पटना (ब्यूरो)। बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने लोकसभा और राज्यसभा से पास हुए वक्फ संशोधन बिल का समर्थन किया है। उन्होंने कहा. वक्फ की संपत्तियां अल्लाह की मानी जाती हैं। इसका इस्तेमाल गरीबों जरूरतमंदों और जनहित के लिए होना चाहिए। गैर मुस्लिमों का भी वक्फ की संपत्तियों में बराबर का हक है। बिहार में वक्फ की करोड़ों की संपत्तियां हैं मगर एक भी अस्पताल और अनाथालय नहीं है।
गरीब और निर्धनों को लाभ मिलना चाहिए
आरिफ मोहम्मद खान ने कुरान की आयतों को जिक्र करते हुए वक्फ का मतलब समझाया। उन्होंने कहा कि वक्फ प्रॉपर्टी का इस्तेमाल केवल मुस्लिमों के कल्याण के लिए नहीं है। यह हर उस शख्स के लिए है जो गरीब है, निर्धन है, जिसे सहारे की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जब मैं यूपी में मंत्री था, तो मैंने कुछ समय के लिए वक्फ विभाग संभाला था। हर समय मुझे ऐसे लोगों से मिलना पड़ता था, जिनके संपत्ति के मामले चल रहे थे।
वक्फ प्रॉपर्टी का सही उपयोग होना चाहिए
उन्होंने आग कहा-वक्फ प्रॉपर्टी लोगों के कल्याण के लिए थीं। लेकिन क्या लोगों का कल्याण हो रहा था? आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि पटना में कई वक्फ संपत्तियां हैं, लेकिन पटना में वक्फ के तहत कोई एक अस्पताल या अनाथालय का नाम बताइए? वहां केवल मामले दर्ज किए जा रहे हैं। इसलिए इसमें बहुत सुधार की जरूरत थी। और यह वक्फ संशोधन विधेयक इसी दिशा में एक कदम है जो जल्द ही कानून बनने जा रहा है।
राज्यपाल ने कहा कि, भारत लोकतांत्रिक देश है। प्रोटेस्ट करने का अधिकार है। हर किसी को अपनी बात रखने का अधिकार है। जब मैं यूपी में मंत्री था तब वक्फ विभाग मेरे पास ही था। हर समय मुझे ऐसे लोगों से मिलना पड़ता था, जिनके संपत्ति के मामले चल रहे थे।गवर्नर ने कहा कि इसमें बहुत सुधार की जरूरत थी। यह वक्फ संशोधन विधेयक इसी दिशा में एक कदम है। गर्वनर पटना में पूर्व उप प्रधानमंत्री जगजीवन राम की 118वीं जयंती पर राजकीय समारोह में पहुंचे थे।
आपस में मुकदमे बाजी हो रही
राज्यपाल ने कुरान की आयत का उल्लेख करते हुए कहा कि ‘इसमें दो प्रकार के जरूरतमंदों- फकीर (मुस्लिम) और मिस्कीन (गैर मुस्लिम) का जिक्र किया गया है। इसका अर्थ है कि वक्फ से लाभान्वित होने का अधिकार हर जरूरतमंद को है। धर्म के आधार पर नहीं। पटना में वक्फ की बहुत प्रोपर्टी है, लेकिन आप मुझे बताइए कोई एक संस्था है जो गरीब के लिए काम कर रही है। सिर्फ आपस में मुकदमे बाजी हो रही है । वैधता पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि वक्फ की अवधारणा को मुस्लिम देशों में भी कभी गैर-इस्लामी माना गया, लेकिन 1913 में मोहम्मद अली जिन्ना द्वारा पेश एक्ट ने इसे वैधता दी। अब आप बताइए, इसकी दिशा क्या होनी चाहिए।’