
Congress preparation are in full swing to deal with the political storms on the political pitch of delhi
नई दिल्ली (रमेश तिवारी ‘रिपु’)। दिल्ली विधान सभा चुनाव की तारीख घोषित नही हुई है।लेकिन सियासी पिच पर बीजेपी सियासी शोले बरसाना शुरू कर दिया है। प्रधान मंत्री ने आम आदमी पार्टी को आप दा पार्टी कहा है तो दूसरी और रमेश बिघूड़ी ने विवादित बयान देकर सियासी माहौल गरमा दिया है।आतिशी को जहां कहा उसने अपना बाप बदला वहीं सड़कों को लेकर कहा कि प्रियंका गांधी के गालो की तरह सड़क बनाएंगे। कांग्रेस का पिछले दो चुनाव में कोई खाता नहीं खुला है। इस बार वो आम आदमी पार्टी से पंगा लेने की फिराक में है। वैसे दिल्ली में बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच सीधा मुकाबला है। फिर भी इस बार कांग्रेस महाराष्ट्र,हरियाणा चुनाव की हार के बाद वो दिल्ली में कुछ करना चाहती है। जाहिर सी बात है कि आम आदमी पार्टी को नुकसान होगा तो फायदा कांग्रेस और बीजेपी को होगा।
संतुलन के धागे पर खड़ी कांग्रेस
दिल्ली की 70 सीटों पर आम आदमी पार्टी ने अपने प्रत्याशी बहुत पहले ही घोष्ेिात कर दिये हैं। जबकि अभी कांग्रेस और बीजेपी धीरे धीरे प्रत्याशियों का एलान कर रही है। इस बार पार्टी अपनी पुरानी गलतियों से सबक लेकर कुछ नया करने की सोच रही है। इसीलिए उसने शीला दीक्षित के बेेटे दो बार दिल्ली के सांसद रहे संदीप दीक्षित को टिकट दिया है। जो कि अरविदं केजरीवाल के खिलाफ चुनावी समर में होेंगे। इसी तरह आतिशी के खिलाफ कांग्रेस ने अलका लांबा को टिकट दिया है। कालकाजी सीट पर बीजेपी उम्मीदवार रमेश बिधूड़ी के बायन पर बीजेपी को निशाने पर कांग्रेस ले रही है। 2020 के चुनाव में ज्यादातर सीटों पर कांग्रेस की जमानत जब्त हो चुकी है। इस बार वो नहीं चाहती ऐसा कुछ हो। अभी तक कांग्रेस की ओर से आप और बीजेपी के खिलाफ कोई बयान नहीं अया है। वो संतुलन के धागे पर खड़ी है।
एलजी ने सियासी चाल चली
एलजी विवेक सक्सेना ने पिछले दिनों दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी के पक्ष में एक चिट्ठी लिखकर अरविंद केजरीवाल के बीच तकरार की रेखा खींचने की सियासी चाल चली है। उन्होने अपनी चिट्ठी में केजरीवाल ने दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी को अस्थायी मुख्यमंत्री कहकर अपमान करने की बात कही। इसके पीछे उनका क्या मकसद है, यह सियासी गलियारे में सभी समझ रहे हैं।सवाल यह है कि आतिशी क्या एलजी के पत्र को गंभीरता से लेगी। वैसे उन्होंने एलजी के पत्र पर कोई विवाद उठे उससे पहले दो टुक कह दिया है कि एलजी दिल्ली की बेहतरी के बारे में सोचें। लेकिन क्या वाकयी में आतिश उनके पत्र की बात को मन से खत्म कर दी हैं। आतिशी क्या अरविंद केजरीवाल के खिलाफ जा सकती हैं,यह सवाल विपक्ष के मन में बार बार उठ रहा है।
चुनावी जंग जीत ली थी
दिल्ली में विधानसभा चुनाव के लिए माहौल बनने से पहले ही कांग्रेस को एक बड़ा झटका तब लगा जब आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने ऐलान कर दिया कि उनकी पार्टी कांग्रेस के साथ किसी भी तरह का गठबंधन नहीं करेगी। जबकि कुछ महीने पहले ही हुए लोकसभा चुनाव में दोनों दलों ने मिलकर चुनाव लड़ा था। हालांकि इसके बावजूद भी यह दोनों दल दिल्ली में एक भी सीट नहीं जीत सके थे और बीजेपी ने सभी सातों सीटों पर चुनावी जंग जीत ली थी।
विपक्ष की नजर आतिशी पर
आतिशी ने जब योगन्द्र और प्रशांत भूषण का साथ छोड़ा था, तब लिखा था कि प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव पार्टी के संस्थागत ढांचे को स्वीकार करने को तैयार नहीं दिख रहे हैं। ज्यादा दुख इस बात का होता है कि जो भी कदम यह दोनों नेता उठाएंगे वो भ्रष्टाचार के खिलाफ जारी लड़ाई को कमजोर करेंगे। जब भी सार्वजनिक रूप से इस तरह के मुद्दे को उठाते रहेंगे पार्टी के लिए जवाब देना और ज्यादा मुश्किल होगा। उसके बाद से आतिशी ने केजरीवाल का साथ नहीं छोड़ा। आबकारी मामले में केजरीवाल के जेल जाने के बाद आतिशी ने पार्टी के लिए खूब मेहनत की। लेकिन 2015 के मामले को विपक्ष एक बार फिर रंग दे रहा है। अंदेशा यही किया जा रहा है कि आतिशी के मन में केजरीवाल को लेकर यदि थोड़ा सा भी खोट की भावना ने जगह बनाई तो सियासी इतिहास अपनी पटकथा एक बार फिर दोहरा सकता है। और ऐसा हुआ तो आतिशी योगेन्द्र यादव और प्रशांत भूषण के साथ जैसा किया था केजरीवाल के साथ भी कर सकती है। बहरहाल विपक्ष के पास केवल इंतजार के सिवा अभी कुछ नहीं है।
