
BJP will steal bihar election like maharashtra
राष्ट्रमत न्यूज,नईदिल्ली(रमेश तिवारी ‘रिपु’। लोकतंत्र अब जनता के वोट से मजबूत नहीं होता। जिसकी सत्ता होती है,वो अपने तरीके से लोकतंत्र को हांकता है। लोकतंत्र बनाता है। यह बात 2014 के बाद से देश को समझ में आ गया। हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनाव ने इस बात को पुख्ता कर दिया। बीजेपी ने चुनाव आयोग की नियुक्ति करने वाले पैनल पर कब्जा कर लिया। वोटर लिस्ट में फर्जी मतदाता जोड़े।मतदान प्रतिशत बढ़ा चढ़ा कर दिखाए।जहंा बीेजेपी को जिताना था,वहां टारगेट करके फर्जी वोटिंग कराई गयी। सबूतों का छिपाया गया। हरियाणा और महाराष्ट्र में यह सब हुआ। पांच साल में महाराष्ट्र में 31 लाख मतदाता बढ़े। विधान चुनाव पांच माह बाद हुए, और 41 लाख मतदाता बढ़ गए। और यह कमाल कर दिखाया चुनाव आयोग और चुनाव आयुक्त यानी गुजरात लाबी ने। और यही सब कुछ बिहार चुनाव में होगा। और बड़ी आसानी से बीजेपी बिहार चुनाव भी चुरा लेगी। नीतीश इस बार मुख्यमंत्री बनेंगे,इसमें दुविधा है। क्यों कि बीजेपी बिहार चुनाव को हाइजेक करने जा रही है।
तेजस्वी CM बनने से चूक सकते हैं
बिहार की 243 सीट में बीजपी का लक्ष्य है दो सौ से अधिक सीटें जीतने का। चुनाव आयोग बीजेपी का और चुनाव आयुक्त बीजेपी का है। ज्ञानेश्वर कुमार अमित शाह के आदमी हैं। ऐसे में कुछ भी हो सकता है। एक बार फिर तेजस्वी मुख्यमंत्री बनने से चूक जाएं तो हैरानी वाली बात नहीं होगी। बीजेपी चुनाव हारना नहीं जानती। छत्तीसगढ़ और हरियाणा विधान सभा चुनाव को गोदी मीडिया तक कह रहा था कि, बीजेपी की सरकार नहीं बनेगी। लेकिन मतदान प्रतिशत बढ़ गया। कैसे बढ़ गया, ये सिर्फ चुनाव आयुक्त और चुनाव आयोग जानता है। लेकिन बतायंेगे नहीं। महाराष्ट्र में 85 हजार बूथ में 12 हजार नए बूथ। और इन्हीं बूथों पर कैसे छह फीसदी वोट अधिक पड़ गए,देवेन्द्र फड़ण्नवीस भी नहीं जानते। लेकिन नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के लेख से समझा जा सकता है। उनका एक लेख अंग्रेजी,हिन्दी और मराठी भाषा के कई अखबार में छपा है। ‘‘चुनाव चोरी का पूरा खेल समझो।’’ यानी बिहार में चुनाव से पहले राहुल गांधी ने बता दिया कि बीजेपी वहां क्या करेगी।
सियासी गणित समझें
लोकसभा चुनाव महाराष्ट्र में हुए। यहां बीजेपी दो दहाई भी सीट नहीं पाई।केवल नौ सीट पाई,जबकि कांग्रेस को 13 सीट मिली,2024 के चुनाव। पांच माह बाद विधान सभा चुनाव हुए और यहां उम्मीद थी कि, महागठबंधन की सरकार बनेगी। लेकिन उल्टा हो गया। पांच माह में मतदाता की सोच इतनी नहीं बदल सकती।सरकार बनाने में मदद किया चुनाव आयोग और चुनाव आयुक्त ने। 41 लाख वोट विधान सभा में बढ़े वो बीजेपी के खाते में गए। यानी छह फीसदी उसका वोट बैंक विधान सभा में बढ़ गया। महाविकास अघाड़ी की कुल 46 सीट आयी। 18 कांग्रेस,20यूबीटी शिवसेना और 10 सीट एनसीपी को मिली।वहीं 230 सीट में अकेले बीजेपी 132 सीट,शिवसेना शिंदे 57 और एनसीपी अजित गुट को 41 सीट मिली। सवाल यह है कि राजीव कुमार ने जो खेल महाराष्ट्र में खेला,क्या ज्ञानेश कुमार बिहार में करेंगे? बिहार में यदि बीस सीट में भी खेला हो गया तो सरकार बदल जाएगी। 243 सीट में दो सौ सीट बीजेपी ने अभी से लक्ष्य तय किया है जीतने का। वर्तमान में विधान सभा में राजद की 80 सीट है। बीजेपी की 53,जदयू की 71 सीट,और कांग्रेस की 27 सीट है। बीजेपी की पूरी कोशिश रहेगी राजद,कांग्रेस और जदयू की सीटों पर सियासी डकैती डालना है। तीनों दलों की बीस-बीस सीटें यदि बीजेपी हड़प लेती है तो सरकार बनाने का दावा उसके पास रहेगा। बहुमत न भी मिला तो बीजेपी जोड़-तोड़ कर बहुमत सिद्ध कर लेगी। और नीतीश को बाहर का रास्ता दिखा देगी। नीतीश वेैसे भी अस्वस्थ्य रहते हैं।
राहुल के लेख का असर
बिहार चुनाव से पहले राहुल गांधी के लेख का व्यापक असर पड़ सकता है। विपक्ष घबरा गया है कि उसकी पोल खुल गयी है। राहुल के लेख से विपक्षी दलों में एकजुटता बढ़ सकती है।जो चुनाव में मजबूत गठबंधन बनाने में मदद कर सकती है। लेख से वोटरों में सरकार के प्रति असंतोष बढ़ सकता है। जिसमें विपक्षी दलों का फायदा हो सकता है। लेख से चुनाव आयोग पर निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव कराने का दबाव बढ़ सकता है। लेख में उठाए गए मुद्दे चुनाव प्रचारा में प्रमुखता से उठाए जा सकते हैं। जिससे चुनावी बहस में नया आयाम जुड़ सकता है।इन सब कारकों का असर बिहार चुनाव में पड़ सकता है।
बीजेपी क्या करेगी
ऑपरेशनसिन्दूर एक राजनीतिक रणनीति हो सकती है। जिसमें बीजेपी वोटरों को आकर्षित करने और अपनी मजबूत करने के लिए विभिन्न तरीकों का उपयोग कर सकती है मसलन- सोशल मीडिया अभियान चलाना। स्थानीय मुद्दों पर ध्यान केन्द्रित करना। वोटरों से सीधे संवाद करना और अपने कार्यो पर योजनाओं का उजागर करना।
बहरहाल राहुल के लेख से बीजेपी खेमें में बेचेनी बढ़ गयी है। उनकी बिहार की रणनीति की पोल चुनाव से पहले खुल गयी है। वोटर शाम से हल्ला मचाने लगेगा कि कितने फीसदी वोट पड़े और वो यह भी देखेगा कि जितना वोट बढ़े,उसमें से कितना वोट पड़ा। चुनाव आयोग कौन सा खेला करता है,यह बिहार में देखना होगा।