
CG government is approved the new naxalism,the most wanted is due to dying
राष्ट्रमत न्यूज,रायपुर(रमेश कुमार‘रिपु’)। छत्तीसगढ़ नक्सलियों का सेंटर है। यहां के नक्सलियों का फालो अन्य राज्य के माओवादी करते हैं। पिछले ढाई दशक से नक्सलवाद की हवा छत्ताीसगढ़ में बह रही है। ग्यारह सौ से अधिक जवान मारे जा चुके हैं,अकेले छत्तीसगढ़ में।अभी तक मारे गए इनामी नक्सलियों से केवल नक्सलवाद की जड़ें हिली है। नक्सलवाद का किला नहीं ढहा है। वैसे भी कहा जा रहा है कि जब किसी महीने कोई नक्सली नहीं मारा जाता है तो पुलिस ग्रामीणों को गोली मार कर कहती है,इनामी नक्सली मारा गया। यह छत्तीसगढ़ में बहुत पहले से होता आ रहा है। इस समय छग सरकार एक नये नक्सलवाद को हरी झंडी दिखाने में अमादा है। जो चुनाव में साय सरकार को खा जाएगा।
नक्सलवाद कभी खत्म नहीं होगा
सवाल यह है कि क्या छह माह बाद नक्सलवाद छत्तीसगढ़ में खत्म हो जाएगा या फिर एक नये तरीका का नक्सलवाद छत्तीसगढ़ में आकार लेगा। विष्णु देव साय की सरकार मोदी की तरह अपने राज्य के लोगों कोे नौकरी देने की बजाय उनकी नौकरी खा रही है। 19 हजार एनएमएच के कर्मियों को बर्खास्त करके विष्णु देव सरकार लिम्बका बुक में अपना नाम दर्ज करा सकती हैं।लेकिन इसी में कई अरबन नक्सली हैं,जो नक्सली बन जायंेगे। मितानीन को बर्खास्त करने पर एक लाख से अधिक लोग बेरोजगार हो जाएंगे। यानी औसत चार लाख प्रभावित होंगे। गरीबी और बेरोजगारी का प्रतिशत बढेगा। राज्य में बेरोजगारी और गरीबी की कोख से सरकार विरोधी नक्सलवाद का जन्म होगा। जो अगले चुनाव में विष्णुदेव साय सरकार को खा जाएगा। डाॅ रमन सिंह की सरकार और भूपेश ब्रघेल की सरकार क्यों गयी,इसे विष्णुदेव साय को समझना चाहिए। वैसे नक्सलवाद कभी खत्म नहीं होगा। आदमी खत्म हो सकते हैं,पर विचार नहीं।
सरकार के लिए सिरदर्द
सरकार के लिए छत्तीसगढ़ के 25 से अधिक नक्सली सिरदर्द हैं। उनके खात्मे के लिए
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने 31 मार्च 2026 तक की डेड लाइन दियेा हैं। नक्सलियों के खिलाफ एआई तकनीक अपनाने को कहा गया है।नक्सलवाद के खात्मे का फैसला लिया है।इसके बाद नक्सलियों के खिलाफ छत्तीसगढ़ए मध्य प्रदेशए ओडिशा और तेलंगाना के अफसरों ने नक्सल ऑपरेशन तेज कर दी है। हिड़मा समेत 43 नक्सली मोस्ट वांटेड की लिस्ट में हैं। केंद्रीय अधिकारियों ने नक्सल प्रभावित राज्यों के अफसरों को बड़े लीडर्स को टारगेट कर मारने कहा है। छत्तीसगढ़ में फोर्स का अब अगला टारगेट हिड़मा सहित कई वांटेड नक्सली है। विष्णुदेव साय की सरकार जंगल के नक्सलियों के खात्मे की बात कर ही है जबकि अर्बन नक्सली उससे भी ज्यादा खतरनाक हैं। आने वाले चुनाव में सरकार उनके निशाने में है।

नए नक्सलवाद को हरी झंडी
सरकार की सूची में 43 नक्सली मोस्ट वांटेड हैं।इसमें छत्तीसगढ़ से 25 नक्सली तेलंगाना से 4 आंध्रप्रदेश से 5 कर्नाटक से 2 ओडिशा से 3 और झारखंड से 4 नक्सली लीडर्स शामिल हैं। मोस्ट वांटेड नक्सल लिस्ट में मुपल्ला लक्ष्मण राव,मलोजुल्ला, मिशिर बेसरा, माड़वी हिड़मा और थिप्पारी तिरुपति समेत 43 नक्सली हैं। ये तय तारीख तक रहेंगे या नहीं,विष्णुदेव साय की सरकार भी नहीं जानती।
लेकिन इससे इंकार नहीं है कि राज्य सरकार के अंदर विष्णु देव साय की सरकार भूख,गरीबी और बेरोजगारी पर नकेल लगाने में अब तक सफल नहीं हुई है। जबकि भूख,बेरोजगारी और गरीबी ही नक्सलवाद की असली वजह है।मितनानी,एनएमएच के खिलाफ सरकार की तानाशाही रवैया राज्य में एक नये नक्सलवाद को हरी झंडी दिखा रहा है। छग में गरीबी 40 फीसदी है। और 55 फीसदी लोग गरीबी रेखा के नीचे रह रहे हैं। यह सरकार के लिए कंटक है। सरकार अपने लिए पतन का रास्ता खुद बना रही है।