
Provide hostels for working women in all cities-cm
भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि कामकाजी महिलाओं की सुविधा के लिए प्रदेश के सभी शहरों में हॉस्टल सुविधा उपलब्ध कराई जाए। महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा मिशन शक्ति के अंतर्गत संचालित “सखी-निवास” सुविधा का विस्तार उन औद्योगिक क्षेत्रों में भी किया जाए, जहां महिला कर्मचारी अधिक संख्या में हैं। बालिकाओं और महिलाओं को रोजगारपरक प्रशिक्षण उपलब्ध कराने तथा उनके कौशल उन्नयन के लिए विभागीय समन्वय से गतिविधियां संचालित की जाएं।
मोटी आई” अभियान पर लघु फिल्म
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य, शारीरिक विकास और पोषण की उचित उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए महिला एवं बाल विकास, स्वास्थ्य और आयुष विभाग निश्चित कार्य योजना बनाकर उसका क्रियान्वयन करें। आंगनवाड़ी भवनों की उपलब्धता और रख रखाव के लिए नगरीय निकायों और पंचायतराज संस्थाओं से भी आवश्यक समन्वय सुनिश्चित किया जाए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बुधवार को महिला एवं बाल विकास विभाग की गतिविधियों की मंत्रालय में समीक्षा के दौरान यह निर्देश दिए। बैठक में कुपोषण मुक्त झाबुआ के लिए चलाए गए “मोटी आई” अभियान पर लघु फिल्म भी प्रदर्शित की गई। नवाचार को अनुकरणीय बताया गया। समीक्षा में महिला एवं बाल विकास मंत्री सुश्री निर्मला भूरिया, मुख्य सचिव श्री अनुराग जैन, अपर मुख्य सचिव डॉ. राजेश राजौरा, विभागीय प्रमुख सचिव श्रीमती रश्मि अरूण शमी, आयुक्त महिला बाल विकास श्रीमती सूफिया फारूखी बली सहित संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।
प्रोटीन युक्त भोजन सामग्री
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि आंगनवाड़ियों में पूरक पोषण आहार उपलब्ध कराने की व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए एक माह में कार्य योजना प्रस्तुत की जाए। प्रोटीन युक्त भोजन सामग्री उपलब्ध कराने के लिए चना और अन्य प्रोटीन स्रोत अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें। दुग्ध संघों से आंगनवाड़ी के बच्चों को दूध भी आवश्यक रूप से उपलब्ध कराया जाए। गर्भवती तथा धात्री महिलाओं को भी सम्पूर्ण पौष्टिक आहार उपलब्ध करायें। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रदेश की सामाजिक संस्थाओं, औद्योगिक इकाइयों के साथ मंदिरों में उपलब्ध संसाधनों का उपयोग भी आंगनवाड़ियों की बेहतरी के लिए किया जाए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि सुरक्षित प्रसव के लिए प्रसव की संभावित तिथि से पहले सुदूरवर्ती ग्रामों तथा अन्य स्थानों से अस्पताल पहुंचने वाली गर्भवती महिलाओं के रहने तथा उनकी देखरेख के लिए आवश्यक व्यवस्था विकसित की जाए।