
Premchand is in realistic tradition,and amarkant talks on reality -dr tripathi
राष्ट्रमत न्यूज,रीवा(ब्यूरो)। अमरकांत जी ने बहुत लिखा है । प्रेमचन्द की यथार्थवादी परंपरा में । प्रेमचन्द में यथार्थ भी है और आदर्शों तक पहुंचाने की कोशिश भी । लेकिन अमरकांत यथार्थ पर ही अपनी बातें करते हैं और यही दोनों में तात्विक अंतर भी है । विगत दिवस म0प्र0 प्रगतिशील लेखक संघ, जिला इकाई, रीवा द्वारा कथाकार अमरकांत की जन्म शताब्दी पर एक रचनात्मक गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें उक्त बातें वरिष्ठ आलोचक और मध्य प्रदेश प्रगतिशील लेखक संघ के प्रांतीय अध्यक्ष प्रो. सेवाराम त्रिपाठी ने कहीं ।

यथार्थ को गहराई से उकेरा है
प्रो0 त्रिपाठी ने कहा कि अमरकांत के उपन्यास तो ज़्यादा सफल नहीं हो पाए, लेकिन कहानियों के क्षेत्र में वे महत्वपूर्ण स्थान रखते है । अमरकांत ऐसे लेखक हैं जिन्हें शताब्दियाँ याद करती हैं । अमरकांत ने अपने लेखन में जीवन यथार्थ को गहराई से उकेरा है । उनकी कहानियों ‘डिप्टी कलेक्टरी’, जि़न्दगी और जोंक’ तथा ‘दोपहर का भोजन’ का जिक्र करते हुए प्रो0 त्रिपाठी ने कहा कि अमरकांत को समाज का सूक्ष्म अनुभव है, वे अनुभव की गांठ लेकर चलते हैं । वे भाषा का खेल नहीं खेलते, वे जीवन संघर्षों को बहुत सादगी और सजीदगी के साथ चित्रित करते हैं ।
प्रेमचन्द से आगे थे अमरकांत
अध्यक्षीय वक्तव्य में प्रसिद्ध कथाकार डॉ0 विवेक द्विवेदी ने अमरकांत के रचनात्मक अवदान और रचना दृष्टि पर चर्चा करते हुए कहा कि अमरकांत यथार्थ के मामले में प्रेमचन्द से आगे थे । अपने लेखन से अमरकांत परिस्थितियों के इशारों से पाठकों को समझाने का प्रयास करते है । दोपहर का भोजन कहानी का जिक्र करते हुए डॉ0 द्विवेदी ने कहा कि यह कहानी एक गृहस्वामिनी की पीडा को दर्शाती है, वह परिवार के सदस्यों में सामंजस्य स्थापित करने के लिए झूठ-सच का सहारा लेती है और सबको संतुष्ट भी रखने का प्रयास करती है । उनका कुशल लेखन पाठकों को आसानी से समझ में आता है ।
भावों को भावपूर्ण ढंग से रखा
गोष्ठी की शुरूआत अमरकांत की प्रसिद्ध कहानी ‘दोपहर का भोजन’ के वाचन से हुई । रीवा इकाई के महासचिव डॉ0 बृजेश त्रिपाठी ने कहानी का वाचन किया और ‘डिप्टी कलेक्टरी’ कहानी की पड़ताल की । इस कहानी पर चर्चा करते हुए डॉ0 त्रिपाठी ने कहा कि पिता के हृदय में प्रगाढ़ होते विश्वास और पुत्र के प्रति प्रेम इस बात का प्रमाण कि वह अब मन से सफल होना चाहता है, मेहनत कर रहा है । अपने बेटे को सफल देखने की चाह में और उसको खोने का डर दोनो भावों को बहुत ही भावपूर्ण ढंग से रखा ।

सरल शब्दों के जादूगर हैं अमरकांत
अमरकांत जी की कहानियों पर बात करते हुए पहले वक्ता भृगुनाथ पाण्डेय ‘भ्रमर’ द्वारा उनकी कहानी ‘डिप्टी कलेक्टरी’ का आद्योपांत सूक्ष्म विष्लेषण करते हुए कहा गया कि – इस कहानी का पिता बहुत संवेदनशील है । कथाकार एवं प्रलेस इकाई रीवा के अध्यक्ष डॉ0 लाल जी गौतम ने ज़िन्दगी और जोंक कहानी का जिक्र करते हुए कहा कि समाज के अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति रजुआ को उन्होंने कहानी के केन्द्र में रखा । डॉ0 गौतम ने यह भी कहा कि अमरकांत अपनी कहानियों में देशज शब्दों का प्रयोग बहुत ही सहजता से करते हैं । जैसे अपनी कहानियों में वे तरकारी शब्द का प्रभावशाली प्रयोग करते हैं । सरल शब्दों में अपनी बात को मजबूती से रखना अमरकांत का मुख्य उद्देश्य था । सच तो यह है कि सरल शब्दों के जादूगर हैं अमरकांत।
स्त्री विमर्श का भी पक्ष रखा
प्रसिद्ध कथाकार सपना सिंह जी ने अपनी बात रखते हुए कहा कि नए पाठकों को अमरकांत को पढना चाहिए । वर्तमान समय मे जीवन का संघर्ष बहुत बढ़ गया है । अमरकांत की कहानियो में चित्रित स्त्री् विमर्श पर भी अपनी बाते प्रमुखता से रखी । श्री रमाकांत तिवारी, सह संपादक, उपनयन पत्रिका ने अपनी बात रखते हुए कहा कि जीवन को दो चीज़ें – अच्छी किताबें और अच्छे मित्र बदलते हैं। नई पीढ़ी को मोबाइल के साथ ही किताबों का अध्ययन करना चाहिए। उपनयन पत्रिका के संपादक डॉ० ओमप्रकाश ने अमरकांत के सहज, सरल व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला । उन्होंने अमरकांत के भाषा और शिल्प पर अपनी बातें रखी । रीवा जिला इकाई के अध्यक्ष डॉ0 लाल जी गौतम ने कार्यक्रम का संचालन किया । आभार प्रदर्शन महासचिव बृजेश त्रिपाठी द्वारा किया गया ।