
BJP lotus is in the grip of hand
रायपुर।(रमेश तिवारी ‘रिपु’)। दक्षिण विधान सभा रायपुर का उप चुनाव बीजेपी के लिए आनंददायी टी पार्टी साबित होगा, इसकी संभावना नहीं दिख रही है। बृजमोहन अग्रवाल को इस विधान सभा की जनता ने आठ बार विधायक बनाया। लेकिन कांग्रेसी भी जानते हैं कि वो कैसे बने। दक्षिण विधान सभा क्षेत्र में कांग्रेस के ज्यादातर बड़े नेता रहते हैं। वो चुनाव में सब सेट हो जाते थे। लेकिन इस बार ऐसी स्थिति नहीं है। इस बार यह चुनाव बृजमोहन अग्रवाल और कांग्रेस के बीच हो रहा है। यहां मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का कोई रोल नहीं है। उनके काम काज पर वोट सुनील सोनी को मिलने से रहा। सुनील सोनी सांसद रहे और मेयर भी रहे। लेकिन उन्होने रायपुर दक्षिण के लिए कुछ किया नहीं। उनकी निष्क्रिता उन्हें चुनाव जीतने नहीं दे रही है। उनकी निष्क्रियता,जनता के प्रति अनेदेखी से वोटर गुस्सा कर कांग्रेस को वोट कर रहा है तो कोई ताज्जुब नहीं।
भीतरघात कांग्रेस में नहीं
दक्षिण विधान सभा का उपचुनाव जीतना बृजमोहन की प्रतिष्ठा का सवाल है। यदि यहां से बीजेपी नहीं जीतती है तो बृजमोहन दो बातें कह सकते हैं कि इस विधान सभा की जनता केवल उन्हें देखकर वोट करती है। वो बीजेपी से किसी और को पसंद नहीं करती। और कांग्रेस से आकाश शर्मा जीतते हैं तो मैसेज यही जाएगा कि इस बार पूरी कांग्रेस एक है। दक्षिण विधान सभा के सभी कांग्रेसी बृजमोहन के हटने के बाद सुनील सोनी के साथ नहीं गए। भीतरघात कांग्रेस में नहीं बल्कि बीजेपी में अबकि बार देखा जा रहा है। प्रदेश में भले विष्णुदेव साय की सरकार है,मगर राजधानी में उनका कोई असर नहीं है। डाॅ रमन सिंह इस चुनाव में सामने आते तो चुनाव की दिशा बदल सकती थी। चूंकि वो विधान सभा के अध्यक्ष हैं,उनकी अब राजनीति की सीमाएं बदल गयी है। टीएस सिंह देव,भूपेश बघेल,चरणदास महंत,प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज सहित सभी बड़े कांग्रेस के नेताओं ने सड़क नापे हैं। संभावना यही है कि कांग्रेस के हाथ में कमल आ जाएगा। कमल यदि कुम्हलाया तो कांग्रेस विष्णुदेव साय सरकार पर भारी पड़ जाएगी। सत्ता विरोधी लहर की बजाए सुनील विरोधी लहर है।
बृजमोहन को भारी
वैसे राज्य में उप चुनाव में ज्यादातर सत्तारुढ़ पार्टी ही जीतती है। लेकिन ऐसा हर बार नहीं होता। कंाग्रेस के सभी बड़े नेताओं का आकाश शर्मा के लिए गली-गली मोहल्ला मोहल्ला प्रचार करना,गोष्ठी करना, हर दिन के प्रचार का मूल्यांकन करना और खामियांे को दूर करने की जो रणनीति बनाई गयी,उससे बृजमोहन को नुकसान होने का अंदेशा है। कांग्रेस बड़ी तेजी से दक्षिण विधान सभा में घर घर पहुंच गयी। यह चुनाव अकेले बृजमोहन अग्रवाल का है। विष्णु देव साय और बीजेपी का नहीं है। सुनील सोनी की निष्क्रियता और जनता के प्रति अनदेखी बृजमोहन को भारी पड़ सकती है। कांग्रेस के दक्षिण विधान सभा रायपुर जीत जाने से सरकार नहीं बन जाएगी। लेकिन बीजेपी के साथ सुनील सोनी जैसे बीजेपी नेताओं के लिए सबक होगा कि जनता उसे वोट करती है,जो जनता के साथ होता है। केवल पार्टी का सिंबल ही काफी नहीं होता।
बृजमोहन निष्क्रिय के साथ
