
Demonstration of fishermen to remove non fishermen people from fisheries commmittees
राष्ट्रमत न्यूज,बालाघाट(ब्यूरो)। मछुआरों ने मंगलवार को कलेक्टोरेट और मत्स्योद्योग उपसंचालक कार्यालय के सामने प्रदर्शन किया। उन्होंने मत्स्योद्योग उपसंचालक पर मत्स्य समितियों में अन्य जाति के लोगों को संरक्षण देने और मछुआ समुदाय के लोगों के साथ भेदभाव करने का आरोप लगाया है। धरने पर बैठे शिकायत कर्ताओ ने मांग की है कि लगभग दो वर्षो से फर्जी जातीप्रमाण पत्र बनाकर मछुवा समिति में दर्जनों लोग घुसपैठ करके उनके अधिकारों का हनन कर रहे है। वहीं जिम्मेदार अधिकारी जाँच और कार्यवाही के नाम पर दोषियों पर मेहरबानी दिखाते नजर आ रहे है।
मछुआरों ने सवाल उठाए
मत्स्य सहकारी समिति मर्यादित पांढरवानी, राजीव गांधी सहकारी समिति बोरी और मिलन मछुआरा सहकारी समिति मर्यादित टेकाड़ी के मछुआरों ने मत्स्य नीति के तहत शिकायत की थी कि इन समितियों में केवल उन्हीं लोगों को रखा जाए, जिनका मुख्य व्यवसाय मछली पकड़ना और बेचना है। उनकी मांग थी कि गैर-मछुआ जाति के लोगों को इन समितियों से बाहर किया जाए।इस शिकायत के बाद मत्स्योद्योग उपसंचालक ने 6 अगस्त को एक जांच समिति बनाई, जिसमें नायब तहसीलदार, मत्स्य निरीक्षक, सहकारिता निरीक्षक और क्षेत्रीय मछुआ प्रतिनिधि शामिल थे। इस समिति ने 13 अगस्त को जांच की, लेकिन जब 25 अगस्त को जांच रिपोर्ट जारी हुई तो मछुआरों ने इस पर सवाल उठाए।
नामों को हटा दिया गया
मछुआरों का आरोप है कि जांच में फर्जीवाड़ा हुआ है। उन्होंने बताया कि जांच के दौरान मछुआ समुदाय के कई लोगों ने अपने जाति प्रमाण पत्र पेश किए थे, लेकिन जांच रिपोर्ट में उनके प्रमाण पत्रों और नामों को हटा दिया गया। उनका दावा है कि यह सब मत्स्योद्योग उपसंचालक के इशारे पर हुआ है, जो मछुआ जाति के लोगों का हक छीनकर अन्य जाति के लोगों को लाभ पहुंचा रहे हैं।समिति में शामिल क्षेत्रीय प्रतिनिधि सोहनलाल बाउके ने बताया कि जांच समिति ने तय किया था कि जिन लोगों के पास जाति प्रमाण पत्र हैं, वे ही वैध सदस्य माने जाएंगे, लेकिन कार्रवाई विवरण में मछुआ समाज के लोगों के नाम गायब मिले।
जाति प्रमाण पत्र का मामला गरमाया
विदित हो कि राजीव गांधी मछुआ सहकारी समिति बोरी और मिलन मछुआ सहकारी समिति मर्या. टेकाडी से जुडे सदस्यों के फर्जी जातिप्रमाण पत्र से जुडा मामला लगातार गर्माता जा रहा है। जिसे लेकर छानबीन समिति का गठन किया गया था और जातिप्रमाण पत्र निष्काषण की प्रक्रिया होनी थी। 13.08.2025 को छानबीन समिति द्वारा कई बिन्दुओ पर विचार, तर्क और चर्चा की गई। जहां छानबीन समिति के द्वारा राजीव गांधी मछुआ सहकारी समिति बोरी तथा मिलन मछुआ सहकारी समिति मर्या. टेकाडी व मत्स्य सहकारी समिति मर्या पाण्डरवानी की जांच की गई। जिसमें उपरोक्त समितियों के सदस्यो द्वारा अपने-अपने प्रमाण प्रस्तुत किये गये। जहां छानबीन समिति के द्वारा फर्जी जातिप्रमाण पत्र वाले सदस्यों क जाचं उपरांत उनके निष्काशन की कार्यवाही की जाती। परंतु जांच समिति द्वारा जिम्मेदार अधिकारीयों पर जाँच और कार्यवाही के नाम पर दोषियों पर मेहरबानी दिखाते नजर आये।
सदस्य कार्यक्षेत्र के बाहर का नहीं
समिति द्वारा जांच में पाया गया कि मछुआ सहकारी समिति बोरी एवं मिलन मछुआ सहकारी समिति मर्या. टेकाडी तथा मत्स्य सहकारी समिति मर्या. पाण्ढरवानी में कोई भी सदस्य कार्यक्षेत्र के बाहर का नही पाया गया। उपरोक्त समिति की जांच में पाया गया कि कोई भी सदस्य शासकीय/संस्था में कार्यरत नहीं है। जबकि कई सदस्य फर्जी जातिप्रमाण के भरोसे मछुआ समिति के जुडे हुए है और लांभान्वित हो रहे है। यहां छानबीन समिति द्वारा जांच मे निर्णय लिया गया कि 65 वर्ष के उपर आयु वाले सदस्य का निष्कासन की कार्यवाही होगी, जिनमें कुछ नाम भी सामने आये है।
बिना कोई जवाब दिए चली गईं
मछुआरों ने इस संबंध में कलेक्टर से मिलने का प्रयास किया, लेकिन जब उन्हें कोई जवाब नहीं मिला, तो वे मत्स्योद्योग उपसंचालक कार्यालय पहुंचे। वहां भी उन्हें कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया। जब मीडिया ने सहायक संचालक पूजा रोडगे से इस बारे में बात करनी चाही तो उन्होंने “वीसी” (वीडियो कॉन्फ्रेंस) का हवाला देते हुए बिना कोई जवाब दिए वहां से चली गईं।