
Naxalites do not be afraid ,protect will be given- IG
बालाघाट (ब्यूरो)। आई. जी. पी. संजय कुमार ने कहा कि नक्सली यह भूल जाएं कि वो जो काम कर रहे हैं,उसका कोई परिणाम उनके हित में होगा। वो जिस रास्ते पर चल रहे हैं,उस रास्ते में कोई मंजिल नहीं है।उन्हें सोचना चाहिए कि चार दशक से सरकार से लड़ रहे हैं,आखिर उन्हें क्या मिला? वो खुद भी मरे और दूसरों को भी मौत के रास्ते पर ले गए। समाज की मुख्यधारा में शामिल होने पर ही उनका जीवन सुरक्षित है और उनका विकास होगा। कायदे से उन्हें अपने पूरे साथी सहित आत्मसमर्पण कर नए सिरे से जीवन यापन करना चाहिए। उन्हें विश्वास दिलाते हैं कि वो डरे नहीं। उन्हें पूरी सुरक्षा दी जाएगी। हथियार डालें,इसी में उनकी भलाई है। वरना सरकार ने तय कर रखा है हर हाल में 31 मार्च 2026 तक देश से नक्सलवाद खत्म करना है। और यह होकर रहेगा। छत्तीसगढ़ में अचानक नक्सलवाद अंतिम सांसे गिनने की स्थिति में आ जाएगा,नक्सलियो के लीडर भी कभी नहीं सोचे होंगे।
नक्सलियो की तीन कमेटी बची
बालाघाट जिले में करीब पांच वर्ष पूर्व तक नक्सलियों की छह एरिया कमेटी थी। अब केवल तीन कमेटी बची है। इनकी संख्या में भी लगातार कमी हुई है। पहले यहां जितने नक्सली कम होते थे उतना छत्तीसगढ़ के बस्तर से आ जाते थे। अब वहां जिस तरह का माहौल है।वैसा ही मध्यप्रदेश्ज्ञ में है। इसलिए यह कहना गलत है कि छत्तीसगढ से भागकर नक्सली बालाघाट आ जाएंगे या फिर मध्यप्रदेश के अन्य जिलों में।
बार्डर पर पुलिस सुरक्षा बढ़ी
एक सवाल के जवाब में आई जी ने कहा कि महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ में जिस तरह का दबाव है,उसको ध्यान में रखकर जिला पुलिस ने बार्डर की सुरक्षा बढ़ा दी है। नक्सलियों के आने के कोई भ्ी रास्ते सेफ नहीं है। वो जिधर से भी आएंगे मारे जाऐंगे। 31 मार्च 2026 तक नक्सलवाद का पूरी तरह से खत्मा करने के लिए पुलिस महानिरीक्षक आई.जी.पी. संजय कुमार तैयार है। उन्होंने कहा कि नक्सलियों के सारे नेटवर्क टूट चुके हैं। पुलिस का नेटवर्क उनके नेटवर्क से तगड़ा है। नये कैंप खोले गए हैं। यही वजह है कि नक्सलियों को मूवमेंट कम हो गया है। उनके खात्में की विशेष रणनीति तैयार कर ली गयी है। यदि वो समय रहते आत्मसमर्पण नहीं किये तो कोई भी नक्सली जिंदा नहीं बचेगा।
नक्सली संगठन कमजोर हुआ
नक्सली बैनर पोस्टर के माध्यम से पहले से प्रचार प्रसार करते आए हैं। लेकिन अब उनके बैनर पोस्टर कभी कभी ही देखने को मिलते हैं। उनका संगठन तंत्र अब छिन्न भिन्न हो गया है। यही वजह है कि छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद अंतिम सांसे गिन रहा है। नक्सलियों के लीडर भी जानते हैं कि वो बहुत दिनों तक पुलिस के सामने अब नहीं टिक सकते। इसलिए बार बार युद्ध विराम की बात मीडिया में कर रहे हैं।जबकि छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश प्रदेश सरकार ने दो टुक कह दिया है, कि पहले हथियार डालें,तब बात होगी। उनकी कोई भी शर्त नहीं मानी जाएगी। अब उनके पास एक ही चारा है कि, वो समाज की मुख्य धारा में शामिल हो जाएं। माओवाद किसी के सगे नहीं हैं। वो आदिवासी की बात करते हैं, लेकिन किस आदिवासी के बच्चे को पढ़ाया लिखाया।उनके लिए क्या किया।इसका जवाब उनके पास नहीं है। वो आदिवासियों के भी सगे नहीं है। इस बात को आदिवासी भी अब समझने लगा है कि नक्सली उन्हें पुलिस का मुखबिर बताकर गोली मार देते हैं। लोगों में दहशत फैलाने का यह उनका तरीका हैै। जिसे अब लोग समझने लगे हैं। इसलिए आदिवासी भी चाहते हैं कि जल्द नक्सलवाद खत्म हो। मुखबिरों को वार्निंग इसलिए देते हैं ताकि उनकी दहशत बनी रही है। लेकिन अब नक्सलियों की दहशतगर्दी कम हो गयी है।
नक्सलियों के खिलाफ है माहौल
बालाघाट के आई जी ने कहा कि पहले यहां जितने नक्सली कम होते थे,उतना छत्तीसगढ़ के बस्तर से आ जाते थे। अब वहां का माहौल बदल गया है।परिस्थितियां बदल गयी है। माओवाद के लिए पहले की तरह वातावरण नहीं रहा। उन्हें अब लोग नहीं मिल रहे हैं। पहले बेरोजगार युवक उनके झांसे में आ जाते थे। लेकिन अब ऐसा नहीं है। लगातार समझदार युवक हाथियार डाल रहे हैं।छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद की कमर टूट चूकी है। इसलिए यह कहना गलत है कि, वहां के नक्सली मध्यप्रदेश की ओर रूख करेंगे। मध्यप्रदेश भी नक्सलियो के लिए सेफ जोन नहीं है। लगातार मारे जा रहे हैं। महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ में दबाव है। उसको ध्यान में रखकर बार्डर की सुरक्षा बढ़ा दी गई है।
नक्सलियों के हित में है
आईजीपी संजय कुमार ने नक्सलियों को आत्मसमर्पण के लिऐ जोर देते हुए कहा है कि उनकी भलाई इसी में है वे किसी भी माध्यम से आत्मसमर्पण कर दें। वो पुलिस के किसी भी व्यक्ति से संपर्क कर हथियार डाल सकते हैं। वो फोन करके भी हथियार डाल सकते हैं। उन्हें पूरी सुरक्षा दी जायेगी। आत्मसमर्पण कर मुख्य धारा से जुड़ें और शासन की योजनाओं लाभ उठाए। उन्हें वे भरोसा दिलाते हैं कि आत्मसर्पण के समय किसी भी प्रकार की आंच उन पर नहीं आने दी जाएगी। वो डरे नहीं हैं।