बृजमोहन अग्रवाल को इस चुनाव में सुनील सोनी की वजह से झूठ बोलना पड़ा कि उन्होंने पांच हजार करोड़ के काम कराए हैं। कांग्रेस ने और जनता ने हिसाब मांगा तो नहीं दे सके। मोदी की तरह झूठ बोलने की आदत इन दिनों ज्यादातर बीजेपी नेताओं को हो गया है। कोमल शब्द और जुमला उछाल कर चुनाव जीतने का फार्मूला हर बार काम नहीं आता। कांग्रेस का आरोप है कि बृजमोहन अग्रवाल और सुनील सोनी जनता के बीच पांच -पांच सौ रुपए,चांदी की पायल,सोने के जेवर बांट रहे हैं। चुनाव और राजनीति में आरोप जरूरी है। अब तक बीजेपी यही मानकर चल रही थी कि दक्षिण विधान सभा बीजेपी का गढ़ है। यहां सेंध नहीं पड़ सकती। लेकिन ऐसा नहीं है। बीजेपी हाईकमान ने एक तीर से कईयों को निशाना बनाया है। सुनील सोनी को ही टिकट देना था,तो बृजमोहन को लोकसभा चुनाव क्यों लड़ाया। सिर्फ चेहरा क्यों बदला गया। बृजमोहन को हटाने के लिए या फिर सुनील को हटाने के लिए। अथवा दोनों को किनारे करने के लिए। यह चुनाव बृजमोहन अग्रवाल और सुनील सोनी दोनों की सियासत की परीक्षा है। बृजमोहन अग्रवाल आगे सियासी पासे फेके पाएंग या नहीं। सुनील सोनी सियासत में रहेंगे या नहीं। दक्षिण विधान सभा में बीजेपी के अन्य नेताओं की छवि ओझल हो जाती है। सुनील सोनी के साथ बृजमोहन का इस विधान सभा में वोट मांगने से उनकी छवि खराब हुई है। लोगों का सवाल है कि निष्क्रिय व्यक्ति के लिए वोट क्यों मांग रहे हैं। इसका जवाब उनके पास नहीं है। जाहिर है कि आज वोटर बिकेगा नहीं। अपने विवेक का इस्तेमाल करेगा।
तीन काम भी नही गिना पाए
भाटागांव के ज्यादातर लोगों का कहना है कि महतारी वंदन के नाम पर सरकार को सत्ता मिली। लेकिन चुनाव जीतने के बाद आधे लोगों को इस योजना का लाभ मिला। जिसको लाभ मिल रहा है उसको भाजपा के नेता धमकाने का काम कर रहे हैं कि हमे वोट दो नही तो इस योजना का पैसा नही मिलेगा। भाजपा के नेता चुनाव के समय बड़े-बड़े वादे किये थे, लेकिन चुनाव जीतेने के बाद अपना वादा भूल गये। 500 रू में गैस सिलेण्डर देने का वादा किये थे, यह भी भूल गये। भाजपा सरकार ने छत्तीसगढ़ के युवाओें को धोखा देने का काम किया। युवा मंत्रियो के बंगले के बाहर नौकरी के लिये आंदोलन कर रहे तो मंत्री लोग घर से बाहर नहीं निकल रहे है। इसलिये दक्षिण की जनता परिवर्तन करेगी। दो प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे। पहला भाजपा का प्रत्याशी सुनील सोनी जो महापौर और सांसद रह चुके हैं, लेकिन सबसे निष्क्रिय सांसद रहे है। दूसरी तरफ कांग्रेस ने आकाश शर्मा को टिकट दिया। टिकट मिलते ही उन्होंने सुनील सोनी से प्रश्न किया कि आपके शासनकाल के कोई भी तीन कार्य गिना दीजीये। लेकिन उन्होंने तीन काम भी नही गिना पाया। एक तरफ निष्क्रिय चेहरा है और दूसरी तरफ युवा और सक्रिय चेहरा है। बेरोजगारों की नौकरी मामले में ने सुनील सोनी आगे आए और न ही बृजमोहन अग्रवाल।
एक चर्चा ऐसी भी
चुनाव का परिणाम आने से पहले आम लोगों के बीच चर्चा है कि सुनील सोनी को 55 हजार वोट मिलेंगे और आकाश शर्मा को 63 हजार वोट। जनता के द्वारा खींची गयी तस्वीर लंबे समय तक बनी रहती है। ऐसा बहुत कम होता है कि वो बदल जाए। यदि चर्चा पर विश्वास किया जाए तो कांग्रेस यह चुनाव आठ हजार वोट से जीत जाएगी। शाम तक पता चलेगा कि चुनाव में हवा का रुख बदला या फिर यथावत है। यहां जो कार्टुन दिया जा रहा है वो इस वक्त दक्षिण विधान सभा रायपुर के मतदाताओं के मोबाइल में है। यह कार्टुन सच के कितना करीब है वोटर जाने। बहरहाल सवाल,मुद्दे और बदलाव की वजह से दक्षिण विधान सभा के उप चुनाव में भविष्य,अतीत से ज्यादा रोमांचक होने वाला है।