
Jagatguru rambhadracharya honored at gayanpith awards ceremony
नई दिल्ली। विज्ञान भवन में आयोजित एक भव्य समारोह में भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने संस्कृत के महान विद्वान जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी को 58वां ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने प्रसिद्ध कवि गुलज़ार जी को भी सम्मानित किया जाना था लेकिन, जो स्वास्थ्य कारणों से समारोह में उपस्थित नहीं हो सके।
राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में साहित्य की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि साहित्य समाज को जोड़ने और जागरूक करने का कार्य करता है। उन्होंने ‘वंदे मातरम्’ जैसे प्रेरणादायक गीतों और वाल्मीकि, कालिदास, रवींद्रनाथ टैगोर जैसे कवियों की रचनाओं का उल्लेख करते हुए भारतीय साहित्य की समृद्ध परंपरा की सराहना की।
भारतीय भाषाओं की गरिमा
उन्होंने भारतीय ज्ञानपीठ ट्रस्ट की सराहना करते हुए कहा कि यह संस्था 1965 से विभिन्न भारतीय भाषाओं के श्रेष्ठ साहित्यकारों को सम्मानित कर रही है और भारतीय भाषाओं की गरिमा को सशक्त बना रही है। राष्ट्रपति ने महादेवी वर्मा, अमृता प्रीतम, महाश्वेता देवी जैसी महिला साहित्यकारों के योगदान को याद करते हुए बेटियों और बहनों को साहित्य में सक्रिय भागीदारी के लिए प्रोत्साहित किया।जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि उन्होंने शारीरिक सीमाओं के बावजूद साहित्य और समाज सेवा के क्षेत्र में अद्भुत योगदान दिया है। उनका जीवन आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।कार्यक्रम में साहित्य, कला और शिक्षा जगत की कई प्रमुख हस्तियां उपस्थित रहीं।