मुंबई।।( सुधीर जोशी) । महाराष्ट्र के दिल में क्या है? दिल्ली भी नहीं जानती लेकिन हरियाणा के चुनावी परिणाम के बाद से उसे लगने लगा है कि महाराष्ट्र के दिल में गेरूआ राजनीति की धड़कन है। लोकसभा चुनाव के परिणाम से गुजरात लाॅबी सहमी सहमी है। वहीं एकनाथ शिंदे ने 120 सीटें अपनी शिवसेना के लिए मांग कर परेशानी खड़ना चाहते थे लेकिन उनकी मांग को बीजेपी हाईकमान ने दरकिनार करते हुए 78 सीट और एनसीपी अजित गुट को 55 सीट देते हुए खुद बीजेपी 155 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। इसके अलावा बीजेपी अन्य अपने सहयोगी दलों को भी टिकट दे रही है। अभी तक अंदर खाने से यही रिपोर्ट आ रही है। बीजेपी हर हाल में महाराष्ट्र में अपनी सरकार बनाना चाहती है। बहुमत का आंकड़ा 145 है। एकनाथ शिंदे से बदला लेने उद्धव ठाकरे कमर कसे हुए हैं। वहीं अभी तक इंडिया गठबंधन ने सीट शेयरिंग की घोषणा नहीं की है। बावजूद इसके अखिलेश यादव ने 12 सीटें मांगी है। और उन्होंने बकायदा पांच सीटों पर अपने उम्मीदवार की घोषणा करते हुए दो टुक कहा, दो विधायक हमारे हैं और हम वो लोग हैं जो कभी-कभी कम सीटों पर भी संतुष्ट हो जाते हैं। महाराष्ट्र का चुनाव ऐतिहासिक होने जा रहा है। महाराष्ट्र का चुनाव देश का ऐसा चुनाव है जहां के फैसले से महाराष्ट्र और देश की राजनीति बदलने का काम होगा। भारतीय जनता पार्टी के लोग हमारे और आपके बीच में नफरत फैलाने का काम करते हैं।
कांग्रेस को महाराष्ट्र में भी झटका
सपा ने शिवाजी नगर से मौजूदा विधायक अबू आसिम आजमी, भिवंडी ईस्ट से मौजूदा विधायक रईस शेख, भिवंडी वेस्ट से रियाज आजमी, धुलिया से इरशाद भाई जागीरदार और मालेगांव से शाने हिंद को अपना उम्मीदवार बनाया है। सपा ने कांग्रेस के सामने 12 सीटों की दावेदारी पेश की है। कांग्रेस या महाविकास अघाड़ी की ओर से इस पर अभी कोई जवाब नहीं दिया गया है। माना यह जा रहा है कि कांग्रेस और महाविकास अघाड़ी पर दबाव बनाने के लिए सपा ने यहां अपने प्रत्याशी घोषित किए हैं। हालांकि कांग्रेस की ओर से इस बाबत कोई प्रतिक्रिया अभी तक नहीं दी गई है। यानी यूपी के बाद अखिलेश ने कांग्रेस को महाराष्ट्र में भी झटका दिया है।
सीटों को लेकर कयास
लोकसभा चुनाव में 31 सीट जीतने वाली महाविकास आघाडी विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करने के लिए पूरी ताकत लगा रही है। कहा तो यहां तक जा रहा है कि भाजपा जिसने पिछले विधानसभा चुनाव में 105 सीटें जीती थी, उसे इस बार 75 से ज्यादा सीटें नहीं मिलेंगी। इसी संयुक्त शिवसेना ने पिछले विधानसभा चुनाव में 56 सीटें जीती थी। वह इस बार उद्धव तथा शिंदे दोनों को मिलाकर पिछली बार जितनी पहुंच सकती है। राकांपा जिसने संयुक्त रूप से पिछले चुनाव में 54 सीटें जीती थीए इस बार उसकी सीटें बढ़ सकती है। उसका आकड़ा 60-65 या 70 तक भी जा सकता है। मतदान तक चुनावी फिजा कई करवटें बदलेगी।
सी.एम.किस दल का
कांग्रेस का प्रदर्शन लोकसभा चुनाव में बेहतर होने की वजह से माना जा रहा है कि वह 70-75 सीटें जीत सकती है। यदि तीनों दल 50-50 सीट भी जीत लिए तो सरकार बदल जाएगी। दोनों गठबंधन दलों में तीन तीन पार्टियां है। सवाल यह है कि महाराष्ट्र का वोटर उद्धव के साथ जाएगा या फिर एक बार फिर एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहता है। वैसे एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री लाड़ली लक्ष्मी योजना शुरू करके महिला वोटर की सोच बदलने की कोशिश की है। यदि सरकार नहीं बदलती है तो जाहिर है कि महिलाओं ने सरकार बदलने के लिए वोट नहीं किया।
अपने अपने भविष्य की चिंता
एक तरफ शरद पवार अपने बारे में कह रहे हैं कि जब तक महाराष्ट्र सही रास्ते पर नहीं आ जाता ये बूढ़ा आदमी शांत नहीं बैठेगा। उधर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे चेतावनी दे रहे हैं कि इस दाढ़ी को हल्के में मत लीजिए। सत्ता की गंध चुनाव से पहले सभी को आ रही है। वहीं सपा प्रमुख ने इंडिया गठबंधन की कढ़ाई में अपनो छौंका डालकर खलबली मचा दिये हैं। सबको अपने अपने चुनावी भविष्य की चिंता है। मतदाता को किसकी चिंता है यह 20 नवम्बर को तय होगा।