
ED called robert vadra again
गुरुग्राम । कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा के पति और कारोबारी रॉबर्ट वाड्रा आज ईडी के सामने पेश हुए। प्रवर्तन निदेशालय ने लैंड डील और मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में पूछताछ की है। वाड्रा ने इसे भारतीय जनता पार्टी का राजनीतिक प्रतिशोध बताया। बीजेपी ने कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के समय से ही वाड्रा के खिलाफ भ्रष्टाचार और राजनीतिक सत्ता के दुरुपयोग के आरोप लगाए हैं।
डॉक्यूमेंट का इंतजाम कर रहे हैं
आज रॉबर्ड वाड्रा ने ईडी ऑफिस जाते वक्त इसे भारतीय जनता पार्टी का राजनीतिक प्रतिशोध बताया। रॉबर्ट वाड्रा ने कहा, ‘हमने ईडी से कहा कि हम अपने डॉक्यूमेंट का इंतजाम कर रहे हैं, मैं हमेशा यहां रहने के लिए तैयार हूं। मुझे उम्मीद है कि आज कोई निष्कर्ष निकलेगा। मामले में कुछ भी नहीं है। जब मैं देश के पक्ष में बोलता हूं, तो मुझे रोक दिया जाता है, राहुल को संसद में बोलने से रोका जाता है। बीजेपी ऐसा कर रही है। यह एक राजनीतिक प्रतिशोध है।’
20 वर्षों में मुझे 15 बार बुलाया गया
रॉबर्ट वाड्रा ने आगे कहा, ‘लोग मुझे प्यार करते हैं और चाहते हैं कि मैं राजनीति में शामिल हो जाऊं। जब मैं राजनीति में शामिल होने की इच्छा व्यक्त करता हूं, तो वे मुझे नीचे गिराने और वास्तविक मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए पुराने मुद्दे उठाते हैं। मामले में कुछ भी नहीं है। पिछले 20 वर्षों में मुझे 15 बार बुलाया गया और हर बार 10 घंटे से ज्यादा समय तक पूछताछ की गई। 23000 दस्तावेजों को व्यवस्थित करना आसान नहीं है।’
2008 में हुआ जमीन का सौदा
फरवरी 2008 में रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी ने ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज से गुरुग्राम के शिकोहपुर गांव में 3.5 एकड़ जमीन 7.5 करोड़ रुपए में खरीदी थी। उसी साल, तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की अगुआई वाली हरियाणा सरकार ने इस जमीन पर 2.7 एकड़ के लिए व्यवसायिक कॉलोनी विकसित करने का लाइसेंस दिया। इसके बाद कॉलोनी बनाने की जगह स्काईलाइट कंपनी ने इस जमीन को DLF को 58 करोड़ रुपए में बेच दिया, जिससे लगभग 50 करोड़ रुपए का मुनाफा हुआ।
IAS अधिकारी ने म्यूटेशन रद्द किया
2012 में, तत्कालीन हरियाणा सरकार के भूमि रजिस्ट्रेशन निदेशक अशोक खेमका ने इस सौदे में अनियमितताओं का हवाला देते हुए जमीन के म्यूटेशन (स्वामित्व हस्तांतरण) को रद्द कर दिया। खेमका ने दावा किया था कि स्काईलाइट को लाइसेंस देने की प्रक्रिया में नियमों का उल्लंघन हुआ, और सौदा संदिग्ध था। इसके बाद, उनका तबादला कर दिया गया, जिससे यह मामला और विवादास्पद हो गया।
क्या है पूरा मामला
अब मामले की बात करें तो रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटेलिटी प्राइवेट लिमिटेड ने फरवरी 2008 में गुड़गांव ।के शिकोहपुर में 3.5 एकड़ जमीन 7.5 करोड़ रुपये में ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज से खरीदी थी। कंपनी ने कमर्शियल लाइसेंस हासिल करने के बाद में उस प्रॉपर्टी को रियल एस्टेट कंपनी DLF को 58 करोड़ रुपये में बेच दिया था। ऐसा आरोप है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री हुड्डा के नेतृत्व वाली हरियाणा सरकार से कम दाम पर मिली इस जमीन को डीएलएफ यूनिवर्सल लिमिटेड को बेचकर रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी ने प्रॉफिट हासिल किया।