
No FIR even after embezzlement exposed
बालाघाट (ब्यूरो)। कोई भी यकीन नहीं करेगा कि जिला पंचायत में उच्च पद पर पदस्थ अधिकारी सरकारी राशि का गबन करेंगे। वो भी पूरे नौ साल की राशि। मामला उजागर होने पर अपने चेक से 02 लाख 24 हजार 841 रुपए जमा कर ठंडी सांस ले रहे हैं। मामला मिलन मछुआ समिति का। इस समिति को दस साल के लिए शासकीय तालाब लीज पर दी गयी थी। और लीज की राशि सरकारी खजाने में जमा करने की बजाए तत्कालीन अधीक्षक राकेश बेले अपनी जेब में रख लिए थे।तत्कालीन जिला पंचायत सीईओ ने राकेश बेले से उक्त राशि और काटी गयी राशि की रशीद बुक की जानकारी मांगी थी। मामला उजागर होने पर हाहाकार मच गया था।
रशीद केश बुक में दर्ज नहीं थी
मिलन मछुआ समिति का मामला कुछ माह पहले सामने आया। यह समिति सन् 2015 से 2024 तक तालाब लीज पर लिया था। इसकी रशीद भी कटवाया था। मिलन मछुआ समिति को जब कहा गया राशि जमा नहीं किये हो। तब समिति ने रशीद पेश किया। लेकिन उक्त रशीद को जिला पंचायत ने अपना होने से इंकार कर दिया।इसलिए वह रशीद केश बुक में दर्ज नहीं थी।इतना ही नहीं रशीद बुक भी जिला पंचायत में उपलब्ध नहीं थी। शिकायत के आधार पर तात्कालीन जिला पंचायत सीईओ ने तात्कालीन अधीक्षक राकेश बेले को उक्त राशि और रसीद कटटे की जानकारी मांगी। राशि और काटी गयी राशि की रशीद वापस करने हेतु राकेश बेले को नोटिस भी दिया था।
राकेश बेले ने जमा की राशि
राकेश बेले ने अपने कार्यकाल के दौरान मिलन मछुआ समिती से ली गई 02 लाख 24 हजार 841 रुपये व्यक्तिगत चेक से जिला पंचायत में जमा कर दिया। उनके ऐसा करने से एक बात साफ हो गयी कि उन्होंने अमानत में ख्यानत किया था। सरकारी राशि का गबन किया था। कायदे से उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जानी चाहिए।
आठ वर्षो से मामला दबा रहा
राकेश बेले के खिलाफ मामला पंजीबद्ध कराने के बजाए केवल जांच का हवाला ही दिया जाता है। वही जांच समिति गठित कर टालमटोल किया जा रहा है। जबकि राशि का गबन किया जाना और नोटिस मिलते ही चेक के तौर पर राशि वापस करना यह सिद्ध करता है कि तात्कालीन अधीक्षक राकेश बेले के द्वारा शासकीय राशि का गबन किया गया था। 08 वर्षो से मामला भी दफन था। जब मामले से पर्दा उठने पर जिला पंचायत सीईओ के द्वारा कौन सी जांच की जा रही है,यह सवाल गूंज रहा हैं। ऐसा लगता है इस मामले में और भी कई लोग हैं,जिन्हें बचाने की कोशिश की जा रही है।
कमेटी ने रिपोर्ट नहीं दी
कायदे से राकेश बेले के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला पंजीबद्ध किया जाना चाहिए। इसलिए कि सरकारी धन को गबन किया गया था। तीन सदस्यीय जांच कमेटी को गठन किया गया तो उसका रिपोर्ट भी आ जानी चाहिए थी। लेकिन अभी तक कमेटी ने रिपोर्ट नहीं दी। जाहिर सी बात है कि राकेश बेले को बाचाया जा रहा है।ऐसा भी हो सकता है कि इस मामले में और भी लोग हों जिन्हें बचाये जाने के लिए तीन सदस्यीय कमेटी सिर्फ मामले को दाबने के लिए गठित की गयी है। राकेश बेले ने राशि जमा कर दी लेकिन उनसे ब्याज भी लिया जाना चाहिए। विभाग को राशि की रशीद भी उनसे लिया जाना चाहिए। हो सकता है ऐसा और भी समीति के साथ किया गया हो।