
Babuji walks slowly on the streets of bhopal..
राष्ट्रमत न्यूज,भोपाल(ब्यूरो)। किसी भी शहर की पहचान सड़कें होती हैं। सड़के देखकर बाहर का व्यक्ति आकलन करने लगता है शहर के विकास का। वैसे राजनीतिक भाषा में सड़कों को विकास का धमनी कहा जाता है। लेकिन मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में ये धमनियां हर बारिश के साथ फटने लगती हैं।नगर से लेकर मिसरोद,भोजपुर रोड और हबीबगंज तक हालात एक जैसे हैं। कहीं सड़कें उखड़ी हैं। कहीं गड्ढों ने पूरी लेन निगल ली है। राष्ट्रमत ने दो दिनों तक राजधानी की अलग-अलग सड़कों पर चलकर जायजा लिया कि कहां की सड़क सबसे बेहतर है।
सरकारी दावे गड्ढे में
मुख्यमंत्री डाॅ मोहन यादव भले बाहर के जिले में जाकर कहते हैं कि बीजेपी का एक ही मकसद विकास करना। शिवराज की भाषा सभी मंत्री बोलते हैं कि विकास का पहिया थमेगा नहीं। लेकिन नेताओं के सरकारी दावेे गड्ढों में सहज ही डूब रहे हैं।हल्की बारिश में ही राज्य की राजधानी की सड़कें छोटे तालाब में तब्दील हो जाती हैं। आइये राजधानी की सड़कों का सच जानें।
ढंग से सड़क की रिपेरिंग जरूरी
मिसरोद से भोजपुर रोड की पहचान है गड्ढे। सड़क पर गड्ढे की वजह से यहां आए दिन हादसे होते रहते हैं। इस सड़क पर चलने वाले रोहित धाकड़ ने कहा कि एक दिन मेरी बाइक फंस गयी। जिससे गिर गए।गड्ढे में पानी भरा था,जिससे यह पता नहीं चला कि गड्ढा है। अंगूठे का नाखून तक निकलवाना पड़ा था। सविता मिश्रा कहती हैं कि सड़क की रिपेयरिंग होती है,लेकिन जैसा होना चाहिए वैसा नहीं होता। इसलिए आए दिन सड़क खराब हो जीती है।
रोज पटलते हैं ई रिक्शा
भोपाल रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर 6 की ओर जाने वाली सड़क पर चलना यानी खतरे को न्यौता देना है। इस मार्ग पर ई रिक्शा आए दिन पलट जाते हैं। सड़क पर बीच रास्ते खुला नाला दुर्घटना का कारण बना हुआ है। इस मार्ग पर कोई गिर गया तो उसका अस्पताल जाना तय है। रेलवे स्टेशन में जो पहली बार आता है प्लेट फार्म नम्बर पर 6 से निकला तो उसका यहां की सड़कें स्वागत करती है,उसे अस्पताल पहुंचाने के लिए। इस इलाके में हल्की सी भी बारिश हो जाए तो ये सड़क राजधानी के छोटे तालाब को चुनौती देने लगती है। स्थानीय नागरिक दिलीप ठाकुर बताते हैं कि इस सड़क पर रोज कम से कम 5 से 10 आॅटो पलट जाते हैं। कहीं-कहीं पर तो घुटने तक पानी भर जाता है। ये सड़क 11-12 साल से खराब है।
नयी तकनीक से बनाएंगे सड़क
नगरीय प्रशासन विभाग के आयुक्त संकेत भोंडवे मौजूद रहे कहते हैं कि भोपाल की सड़कों को नई तकनीक से बनाएंगे। नई मशीन में बिटुमिन की जगह सीलेंट और एडेसिव का इस्तेमाल होगा ताकि बारिश में सड़कों की परतें बार-बार न बहें। आयुक्त संकेत भोंडवे ने बताया कि बारिश के सीजन में रोड की समस्या होती है।हम इसको नई टेक्नोलाजी के साथ सुधारना है। अभी हमने शुरुआत की है। जल्द ही इंडियन रोड कांग्रेस के मापदंड के मुताबिक सड़कों की स्थिति में सुधार आपको दिखेगा।
अगली बारिश का इंतजार
भोपाल में सड़कें टूटती हैं।गड्ढे बनते हैं। हादसे होते हैं।मरम्मत होती है और ये सिलसिला हर साल चलता रहता है। इस बार नई मशीनें आई हैं। तकनीक बदली है। बारिश के बाद भोपाल की सड़कों की तस्वीर कितनी बदलती है,अगली बारिश तक इंतजार करना पड़ेगा।।