माना है और कहा है कि ऐसे मौखिक साक्ष्य भगवान भरोसे होते हैं। कल को गवाह अपने बयान पर कायम रहेगा या मुकर जाएगा। ऐसे में आपको पहले साइंटिफिक जांच करनी चाहिए। इससे पहले सरकार की ओर से वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने यह जानकारी दी थी कि एजेंसी ने जुलाई, 2024 तक पीएमएलए के तहत 7,083 मामले दर्ज किए और अब तक 1.4 लाख करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति कुर्क या जब्त की है।
132 मामले, सजा सिर्फ 1 में
132 मामले राजनेताओं यानी पूर्व सांसदों, विधायकों, एमएलसी और अन्य राजनीतिक नेताओं या राजनीतिक दलों से जुड़े किसी भी व्यक्ति के खिलाफ दर्ज हैं। सरकार के अनुसार, सबसे अधिक 34 ऐसे मामले (राजनेताओं के खिलाफ) 2022 में दर्ज किए गए। इसके बाद 2020 में 28 और 2021 और 2023 में 26-26 मामले दर्ज किए गए। इनमें से केवल 5 मामलों की सुनवाई पूरी हुई और एक में 2020 में सजा हुई।
यूपीए शासन में कोई दोषी नहीं
ईडी के आंकड़ों से पता चलता है कि केंद्रीय जांच एजेंसी ने पिछले दशक में 2,500 प्रतिशत अधिक लोगों को गिरफ्तार किया। वहीं, 63 व्यक्तियों को मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में दोषी ठहराया गया, जबकि पूर्ववर्ती कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार के तहत किसी को भी दोषी नहीं ठहराया गया था।
ईडी का यह दावा
ईडी का दावा है कि उसके कुल मामलों में केवल 2.98 प्रतिशत मामले मौजूदा या पूर्व सांसदों और विधायकों के खिलाफ हैं, जबकि मनी-लॉन्ड्रिंग विरोधी कानून के तहत इसकी सजा दर 96 प्रतिशत के उच्च स्तर पर है। हालांकि, सरकार के आंकड़ों के अनुसार, ईडी के दावे में यह दम नहीं दिखता है। 132 मामलों में महज 1 में ही सजा हो पाई।