
Chinmay may be sentenced to life imprisonment
ढाका। बांग्लादेश में इस्कान को हाई कोर्ट से राहत मिल गयी है। उसने इस्कान पर बैन लगाने से मना कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि वह अंतरिम सरकार की ओर से की जा रही कार्रवाई से संतुष्ट है। इस मामले में स्वतः संज्ञान लेने की जरूरत नहीं है। वहीं देखा जाए तो बांग्लादेश ध्वज नियम 1972 के अनुसार आध्यात्मिक नेता चिन्मय कृष्ण दास उम्र कैद या फिर पांच हजार टका और एक साल की सजा हो सकती है।
प्रसिद्ध आध्यात्मिक नेता चिन्मय कृष्ण दास को पिछले दिनों देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। उन्हें एक कोर्ट ने जमानत देने से मना कर दिया। जिसके बाद राजधानी ढाका और चटगांव समेत कई जगहों पर भारी विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। चिन्मय इस्कान के सदस्य थे लेकिन हाल में उन्हें निष्कासित कर दिया गया था।
राष्ट्रीय ध्वज पर भगवा ध्वज
अगले दिन मंगलवार को चटगांव की एक कोर्ट ने आध्यात्मिक नेता चिन्मय कृष्ण दास गिरफ्तार करने का आदेश सुनाया। जिसकी वजह से कोर्ट के बाहर जमकर प्रदर्शन भी हुए। मोहम्मद फिरोज खान की ओर से चटगांव के कोतवाली पुलिस स्टेशन में दर्ज कराए गए मामले में चिन्मय कृष्ण दास और 18 अन्य लोगों पर 25 अक्टूबर को एक रैली के दौरान बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज के ऊपर भगवा झंडा फहराने का आरोप लगाया गया है। बांग्लादेश में बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के वकील मोनिरुज्जमां ने जस्टिस फराह महबूब और जस्टिस देबाशीष राय चैधरी की पीठ के सामने इस्कान पर प्रतिबंध लगाने की मांग वाली अर्जी दाखिल की थी। उन्होंने चटगांव और रंगपुर में आपातकाल घोषित करने की भी अपील की थी।
कोर्ट में अंतरिम सरकार ने कहा
सुनवाई की शुरुआत में अटार्नी जनरल की ओर से डिप्टी अटार्नी जनरल असदउद्दीन ने सरकार की ओर से उठाए गए कदमों की जानकारी अदालत को दी। उन्होंने कोर्ट से कहा कि इस घटना पर सरकार का रुख सख्त है। इसे लेकर अब तक तीन मामले सामने आए हैं। एक में 13 लोग एक में 14 लोग और दूसरे में 49 लोगों को आरोपी बनाया गया है। अब तक 33 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। सीसीटीवी के जरिए 6 और लोगों की पहचान की गई है।सरकार की ओर से अदालत में कहा गया है कि पुलिस एक्टिव है।आरोपियों से पूछताछ करने पर जानकारी के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
सरकार की कार्रवाई से संतुष्ट
इस्कान पर प्रतिबंध लगाने की मांग पर जजों ने कहा कि सरकार सर्वोच्च प्राथमिकता के साथ काम कर रही है। हम सरकार की कार्रवाई से संतुष्ट हैं और राज्य की जिम्मेदारी पर हमें भरोसा है। इस दौरान कोर्ट ने टिप्पणी की कि हमारे देश में सभी धर्मों के लोग बहुत सौहार्दपूर्ण और मैत्रीपूर्ण हैं। आपसी सम्मान और प्यार कभी नहीं खोएगा। इसलिए आवेदक को कोई चिंता नहीं करनी चाहिए।
क्या कहता है वहां का कानून
बांग्लादेश ध्वज नियम 1972 के अनुसार देश में राष्ट्रीय ध्वज के ऊपर कोई अन्य झंडा नहीं फहराया जा सकता। इस कानून का पालन नहीं करने पर 2010 में किए गए संशोधनों के अनुसार एक साल तक की कैद, 5000 टका बांग्लादेशी तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। इसी मामले में दंड संहिता की धारा 124 का भी हवाला दिया गया है। जो राजद्रोह के किसी भी ऐसे काम के रूप में परिभाषित करती है, जो कानून द्वारा स्थापित सरकार के खिलाफ अवमानना या घृणा का माहौल पैदा करता हो। उम्र कैद की भी सजा हो सकती है।