
Big manipulation in community building in the forest
बालाघाट(ब्यूरो)। शासन के पैसे की बर्बादी का जीता जागता नमूना देखना है तो वन विभाग के बनाए सामुदायिक भवन को देखा जा सकता है। जंगल में किस मकसद से सामुदायिक भवन बनाया गया था,यह तो वन विभाग ही जाने। हो सकता है अपने विभाग के कर्मचारियों के लिए बनवाया था। लेकिन जंगल में बने सामुदायिक भवन को देखकर यही लगता है,बड़ी हेराफेरी के लिए ऐसा किया गया है। क्यों कि रहने के लिए बनाया गया होता तो यहां कोई रहता। इसकी दुर्दशा की ओर वन विभाग के अला अफसरों का ने कभी ध्यान नहीं दिया। अब इन जर्जर सामुदायिक भवन में उल्लू और जंगली पशु पंक्षी रहते हैं। बड़ी हेराफेरी के लिए ही संभवतः जंगल में सामुदायिक भवन बनाए गए थे।
भूत बंगला लग रहे हैं
जिला लघु वनोपज के उपाध्यक्ष महेश मोहारे ने मुख्यमंत्री और कलेक्टर से मांग की शासन के लाखों रुपयों की बर्बादी करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। मध्यप्रदेश के अति नक्सल प्रभावित बालाघाट जिले में बहुत से निर्माण कार्य ऐसे है जो करोड़ों रुपए की बबार्दी ही साबित हो रहे है। बालाघाट जिले के दुर्गम और वनक्षेत्र में लाखों करोड़ों रुपए की लागत से बनाए गए सामुदायिक भवन बिना उपयोग के जंगलों में जर्जर होकर किसी भूत बंगले से कम नहीं लग रहे है।
दीवारों में दरारें आ गयी
बालाघाट जनपद पंचायत के अंतर्गत ग्राम पंचायत आमगांव के खारा, कोकमा, पोलबत्तुर में वनविभाग ने कुछ वर्ष पूर्व सामुदायिक भवन वन विभाग के कर्मचारियों के लिए बनाया था। लेकिन कभी इसमें कोई रहने नहीं गया। आज यह फिजुल खर्ची का यह जीता जागता नमूना बन कर रह गया है। इन सामुदायिक भवन की दिवारांे पर दरारे आ गई है। प्लास्टर के फर्स उखड़ गए हंै। इसके अलावा खिड़की दरवाजे टूट गए हैं। रख रखाव के अभाव में लाखो करोड़ों के ये निर्माण उन लोगो को चिढ़ाने का काम कर रहे हैं, जो रोटी, कपड़ा, मकान और अन्य मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे है।
वन विभाग की नाकामी का प्रमाण
राष्ट्रमत की टीम ने सघन वनों से घिरे पोलबात्तूर, कोकमा, कुर्थीटोला में दौरा किया। पाया कि लाखों की लागत से बने सामुदायिक भवन में पैसे की बर्बादी के सिवा कुछ नहीं है। घटिया निर्माण की वजह से सारे भवन समय से पहले जर्जर हो गए हैं। जो वन विभाग की नाकामी का प्रमाण है। हैरानी वाली बात है कि जंगल में बने सामुदायिक भवन का कोई उपयोग नहीं होने की बात वन विभाग के अफसरों ने भी नहीं की। इसकी शिकायत जिला लघु वनोपज के उपाध्यक्ष महेश मोहारे ने मुख्यमंत्री और कलेक्टर से मांग की शासन के लाखों रुपयों की बर्बादी करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।