
Delhis factor will be seen in bihars electoral behavior
नई दिल्ली (ब्यूरो)।महाराष्ट्र,हरियाणा और दिल्ली विधान सभा चुनाव जीतने के बाद बीजेपी अति उत्साहित है। बिहार के लिए एनडीए ने 243 विधान सभाओं में 225 सीट का टारगेट रखा है। पीएम मोदी 24 फरवरी को बिहार जा रहे हैं। जाहिर सी बात है कि उनका भाषणा भी चुनावी ही होगा। वहीं नीतीश कुमार कोशिश करेंगे कि पांचवी बार भी वो सीएम बने। वहीं राजद नेता तेजस्वी दस साल के एंटी इनकमबेसी का लाभ उठाने की कोशिश करेंगे। राजद सबसे बड़ी पार्टी है। कांग्रेस का थोड़ा बहुत योगदान है। सवाल यह है कि क्या यहां भी कांग्रेस दिल्ली की तरह चुनाव लड़ेगी। एकला चलो या फिर गठबंधन करेगी। बिहार में दिल्ली फेक्टर कितना दिखेगा यह विपक्ष भी नहीं जानता। वहीं सवाल यह है कि विरोधियों से क्या आपस में भिड़ेंगे जो सियासी दोस्त हैं या फिर जैसे हैं वैसे ही रहेंगे। यह माना जा रहा है कि बिहार चुनाव में दिल्ली का असर पड़ेगा। इस बार नीतीश की जगह बीजेपी अपना सी.एम.बनायेगी।
बीजेपी पूरा फायदा उठायेगी
राज्य में पिछले चुनाव में कांग्रेस महागठबंधन के तहत चुनाव लड़ी थी। 70 सीट में केवल 19 सीट ही जीती। दूसरी ओर राजद 144 सीट पर चुनाव लड़ा था।,80 सीट पर जीत मिली थी। राज्य में बीजेपी की स्थिति बढ़ सकती है। माना जा रहा है कि बिहार को 70000 करोड़ का बजट और मखाना बोर्ड की स्थापना के अलावा कोसी नहर परियोजना राज्य में बाढ़ को कम करने की इस योजना का लाभ बीजेपी उठाना चाहेगी। नीतीश के विरोधी कहते हैं कि वह बेहतर सड़कें और बिजली के अलावा अपने “विकास” के मुद्दे को आगे नहीं बढ़ा पाए हैं। उनकी सरकार रोजगार पैदा नहीं कर पाई है, यही राजद के मुख्य एजेंडों में से एक हैबिहार में एक बड़ा फैक्टर प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज बनकर उभर रही है। नवंबर में 2024 के उपचुनाव में प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज ने उपचुनाव में करीब 10% वोट हासिल किए। यह उसका पहला चुनावी मुकाबला था। जन सुराज के उम्मीदवारों को बेलागंज और इमामगंज में आरजेडी उम्मीदवारों की हार के अंतर से भी ज़्यादा वोट हासिल किए।
इस समय इलेक्शन मोड में
बिहार में जदयू और राजद दोनों ही पार्टियां इस समय इलेक्शन मोड में हैं। नीतीश कुमार ने पिछले साल 23 दिसंबर को प्रगति यात्रा की शुरू की थी। उनकी इस यात्रा का मकसद पूरे राज्य को कवर करना है। नीतीश कुमार की यह यात्रा विभिन्न ग्रुप्स को टारगेट कर रही है। जैसे ‘नारी शक्ति रथ यात्रा’ और ‘कर्पूरी रख यात्रा’ का मकसद क्रमश: महिलाओं और अत्यंत पिछड़ा वर्ग को लुभाना है। ये दोनों ही नीतीश कुमार के कोर सपोर्टर माने जाते हैं।विपक्ष द्वारा संविधान से जुड़े विषय उठाए जाने के बीच जदयू ‘अंबेडकर रथ यात्रा’ निकाल रही है, इसका मकसद सभी जिलों तक पहुंचकर वहां के दलितों से संवाद स्थापित करना है। इसके अलावा एक ‘अल्पसंख्यक रथ यात्रा’ भी निकाली जा रही है, जो मुस्लिमों को जोड़ रही है। ये सभी रथ यात्राएं इस महीने के अंत में समाप्त होने वाली हैं।
राजद के मुद्दों में बहुत कुछ
राजद भी इस समय सड़कों पर है। तेजस्वी यादव पिछले कुछ महीनों से लगातार विधानसभाओं में जा रहे हैं, लोगों से मिल रहे हैं और लोगों को अपनी पार्टी के वादे बता रहे हैं। तेजस्वी यादव के इस कार्यक्रम को ‘कार्यकर्ता दर्शन सह संवाद कार्यक्रम’ नाम दिया गया है। अन्य राज्यों में चुनावी कसौटी पर खरी उतरी योजनाओं की तर्ज पर, राजद ने ‘माई बहन मान योजना’ के तहत गरीब परिवारों की महिलाओं को 2,500 रुपये महीना देने का वादा किया है। इसके अलावा राजद दिल्ली की आम आदमी पार्टी की तरफ पर 200 यूनिट फ्री बिजली और बुजुर्गों की पेंशन बढ़ाने का वाद कर रही है। रोजगार और माइग्रेशन पर कंट्रोल भी राजद के मुद्दों में शामिल हैं।
राजद का जोश कम हो गया
माना ये भी जा रहा है कि नीतीश के पक्ष में लालू शासन की पुरानी यादें भी ‘काम’ कर सकती हैं।2020 में कम अनुभव होने के बावजूद भी तेजस्वी यादव अपनी पार्टी को सफलता दिलाने में सफल रहे थे, जिससे उनकी पार्टी लोकसभा चुनाव में भी पूरे जोश में दिखाई दी। एनडीए ने बिहार में 40 में से 31 सीटें जीतीं, लेकिन पांच साल पहले की तुलना में सीटों की यह संख्या कम थी।। साथ ही आरजेडी फिर से सबसे ज्यादा वोट शेयर वाली पार्टी बनकर उभरी। उसने चुनाव में 22% वोट शेयर हासिल किया। हालांकि ऐसा माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद है राजद का जोश कम हो गया क्योंकि नवंबर 2024 में चार सीटों के लिए हुए उपचुनावों में एनडीए ने राजद के दो गढ़ों सहित सभी सीटें जीत लीं।
जदयू का स्ट्राइक रेट बेहतर था
माना जा रहा है कि दिल्ली चुनाव परिणाम का असर बिहार में दिखाई देगा, खासकर दोनों गठबंधनों के बीच होने वाली सीट शेयरिंग में। एक के बाद एक लगातार तीन जीत के साथ बीजेपी एनडीए में अपने पास सबसे बड़ा हिस्सा रखने की पूरी कोशिश करेगी। जदयू ने पिछले विधानसभा चुनाव में में 115 सीटों में से 43 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की थी जबकि बीजेपी ने 110 में से 74 सीटों पर परचम फहराया था। हालांकि जदयू नेताओं का कहना है कि उसने पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी से बेहतर प्रदर्शन किया। बिहार में बीजेपी और जदयू दोनों ही पार्टियों ने 12-12 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की लेकिन जदयू का स्ट्राइक रेट बेहतर था। बिहार चुनाव तक कोई नया सियासी मुद्दा नहीं बना तो इस बार बीजेपी कोई नया सियासी गुल खिला सकती है।