
10 lakh spent in ministers 40 minute program,mattress sheet came from bilb shop
राष्ट्रमत न्यूज,मऊगंज(ब्यूरो) । मध्य प्रदेश में जल संवर्धन योजना भ्रष्टाचार का जरिया बन गयी है। शहडोल में एक घंटे में 14 किलो ड्राई फ्रूट अफसर खा गए थे।और पचास रसगुल्ला भी। बोरी बंधान के कार्यक्रम में कलेक्टर पहुंचे थे। अब वैसा ही घोटाला मऊगंज में हुआ। अंतर इतना है कि यहां कलेक्टर की जगह मंत्री प्रहलाद पटेल हैं। उनके लिए गद्दा और चादर की व्यवस्था में दस लाख खर्च हो गए। जबकि उनका कार्यक्रम मात्र चालीस मिनट का था। भ्रष्टाचार करने वाले अफसरों ने दिमाग भी नहीं लगाया कि बल्व बेचने वाली दुकान से गद्दा और चादर किराए पर मंगाया। दुकानदार ने बिल भी बनाकर दे दिया।
एक बोतल पानी नहीं मिला
मऊगंज में 17 अप्रैल को आयोजित कार्यक्रम में पंचायत मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम थे। जल संवर्धन कार्यक्रम में जनपद अध्यक्ष नीलम सिंह समेत करीब 150 लोग मौजूद रहे। कार्यक्रम में मेहमानों को एक बोतल पानी तक नहीं मिला।
मामले की जांच के आदेश
जनपद अध्यक्ष और सदस्य का आरोप है कि कार्यक्रम के लिए ढाई लाख रुपए मंजूर किए गए थे। लेकिन बिना प्रशासनिक अनुमति के 10 लाख रुपए का बिल लगाकर रुपए निकाला गया। इसकी शिकायत कलेक्टर अजय कुमार जैन से करने पर उन्होंने दो दिन पहले जांच के आदेश दिए हैं।
बिलों को समिति से मंजूरी नहीं
मऊगंज जनपद अध्यक्ष नीलम सिंह का आरोप है कि कार्यक्रम में हम भी मौजूद थे। इसी कार्यक्रम के लिए 9 लाख 85 हजार रुपए निकाले गए हैं। कार्यक्रम के बिलों के लिए प्रशासनिक समिति से मंजूरी भी नहीं ली गई। और अफसरों ने अपनी मनमानी की।
टैंकर का पानी पिलाया गया
अफसरों ने प्रदीप इंटरप्राइजेज दुकान से खरीदी दिखाया। जबकि यह दुकान है ही नहीं। कार्यक्रम के नाम पर गद्दे और चादर 30-35 रुपए प्रति यूनिट की दर से किराए पर लिए गए। वह भी इलेक्ट्रिक दुकान से। जबकि ऐसी किसी दुकान का अस्तित्व नहीं है।किराना, मिठाई, लाइट, टेंट, नाश्ता, सब कुछ इसी वेंडर से खरीदा गया। जिसे लोगों ने गांव वालों का कहना है कि उन्हें टैंकर का पानी पिलाया गया। खाना,नाश्ता दूर की बात थी।
ऐसे खुलासा हुआ घोटाले का
उमरी वार्ड नंबर 8 के जनपद सदस्य शेख मुख्तार सिद्दीकी ने इस फर्जीवाड़े को पकड़ा। सिद्दीकी ने कहा- मैं एक रात घर में लैपटॉप पर जनपद का पोर्टल देख रहा था। इस दौरान कई ऐसे भुगतान संदेहास्पद लगे। अगले दिन जनपद अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और अन्य सदस्यों को बुलाकर जानकारी साझा की।मामले में जब प्रभारी सीईओ रामकुशल मिश्रा से स्पष्टीकरण मांगा गया, तो उन्होंने संतोषजनक उत्तर नहीं दिया। इसके बाद आरटीआई दाखिल की। 21 जनपद सदस्यों के हस्ताक्षर के साथ शिकायत दर्ज कराई। चार सदस्य जिले से बाहर होने के कारण हस्ताक्षर नहीं कर सके।सिद्दीकी के मुताबिक सीईओ ने रोजगार सहायक राजकुमार शुक्ला के डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट (डीएससी) से भुगतान किए, जबकि यह काम आमतौर पर जनपद के मनरेगा के अकाउंटेंट अमित दुबे किया करते थे। राजकुमार के खाते में 14 हजार 714 की राशि भेजी गई। जाहिर सी बात है कि रामकुशल और राजकुमार इसमें शामिल हैं।
मंजूरी ढाई लाख की बिल 10 लाख का
सिद्दीकी के मुताबिक, पंचायत दर्पण पोर्टल पर अपलोड नोटशीट के अनुसार, इस कार्यक्रम के लिए सिर्फ 2.54 लाख रुपए की मंजूरी थी, लेकिन 7.45 लाख से ज्यादा की राशि बिना जनपद बैठक और प्रस्ताव के निकाल ली गई, यानी नियमों की सीधी अवहेलना की गई।‘प्रदीप इंटरप्राइजेज’ और ‘एसकेएस इंटरप्राइजेज’ नामक संस्थाओं को सबसे ज्यादा भुगतान हुआ है, जबकि जमीन पर इनका कहीं अस्तित्व ही नहीं है। इसके अलावा करीब 15-20 अन्य संस्थाएं बनाई गई हैं, जिन्हें 1.5 लाख से लेकर 2 लाख रुपए तक का भुगतान किया गया।चादर और गद्दे जैसी सामान्य सामग्री के लिए 30 से 35 रुपए प्रति यूनिट की दर से भुगतान किया गया, जो कि स्पष्ट रूप से ओवर बिलिंग का मामला बनता है।