
Supreme court imposed 500000 fine on lawyer
नई दिल्ली (ब्यूरो)। नवजात बच्चों की चोरी और तस्करी से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा बयान दिया है। कोर्ट ने कहा है कि अगर किसी नवजात बच्चे को हॉस्पिटल से चुराया जाता है, तो सबसे पहले उस अस्पताल का लाइसेंस सस्पेंड कर देना चाहिए। बता दें कि शीर्ष अदालत ने यह टिप्पणी दिल्ली-एनसीआर में नवजात बच्चों की तस्करी के गैंग का पर्दाफाश होने को लेकर की है।
कोर्ट ने इस मामले में आदेश दिया और दिल्ली में पकड़े गए बच्चा चोरी गैंग का जिक्र भी किया है। कोर्ट ने कहा कि दिल्ली गैंग के पर्दाफाश होने की घटना हैरान कर देने वाली है, जिसके चलते इसमें कोर्ट के दखल की आवश्यकता है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस रिपोर्ट भी मांगी है।
कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से पूछे सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से पूछा है कि दिल्ली के अंदर और बाहर से सक्रिय इस तरह के बच्चा चोर गिरोहों से निपटने के लिए उनकी ओर से क्या कदम उठाए जा रहे हैं? बच्चा चोरी के इस मामले में कई आरोपी फरार हैं, इसको लेकर कोर्ट ने कहा है कि कुछ आरोपी फरार हैं तो उनके खिलाफ ट्रायल कोर्ट गैर जमानती वारंट जारी करें।
अस्पताल का लाइसेंस रद्द करें
इसके साथ ही कोर्ट ने कहा है कि तस्करी किए गए बच्चों को RTE के तहत स्कूल में भर्ती कराया जाता है और उन्हें शिक्षा प्रदान करना जारी रखता है। ट्रायल कोर्ट बीएनएसएस और UP राज्य कानून के तहत मुआवजे के संबंध में आदेश पारित करने के लिए भी निर्देश दिया।सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बाल तस्करी के मामलों को रोकने के लिए दिशानिर्देश जारी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि कोई नवजात शिशु चोरी होता है तो अस्पतालों का लाइसेंस रद्द कर दिया जाना चाहिए।
लापरवाही बरती तो होगा एक्शन
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने देश के सभी हाई कोर्ट को बाल तस्करी के मामलों में लंबित मुकदमे की स्थिति की जानकारी लेने का निर्देश देते हुए कहा कि लंबित मुकदमों को छह महीने में पूरा करने और मामलों के प्रतिदिन सुनवाई के आधार पर किए जाएंगे।कोर्ट ने यह भी कहा कि हमारे द्वारा जारी निर्देशों को लागू करने में अगर लापरवाही बरती गई तो उसे अवमानना के रूप में माना जाएगा।