
Abhay on the target of deputy CM and KP,, congress on BJP target
- एक रात में के.पी.ने यूं टर्न लिया
और संसद में अभय का कोहराम
राष्ट्रमत न्यूज,रीवा(ब्यूरो)। सेमरिया विधायक अभय मिश्रा के फार्म हाउस सुमन वाटिका में अभिषेक तिवारी के साथ निर्दयी तरीके से हुई मारपीट का मामला अब विधान सभा तक पहुंच गया है। अभय मिश्रा स्वयं इस मामले को उठाये। वो पूरी सदन को यह बताना चाहते हैं कि डिप्टी सी.एम के इशारे पर उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। डिप्टी सी.एम अभय के टारगेट पर हैं और अभय डिप्टी सी.एम के। अभय के बहाने बीजेपी कांग्रेस को घेरने की रणनीति बनाई है। और कांग्रेस अभय के बचाव के लिए रास्ते तलाशने में जुट गयी है। जाहिर है आने वाले समय में यह मुद्द केवल रीवा का ही बनकर सिमट नहीं जाएगा, बल्कि प्रदेश की सियासत पर गहरा असर छोड़ेगा। इस मामले से दो बातें होगी। अभय की सियासत की फजीहत करना और डिप्टी सी.एम की छवि को धूमिल करना। और रीवा में के.पी. के जरिये सियासी आतंक मचाना।
टन भर सियासत
अभिषेक तिवारी और अशोक तिवारी दो कर्मचारियों के बीच का मामला बता रही है कांग्रेस। वहीं बीजेपी और पीड़ित का अब कहना है कि अभय मिश्रा ने तीस लाठी मारी और अपने गुर्गो से पिटवाया। मामले की जांच होने से रही है। इसलिए कि डिप्टी सीएम को मसाला मिल गया अभय के खिलाफ। अभय को जेल भिजवाने बीजेपी तैयारी कर ली है।परेशानी पुलिस की है।अभिषेक तिवारी बीजेपी का मोहरा बन गए हैं। अब राजनीति होगी और जमकर होगी।
अभय मिश्रा का फार्म हाउस सुमन वाटिका
अनुशासनात्मक कार्रवाई का डर
अभय मिश्रा के खिलाफ अपहरण,लूट और जानलेवा हमला का मुकदमा दर्ज कराने में बीजेपी लगी हुई है। उधर कांग्रेस पुलिस अफसरों को ज्ञापन देकर कह रही है उनके विधायक पर जबरिया झूठा मुकदमा दर्ज किया जा रहा है। अभय मिश्रा स्वयं विधान सभा में इस मामले को उठाया। कैलाश विजयवर्गीय ने कहा इस मामले की जानकारी मुख्यमंत्री को है। अभय का कहना है कि उनके खिलाफ फर्जी मुकदमा दर्ज किया गया है और महिला सी.एस.पी. के साथ बदतमीजी करने वाले पूर्व विधायक के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की गयी। के.पी.त्रिपाठी की अभद्रता की सोशल मीडिया में खूब खिलाफत हुई तो एक रात में ही उन्होंने यूं टर्न ले लिया। माफी का वीडियो जारी कर दिया। भीड़ में उन्होंने महिला सीएसपी की बेइज्जती की और वीडियो जारी कर माफी मांगने का सियासी सलाह डिप्टी सीएम का हो सकता है। लेकिन सार्वजनिक जीवन में ऐसा नहीं होता। अनुशासन भंग करने के आरोप में के.पी के खिलाफ पार्टी अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल भिंड की तरह कार्रवाई कर सकते हैं।
लड़ाई अब नए रंग में
