मुंबई। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव कांग्रेस की दूसरी लिस्ट जारी होते ही प्रत्याशियों का विरोध तेज हो गया। जिससे कांग्रेस हाईकमान की टेशन बढ़ गयी है। वहीं महाविकास अघाड़ी में सीट शेयरिंग को लेकर भारी माथा पच्ची हो रही है। तो दूसरी ओर सीटें कम होने के चलते कांग्रेस में टिकट बंटवारे से लेकर आंतरिक बगावत की स्थिति निर्मित हो गयी है। आंतरिक कलह के चलते पार्टी के एक प्रत्याशी ने अपना टिकट ही वापस कर दिया है।
बगावत का धुआं
कांग्रेस ने अपने 23 प्रत्याशियों की सूची जारी की तोे कांग्रेस की कलह सतह पर आ गयी। एक दूसरे के विरोध में लोग सड़कों पर उतर आए हैं। मुंबई की कांदिवली से जिला अध्यक्ष कालू बुधेलिया, सायन कोलीवाडा से गणेश यादव, चारकोप विधानसभा से यशवंत जयप्रकाश सिंह और वसई से विजय गोविंद पाटील के नाम का ऐलान किया है। पार्टी ने वरिष्ठ नेता सुनील केदार की पत्नी अनुजा को मैदान में उतारा है। केदार को नागपुर जिला केंद्रीय सहकारी बैंक एनडीसीसीबी घोटाले में दोषी ठहराए जाने के बाद छह साल के लिए चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित कर दिया गया है। वह नागपुर जिले की सावनेर सीट से चुनाव लड़ेंगी। दूसरी ओर उम्मीदवारों के ऐलान के साथ ही बगावत के विरोध उठने लगे हैं।
जरूरी हुआ तो निर्दलीय लड़ेंगेे
कांग्रेस हाई कमान कभी नहीं सोचा रहा होगा कि दूसरी लिस्ट जारी होते ही पार्टी में बगावत की आग भड़क जाएगी। मुलुंड विधानसभा सीट को लेकर महाविकास आघाडी में कोई निर्णय नहीं लिया है। लेकिन कांग्रेस के प्रवक्ता राकेश शेट्टी ने मुलुंड विधानसभा से चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। वे सोमवार को अपना नामांकन भरेंगे। राकेश शेट्टी ने कहा कि मुलुंड विधानसभा को हमारे कार्यकर्ता आसानी से बीजेपी को नहीं जीतने देंगे। हम लगातार मुलुंडकरों की सेवा करते आ रहे हैं। मुलुंड की जमीन को पीएपी के नाम पर गौतम अडानी से बचाना हमारा पहला धर्म है। जरूरी हुआ तो हम मुलुंडकर के हित के लिए यह चुनाव निर्दलीय लड़ेंगे।
वर्षा की बहन का विरोध
धारावी विधानसभा से मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष वर्षा गायकवाड को टिकट देने का विरोध हो रहा है। आने वाले दिनों में विरोध और भी बढ़ सकता है। पूर्व विधायक जगन्नाथ शेट्टी के बेटे अमित शेट्टी ने वर्षा गायकवाड की आलोचना करते हुए कहा कि जो दो महीने पहले पार्टी की सदस्य नहीं थी, उसे पार्टी में शामिल कर इसलिए टिकट दिया गया। क्योंकि वह वर्षा की बहन है। शेट्टी का कहना है कि हमारे पिताजी भी सायन कोलीवाडा से विधायक थे। यहां से भी उन्हें उम्मीदवारी दी गई है। जबकि वह साढ़े चार साल से गायब रहा।