
Atishi said on LGS letter think about the betterment of delhi
नई दिल्ली(ब्यूरो)। दिल्ली के राजनीतिक गलियारे में एलजी का एक लेटर खूब वायरल हो रहा है। जिसमें उन्होंने लिखा है दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी का केजरीवाल की तरफ से अपमान हुआ है। एक इन्टरव्यूह में केजरीवाल ने आतिशी को अस्थायी सी.एम. कहा था। एलजी वी.के. सक्सेना कह रहे हैं आतिशी को अस्थायी मुख्यमंत्री कहे जाने से मुझे बेहद दुख हुआ है। वहीं आतिशी कह रही है कि एलजी को राजनीति छोड़ कर दिल्ली की बेहतरी के बारे में सोचना चाहिए।
दिल्ली की बेहतरी के बारे में सोचिए
सीएम आतिशी ने दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना को कहा कि आप गंदी राजनीति करने के करने की बजाए दिल्ली की बेहतरी के बारे मे सोचिए। केजरीवाल ने तो साढ़े 9 साल तक दिल्ली की बेहतरी का काम किया है, केजरीवाल को बार-बार जनता ने जिताया है। आतिशी ने आगे कहा कि जिस तरह से आपने महिला सम्मान योजना में अड़ंगा डालने का काम किया, मैं उससे आहत हूं। मैं तो केजरीवाल जी के रास्ते पर चल सरकार चला रही हूं।
केजरीवाल ने आतिशी को कह दिया
अब जानकारी के लिए बता दें कि एलजी वीके सक्सेना ने इस बात पर नाराजगी जताई थी कि एक इंटरव्यू में केजरीवाल ने आतिशी को अस्थाई सीएम कह दिया था। अपनी चिट्ठी में इस बारे में एलजी ने कहा कि आतिशी को अस्थाई मुख्यमंत्री कहने से मुझे काफी दुख हुआ है और यह सिर्फ उनका ही अपमान नहीं है बल्कि उन्हें नियुक्त करने वालीं भारत की राष्ट्रपति और उनके प्रतिनिधि के रूप में मेरा भी अपमान है।
सक्सेना ने मुख्यमंत्री अतिशी को पत्र लिखा
दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने मुख्यमंत्री अतिशी को पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल पर आरोप लगाया है कि उन्होंने आतिशी को अस्थायी मुख्यमंत्री घोषित किया और यह बेहद आपत्तिजनक है। बताना होगा कि दिल्ली में विधानसभा के चुनाव की तारीखों का जल्द ही ऐलान होने वाला है।
मुझे काफी दुख हुआ
LG विनय कुमार सक्सेना ने कहा है, “आतिशी को अस्थाई मुख्यमंत्री कहने से मुझे काफी दुख हुआ है और यह सिर्फ उनका ही अपमान नहीं है बल्कि उन्हें नियुक्त करने वालीं भारत की राष्ट्रपति और उनके प्रतिनिधि के रूप में मेरा भी अपमान है।”LG ने पत्र में लिखा है कि उन्होंने अपने कार्यकाल में पहली बार मुख्यमंत्री पद पर बैठे किसी व्यक्ति को काम करते देखा है क्योंकि इससे पहले जब अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री थे तो उनके पास सरकार का एक भी विभाग नहीं था और ना ही वह फाइलों पर दस्तखत करते थे।