सियासत में कुछ भी असंभव नहीं
पिछले कुछ दिनों में कांग्रेस के तेवरों को देखें तो यह साफ नजर आता है कि पार्टी भले ही इंडिया गठबंधन में आम आदमी पार्टी के साथ है, लेकिन दिल्ली में वह आम आदमी पार्टी को बख्शने के मूड में बिल्कुल भी नहीं है। पार्टी के वरिष्ठ नेता और दिल्ली कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अजय माकन कई बार अरविंद केजरीवाल पर हमला कर चुके हैं और उन्हें राष्ट्र विरोधी तक बता चुके हैं। कांग्रेस ने 2024 के लोकसभा चुनाव में सीटों में इजाफा जरूर किया, लेकिन हरियाणा और महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में हार से पार्टी का मनोबल काफी गिरा है। बावजूद इसके कांग्रेस दिल्ली में बड़ी चुनावी लड़ाई लड़ने का दम तो भरती दिख रही है लेकिन पिछले चुनावी नतीजे देखकर यह कहना मुश्किल है कि वह दिल्ली की सियासत में कोई बड़ा उलटफेर कर पाएगी। हालांकि सियासत में कुछ भी असंभव नहीं है। यहां ये भी नहीं भूलना होगा कि कांग्रेस 1998 से 2013 तक लगातार दिल्ली में सरकार चला चुकी है लेकिन आम आदमी पार्टी के उदय के बाद पार्टी दिल्ली की सियासत से लगभग साफ हो गई है। देखना होगा कि वह दिल्ली में जीरो सीटों के अपने पिछले चुनावी प्रदर्शन से कितना आगे बढ़ पाती है।
क्यों लाई गयी शराब नीति- दीक्षित
दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले सियासी दल एक दूसरे पर हमलावर है।नई दिल्ली विधानसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार संदीप दीक्षित ने कहा कि जैसे क्रिकेट में हिट विकेट होता है, वैसे ही आम आदमी पार्टी के तीनों शीर्ष नेता अरविंद केजरीवाल, आतिशी और मनीष सिसोदिया आगामी विधानसभा चुनाव हार जाएंगे। दीक्षित ने बताया कि केजरीवाल के पूर्व आधिकारिक आवास में एक मिनी बार था। उन्होंने कहा कि जब मुझे पता चला कि तत्कालीन सीएम के आधिकारिक आवास में एक मिनी बार था तो मैं हैरान हो गया। तब मुझे एहसास हुआ कि शराब नीति क्यों लाई गई थी। क्या हमारे किसी सरकारी आवास में मिनी बार है?वे आप नहीं समझते कि इन चीजों के क्या नतीजे होंगे।
शीशमहल जनता के लिए खोल दें
केजरीवाल ने चार अक्टूबर को सिविल लाइंस हाउस खाली कर दिया था। तब अलका लांबा ने महामारी के दौरान मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास के नवीनीकरण के लिए करदाताओं के 33 करोड़ रुपये के कथित इस्तेमाल को लेकर अरविंद केजरीवाल की आलोचना की थी। यही बात मोदी अपने चुनावी भाषण में केजरीवाल को कह चुके हैं उन्हें अपने शीशमहल की चिंता ज्यादा है आम आदमी की नहीं। बीजेपी उम्मीदवार प्रवेश वर्मा ने आतिशी को लिखे पत्र में जनता के लिए शीश महल को खोलने का अनुरोध किया है। साथ ही प्रवेश वर्मा ने निवेदन कियाए श्इस शीश महल को प्रातः 10 बजे से सांय 4 बजे तक जनता दर्शन के लिए खोला जाए। ताकि दिल्ली की जनता इसे नजदीक से देख सके। गौरतलब है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री आवास को बीजेपी शीश महल कहती है और पार्टी के नेता और प्रवक्ता अरविंद केजरीवाल को इस मुद्दे पर घेरने की कोशिश में रहते हैं।
बाजी पलटने की फिराक में
कांग्रेस दिल्ली विधान सभा में प्रियंका गांधी,राहुल गांधी,मल्लिकार्जुन खड़गे और इन वरिष्ठ नेताओं के अलावा हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खु, कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया,उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार, तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी, सचिन पायलट, भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कुमारी सैलजा, पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी सहित कई बड़े नेताओं के साथ कांग्रेस दिल्ली के सियासी अखाड़े में उतरेगी। वो बाजी पलटने की फिराक में है।कांग्रेस ने दिल्ली चुनाव के लिए अपने वॉर रूम को चुस्त.दुरुस्त कर लिया है और उम्मीदवारों को चुनाव किस तरह लड़ना हैए इस संबंध में उन्हें दिशा निर्देश दिए जा रहे हैं। दूसरी ओर राजधानी के अंदर खुद को चुनावी मुकाबले में दिखाने के लिए पार्टी अपने कई वरिष्ठ नेताओं को चुनावी जिम्मेदारियां देने जा रही है। इनमें कांग्रेस शासित सभी राज्यों के मुख्यमंत्रीए उपमुख्यमंत्री, पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और तमाम बड़े पदाधिकारियों का नाम शामिल है।