
Bawandhadi river died whitout water
बालाघाट (ब्यूरो)। अभी गरमी की शुरूआत ठीक से हो भी नहीं पाई कि उससे पहले ही बावनधड़ी नदी सूख गयी। इसके सूख जाने से आस पास का जल स्त्रोत सूख गए हैं। हैं। बावनधड़ी नदी के सूख जाने से सबसे अधिक महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के किसान प्रभावित हो रहे हैं। धान और गन्ने की फसल सूखने लगी है। जल संकट गहराने के चलते अभी से हहाकार मचने लगा है।
गन्ना और धान की फसल सूखने लगी
विगत दस वर्षों से आम जनता और किसानों की मांग को ध्यान में रखकर प्रशासन हर बरस अप्रैल व मई माह के अंत मे श्राजीव सागर बांध का पानी बावनथडी नदी एंव नहरों के माध्यम से नालों मे छोड़ाता आया है।ू बारिश का मौसम खत्म होने के बाद कभी भी बेमौसम बारिश नही हुई। जिसके चलते वर्ष 2025 के मार्च महिने मे ही सभी जलस्त्रोत सुख गये अथवा सूखने की कगार पर हैं। परिणाम स्वरूप हजारों हेक्टेयर मे लगी धान एंव गन्ने की फसल पानी के अभाव में सूखने की वजह से चैपट होने रही है।
नल-जल योजना पर असर
बावनथड़ी नदी से संचालित लगभग आधा सैकड़ा गांवो की नल-जल योजना पानी के अभाव मे दम तोड़ती नजर आ रही है। जिसमें ग्राम बड़पानी, मासुलखापा, कोड़बी, दिग्धा, आंजनबिहरी, बम्हनी, बोनकट्टा, हरदोली, पुलपुट्टा, छतेरा, चंद्रकुआ, टेकाड़ी, चिचोली, शंकर पिपरिया,डोंगरिया, मोवाड़ एंव महाराष्ट्र के बावनथडी नदी किनारे पर बये 20 से 25 गांव प्रभावित हो रहे हैं।
रेत खनन से मर गयी बावनधड़ी
मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र दोनों राज्यों की सीमा क्षेत्र मे बावनथड़ी नदी से अधाधुंध रेत का उत्खनन भी हुआ है। जिससे पानी की कमी खलने लगी है और उसका दंश किसानों को भुगतना पड़ रहा है। क्योंकि रेत मे जल स्तर बढा़ने की क्षमता होती है। कुछ वर्षों से बावनथड़ी नदी से लगभग 10 फिट रेत निकलने से नदी अधिक गहरी हो गयी हैं। ऐसी स्थिति मे बावनथड़ी नदी का जलस्तर बढाना हो तो शासन के द्वारा बावनथड़ी नदी पर 5.5 कि.मी. अंतराल पर चेक डैम, स्टाप डैम का निर्माण कराना होगा। और रेत उत्खनन पर प्रतिबंद्ध लगाना होगा। तभी बावनथडी नदी का जलस्तर बढ़ सकता हैं। भविष्य की दृष्टि से यह कारगर कदम भी साबित होगा।
किसान आंदोलन के लिए बाध्य
विगत 10 वर्ष पहले पहली बार बावनथडी नदी में पानी छोड़ा गया था,तब मात्र 12 फीसदी पानी ही श्राजीव सागर बांध में उपलब्ध था। उस दौर में शासन प्रशासन ने भी हाथ खडे़ कर दिये थे। परंतु समय- समय पर आम जनता और किसानों के हित में कार्य करते हुए पठार क्षेत्र का सामाजिक संघठन पठार संघर्ष समिति के अथक प्रयास एंव आंदोलन के दबाव के चलते तत्कालीन कलेक्टर भरत यादव ने मामले की गंभीरता को संज्ञान मे लेते हुए श्राजीव सागर बांध का पानी बावनथडी नदी मे छोड़ने के निर्देश दिये थे। तब से लेकर आज तक पठार संघर्ष समिति किसानों की आवाज को बुलंद करते हुये दिखाई देती है। एक बार फिर पठार संघर्ष समिति के द्वारा के द्वारा शासन प्रशासन से श्राजीव सागर बांध का पानी बावनथडी नदी मे छोड़ने की मांग की गई है। यदि किसान हित मे निर्णय नही लिया गया तो क्षेत्र के किसान आंदोलन के लिए बाध्य हो सकते है।