
Corrupt officials survived but santosh did not get justice
बालाघाट। चार वर्ष बीत गए मगर संतोष विश्वकर्मा को जिला पंचायत के अधिकारी न्याय नहीं दिये। कई सेवानिवृत हो गए। कलेक्टर बदलते रहे,मगर अपात्र लोगों को नौकरी दे दी गयी। मगर मेरिट में दूसरे नम्बर पर रहे संतोष को आज तक नहीं मिली।
आपात्र को पात्र कर दिया
गौरतलब है कि मध्यप्रदेश पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के माध्यम से सामाजिक अंकेक्षण अंतर्गत ग्रामीण सामाजिक ऐनीमेटर / व्हीएसए का चिन्हांकन किये जाने के लिये आॅनलाईन आवेदन 02 अप्रैल 2021 से 15 अप्रैल 2021 तक मंगाए गए थे। लिखित एनीमेटर की परीक्षा 24 अगस्त 2021 को हुई। साक्षात्कार 10 सिंतबर को उत्कृष्ठ विद्यालय लालबर्रा में लिया गया। किंतु इस परीक्षा में संतोष कुमार विश्वकर्मा मेरिट में दूसरे नम्बर पर थे। बावजूद इसके इन्हें अपात्र करते हुए परीक्षा में अपात्र परीक्षार्थियों को पात्र कर दिया गया।
मेरिट वाले को तरजीह नहीं
तकनीकि सदस्य में कुल 08 परीक्षार्थी थे। सामाजिक सदस्य सूची के परिक्षार्थी को तकनीकि सदस्य सूची में लाकर पात्र किया गया। रोल नंबर 19002 एवं 19005 जो पूर्व में वीएसए और तकनीकि सदस्य नहीं हैं, फिर भी उन्हें पात्र करते हुए तकनीकि सदस्य में लिया गया। जब उक्त संबंध में पात्र परीक्षार्थी ने शिकायत की कि मेरिट सूची के आधार पर परीक्षार्थियों का चयन किया जाए। संतोष आज ओवर ऐज हो गए हैं। मगर उन्हें न्याय नहीं मिला। मेरिट सूची में आये अभ्यर्थियों को अपात्र घोषित करके उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ किया गया।
शिकायत बेअसर रही
यह प्रकरण जनपद पंचायत लालबर्रा के ग्राम गर्रा निवासी संतोष पिता चैतराम विश्वकर्मा का है। प्रार्थी संतोष विश्वकर्मा ने बताया कि ग्रामीण सामाजिक अंकेक्षण के अंतर्गत ग्राम सामाजिक एनिमेटर भारती 24.8.2021 को जनपद स्तर पर शासकीय स्कूल में परीक्षा आयोजित की गई थीे। जिसमें हिस्सा लिया। परीक्षा में 68.8 प्रतिशत अंक पाकर मेरिट सूची में दूसरे स्थान पर रहा। यहां नियम के मुताबिक संतोष को मेरिट सूची के अनुसार तकनीकी सदस्य में नाम आना चाहिए था। परंतु जिला पंचायत में चयन प्रक्रिया में घोर लापरवाही और भ्रष्टाचार कर आपात्र को चयनित किया गया। वही पात्र अभ्यर्थी को ही भर्ती प्रक्रिया से अलग कर दिया। जिसकी शिकायत विगत 2021 से की गई। लेकिन आज दिनांक तक प्रार्थी को कोई संतोष जनक जवाब नहीं मिला और ना ही उसके साथ कोई न्याय किया गया।जिम्मेदार भ्रष्ट अधिकारी-कर्मचारी के खिलाफ कोई कार्यवाही की गई। मामले में कई जनप्रतिनिधियों को भी शिकायत की गई थी, लेकिन सबके सब चुप रहे। इस मामले को लगभग 4 वर्ष बीत गया है, लेकिन जिला पंचायत की जांच अब तक खत्म नहीं हुई। जबकि यहां पदस्थ रहे कई अधिकारी रिटायर्ड हो गए और कई कलेक्टर भी बदल गये। मामला पुराना हो चुका है और उसकी फाईल धूल खाकर रह गई है।