
Chinese family is afraid of exile
- तिरोड़ी में 6 दशक से निवासरत हैं पूर्व चीनी सैनिक परिवार
- बार बार वीजा लेने की स्थिति में नहीं
बालाघाट। करीब छह दशक से भी अधिक समय से मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले की तिरोड़ी तहसील में निवासरत 83 वर्षीय पूर्व चीनी सैनिक वांग ची उर्फ राजबहादुर को इस समय अपने निर्वासन का डर सता रहा है। उनकी आर्थिक स्थिति इतनी सक्षम नहीं है कि हर बार बीजा के लिए चीनी दूतावास जा सकें।
चीनी दूतावास में अप्लाई नहीं कर पाए
भारत सरकार ने उनके बेटे विष्णु के मोबाइल पर 04 मई 2025 को पिता का वीजा समाप्त होने का मैसेज भेजा है। जिसके बाद पूरा परिवार कहीं पिता का निर्वासन ना हो जाए इस बात से डरा हुआ है। इस मैसेज में यह बताया गया था कि वांग ची को भारत में अपने प्रवास को नियमित करने के लिए या भारत छोड़ने के लिए फारेनर रजिस्ट्रेशन आफिस यानी विदेशी पंजीकरण कार्यालय या जिले के एसपी कार्यालय में संपर्क करना है। हालांकि वांग ची के परिवार ने अब तक कहीं कोई संपर्क नहीं किया हैं। वांग ची अब भी तिरोड़ी में ही हंै। मगर उनके परिवार को इस बात डर है कि कहीं सरकार और अधिकारी उनके पिता को भारत छोड़ने के लिए मजबूर ना कर दें। वांग ची के पुत्र विष्णु के मुताबिक भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव की स्थिति होने के कारण वह पिता के लान्ग टर्म वीजा के लिए चीनी दूतावास में अप्लाई नहीं कर पाए है। वह चाहते हैं कि उनके पिता यहीं पर रहे।
सात वर्ष जेल में गुजारे
वांग ची को वर्ष 1963 में भारतीय सेना से अरुणाचल प्रदेश में गिरफ्तार किया था। मार्च 1969 में अदालत के आदेश पर रिहा होने से पहले वह राजस्थान, पंजाब और यूपी की अलग अलग जेलों में करीब सात वर्ष तक सजा काटते रहे। इसके बाद सरकार ने उन्हें मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले के तिरोडी में छोड़ दिया। यहां वांग ची ने आटा चक्की का व्यवसाय शुरू किया। तिरोड़ी में रहते हुए वांग ची ने स्थानीय निवासी सुशीला से शादी की। जिनसे उन्हें तीन बच्चे हैं। जिनमें बेटा विष्णु भी शामिल है। उनका बेटा, दो बेटियां, पोता.पोती सब तिरोड़ी में ही रहते हैं।
वीजा की अवधि घटने लगी
विष्णु बताते है कि उनके पिता करीब 06 दशक से तिरोड़ी में ही निवास कर रहे हैं। उनके साथ कभी भी इस तरह की परेशानी नहीं आई। लेकिन जब वह पहली बार वर्ष 2017 में अपने परिवार से मिलने के लिए चीन गए, तब से उनके साथ वीजा लेने की परेशानी शुरू हुई।विष्णु के मुताबिक हर बार वीजा की अवधि को घटाया जाने लगा। पहले साल भर का वीजा मिला फिर 06 माह का और अब तीन.तीन माह का वीजा ही मिल पाता है।
आर्थिक स्थिति ठीक नहीं
विष्णु कहते है कि परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी मजबूत नहीं है कि वह हर बार 15 से 20 हजार रुपए खर्च कर तीन माह का वीजा प्राप्त करें। वह सरकार से गुजारिश करते है कि पिता को यहीं रहने दिया जाए। वांग ची के बेटे विष्णु ने बताया कि वह बहुत कम सैलरी की नौकरी करते हैं। अगर तीन तीन माह के वीजा के लिए पैसे मोटी रकम खर्च करने लगे तो उनका पूरा परिवार सड़क पर आ जाएगा।