सेमरिया विधायक अभय मिश्रा की सियासी लड़ाई डिप्टी सी.एम राजेन्द्र शुक्ला से है। डिप्टी सी.एम खुद सामने आकर नहीं लड़ते अभय मिश्रा की तरह। न ही गिरे शब्दों का इस्तेमाल करते हैं। इसके लिए उन्होंने काम सौंप रखा है के.पी. त्रिपाठी को। और वो मवाली अंदाज में साहित्यिक भाषा का इस्तेमाल करते हैं। जैसा कि उन्होंने महिला सीएसपी रितु उपाध्याय को असंवेदनशील महिला बार बार कहा। इसके अलावा उनकी भंगिमा और तेवर पूरी तरह डाॅन की तरह है। वो सियासी डाॅन हैं नहीं, बल्कि डिप्टी सीएम के दम पर उछलते हैं। अभय के फार्म हाउस में मारपीट की घटना सियासी रंग ले ले लिया है। रीवा से विधान सभा तक पहुंच गया है। रीवा में अभय की सियासत पर कालिख मलने बीजपी एड़ी चोटी एक किये हुए है। अभय मिश्रा की भाषा डिप्टी सीएम के लिए उसी तरह की है, जिस तरह के.पी.त्रिपाठी की भाषा अभय मिश्रा के लिए है। यह लड़ाई अब सड़क से सदन और कोर्ट तक जाएगी।
शुक्ला मीडिया और अभय मीडिया
देश में गोदी मीडिया है। और राहुल मीडिया है। उसी तर्ज पर राज्यों में और जिला में मीडिया है। रीवा में शुक्ला मीडिया और अभय मीडिया है। अभय मीडिया वाले के.पी के खिलाफत करे रहे हैं और अभय मिश्रा को पाक साफ बताने में लगे हैं। अभी तक डिप्टी सीएम राजेन्द्र शुक्ला ने अभय मिश्रा के फार्म हाउस में अभिषेक के साथ हुई मारपीट पर एक शब्द नहीं बोले। जबकि पूरी बीजेपी और उसके नेता सड़क से एसपी,आईजी आॅफिस तक का सफर तय कर लिया है। कांग्रेस ने महिला कांग्रेस को आगे करके के.पी त्रिपाठी को एक रात में माफी मांगने के लिए विवश कर दिया है।
पुलिस दबाव में सत्ता पक्ष के
पुलिस संशय में है। वो विपक्ष की सुने या फिर सत्तापक्ष की। जाहिर सी बात है कि देर सबेर अभय मिश्रा के खिलाफ और धाराएं लग सकती है। यदि ऐसा हुआ तो उन्हें कोर्ट से अपनी जमानत करानी पड़ेगी। लेकिन डिप्टी सी.एम नहीं चाहेंगे कि अभय मिश्रा की जमानत हो। अभिषेक पीड़ित व्यक्ति तो केवल मोहरा है। उसकी आड़ में अभय मिश्रा की राजनीति और उनकी छवि को भद्द करना डिप्टी सीएम का मकसद है।
सियासत,मारपीट और प्रदर्शन
संभागीय मुख्यालय रीवा में सियासी लड़ाई के केन्द्र में अभय मिश्रा और डिप्टी सीएम राजेन्द्र शुक्ला के साथ के.पी.त्रिपाठी है। और इन तीन नेताओं के साथ सोशल मीडिया के पत्रकार। पीड़ित पक्ष अभिषेक को बीजेपी वाले जैसा कह रहे हैं,वो वैसा कर रहा है। लेकिन वो नहीं जानता कि आने वाले समय में उसका कितना इस्तेमाल होगा। के.पी. त्रिपाठी की सियासी महत्वाकांक्षा रह रह कर आग की तरह भड़क उठती है। इसलिए कि वो अभय मिश्रा से चुनाव हार गए हैं। और दूसरी ओर डिप्टी सीएम की आॅंख की किरकिरी बने हुए हैं अभय मिश्रा विधायक बनकर। उफान पर है इस समय कांग्रेस और बीजेपी की राजनीति। बरसों तक नेपथ्य में रहे वीरेन्द्र गुप्ता के बीजेपी जिला अध्यक्ष बनने पर वो भी अब डिप्टी सी.एम को खुश करने अभय मिश्रा के खिलाफ खड़े हो गए हैं। यह उनकी पार्टी के प्रति हस्तिनापुर जैसा रिश्ता है। अभय मिश्रा के खिलाफ चुनाव तक एक दर्जन मुकदमा दर्ज कराने की बीजेपी साजिश का जाल बुन ली है। ताकि अगला चुनाव तक वो नेता से अपराधिक नेता के बतौर जाने जाएं। डिप्टी सी.एम जिले में सिर्फ एक व्यक्ति से टकराने से बिदकते हैं वो हैं अभय मिश्रा। इसलिए उन्होंने के. पी. त्रिपाठी को इस काम में लगा दिये हैं। बदले की राजनीति दोनों तरफ से की जा रही है। अभय की तरफ से और डिप्टी सीएम की तरफ से। बदले की यह सियासत किसकी सियासत का गला दबाएगी यह तो रीवा वाले भी नहीं जानते।