
Contractor is doing poor work in naxalite area
बालाघाट(ब्यूरो)। नक्सल प्रभावित गांवों में सड़कें,पुलिया के अलावा पुल बनाए जा रहे हैं। लेकिन इनकी गुणवता किस स्तर की है,कोई भी अधिकारी देखने नहीं जाता। इस वजह से ठेकेदार ठसके से अपने तरीके से काम कर रहे हैं। पुलिया बारिश में टूट जाए,बह जाए। सड़कें खराब हो जाए।पुलों में दरार आ जाए। इसकी चिंता न ठेकेदार को है और न ही जिम्मेदार अधिकारियों की। ग्रामीण क्षेत्रों में विकास के काम आईसीपीएलण्डब्ल्यू जैसी योजनाओं के तहत किये जा रहे हैं।
सड़के अभी तक नहीं बनीं
दक्षिण बैहर के अति नक्सल प्रभावित गांवो में शामिल लातरी, माहुरदल्ली, बोदालझोला, कलकत्ता तक सड़क और पुल पुलियों का निर्माण कार्य चल रहा है। इसके अलावा पितकोना से केराझरी, पितकोना से दर्रेकसा और दर्रेकसा से बिलालकसा मार्ग भी शामिल है। इन दुरगामी सड़कांे का निर्माण कार्य प्रारंभ से ही वर्कमेनशीप में कमी के चलते अनियमितताओं की बलि चढ़ रहा है। पितकोना से केराझरी लगभग 04 किमी और पितकोना से दर्रेकसा लगभग 7 किमी सड़क का निर्माण ठेकेदार पुष्पेद्र सिंह के द्वारा करवाया जा रहा है। इन सड़कों को मई 2024 तक पूर्ण हो जाना चाहिये था। लेकिन अब तक अधूरा है। जिससे क्षेत्रीय ग्रामीणों को भारी परेशानियों का सामना पड़ रहा है। यदि बारिश से पहले यह सड़क बन जाती है तो ग्रामीणों का आवागमन सुगम हो जाएगा। इस मार्ग के बीच में पुलियों का निर्माण हो रहा है।लेकिन देखा गया है कि पुलियों के निर्माण में इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री की गुणवता अनुकूल नहीं है। नदी नाले के बोल्डर और मिट्टी को उपयोग में लाया जा रहा है। जाहिर है कि पुलिया ज्यादा दिन नहीं चलेगी।
मिट्टी युक्त रेत का इस्तेमाल
डाबरी,बोदाल झोला वाया लातरीटोला की सड़क 27 कि.मी की है। जो बन रहे हैं। इस मार्ग के बीच में पड़ने वाले नदी-नालों पर पुल बनाये जा रहे हैं। उसकाल नाला पर बन रहे ब्रिज का कार्य भी लगभग पूर्णता की ओर है, जबकि उसके पूर्व दो ब्रिज चैनेस क्रमांक 2420 और 2660 पर ब्रिज का कार्य पूर्ण हो चुका है।माहुरदल्ली और दहियानटोला के बीच में पड़ते है। इसी प्रकार केरेझेरी,बोदलझोला के बीच में अमोली-खडका नाला के आरडी 7690 पर ब्रिज का कार्य जारी है। यहां भी गुणवत्ता का अभाव हुआ है। क्यांे कि यहां भी स्थानीय नदी नालों में मौजूद बोल्डर युक्त रेत जिसमें मिट्टी मिश्रित है, उसका उत्खनन कर उपयोग किया जा रहा है। हाईलेवल ब्रिज में साफ सुथरी और दानेदार रेत का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।ए जिससे गिट्टी, रेत, सीमेंट और पानी आपस में मिक्स होकर बाउंड हो जाये। किंतु निर्माणाधीन स्थल में उक्त घटिया रेत बिना छाने ही इस्तेमाल की जा रही है।जाहिर सी बात है मिट्टी युक्त रेत से निर्माण कार्य कितना बेहतर होगा सहज ही जाना जा सकता है।
घटिया निर्माण की वजह
ठेकेदार को जो ठेका मिला है वो नक्सल प्रभावित ग्रामीण क्षेत्र है। इस क्षेत्र में नक्सलियों के डर से कोई अधिकारी देखने जाता नहीं है। इसलिए ठेकेदार भी अपनी मर्जी के मुताबिक काम कर रह हैं। जंगलों की लकड़ियां और पहाड़ों के पत्थरों का इस्तेमाल पुल-पुलियों के निर्माण में किया जा रहा है। जरूरत पड़ने पर मुरूम को भी मिला दिया जाता है। जाहिर सी बात है,घटिया निर्माण की वजह से ग्रामीण क्षेत्रों की सड़के,पुल और पुलिया ज्यादा दिन नहीं चलते।