
Balaghat the most stork in balaghat
राष्ट्रमत न्यूज, बालाघाट । पर्यावरण एवं वन्यजीव संरक्षण को बनाये रखने के लिए अविरत कार्यरत “सेवा” संस्था एंव दक्षिण-उत्तर वनमंडल बालाघाट के साथ ही जिला पुरातत्व एवं संस्कृति परिषद बालाघाट तथा स्थानिक किसान सारसमित्र के सहयोग से सारस गणना का कार्य पारंपारिक तथा शास्त्रीय पध्दती से किया गया। चार दिनों तक चली सारस गणना में बालाघाट जिले में कुल 60 से 70 जगहों पर सेवा संस्था के सदस्य स्थानीय किसान, सारस मित्र तथा वन विभाग बालाघाट के अधिकारी तथा कर्मचारियों द्वारा सारस गणना को अंजाम दिया गया। बालाघाट जिले में 25 टीमे बनाकर सारस के विश्रांती स्थल पर सुबह 5 बजे पहुंचकर 9 बजे तक विविध स्थानों पर प्रत्यक्ष जाकर गणना की गयी। प्रत्येक टिम में 2 से 4 सेवा संस्था के सदस्य तथा वनविभाग कर्मचारियों का समावेश किया गया था ।
सारस संरक्षण अभियान
संस्था के सदस्यों द्वारा पुरे वर्षभर सारस के विश्राम स्थल, प्रजनन अधिवास तथा भोजन के लिए उपयुक्त भ्रमण मार्ग का अभ्यास किया जाता है । सारस पक्षी के अधिवास के आसपास रहनेवाले किसानों को सारस का महत्व बताकर उसके संरक्षण एवं संवर्धन के लिए प्रेरित किया जाता है तथा परिसर के स्कुल महाविद्यालयों में जाकर विद्यार्थियों को पर्यावरण एवं सारस संवर्धन एवं संरक्षण से संबंधित कार्यक्रमों के माध्यम से सारस संरक्षण अभियान से जोड़ा जाता है। बाघ एवं वैनगंगा नदी महाराष्ट्र तथा मध्यप्रदेश के गोंदिया तथा बालाघाट जिलों को विभाजित करती है। भौगोलिक दृष्टिकोण से नदी के दोनों ओर के प्रदेश की जैवविविधता मे काफी समानता पायी जी है। अतः कुछ सारस के जोडें अधिवास तथा भोजन के लिए दोनों ओर के प्रदेशों में समान रूप से विचरण करते पाये जाते है। सिमाओं का बंधन उनके लिए मायने नही रखता।
आकडों में सारस गणना
चार दिनों तक चली सारस गणना में गोंदिया जिले में 30, भंडारा जिले में 04 एवं बालाघाट जिले में 48 सारस की गणना की गई। बताया गया कि पिछले चार साल में सारस पक्षीयो की संख्या स्थिती देखे तो 2020 में जिले में 58, 2021 में 47, 2022 में 45, 2023 में 48, 2024 में 45 तथा 2025 में अभी की गणना की स्थिति में 48 सारस पाए गए है।