
Political uproar due to cut obc reservation
रायपुर। छत्तीसगढ़ में पचास फीसदी ओबीसी आरक्षण है।जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए एक भी पद OBC को नहीं मिला। फिर भी नगरीय निकाय चुनाव में एक भी सीट ओबीसी के लिए आरक्षित नहीं है। ओबीसी सियासी आरक्षण पर बीजेपी सरकार की सियासी कैंची से कट लग जाने पर कांग्रेस ने आज पूरे प्रदेश में धरना प्रदर्शन किया। बिलासपुर में पुलिस और कांग्रेसियों के बीच झूमाझटकी भी हुई।वहीं इस मामले में डिप्टी सीएम अरूण साव का कहना है कि अनारक्षित सीट पर ओबीसी उम्मीदवार को मौका देंगे। हैरानी वाली बात है कि जब सियासत में ओबीसी को पचास फीसदी का आरक्षण है तो फिर किस मकसद से बीजेपी सरकार ने इसे तवज्जो नहीं दिया। बीजेपी ने ओबीसी पर जो सियासी खेल खेला है उससे नगरीय निकाय चुनाव में उसे फायदा होगा, इसकी संभावना कम लग रही है। बीजेपी कितनी अनारक्षित सीट पर ओबीसी प्रत्याशी देगी, यह एक बड़ा सियासी सवाल है।
एक भी सीट OBC आरक्षित नहीं
प्रदेश में नगरीय निकायों के बाद त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव के लिए आरक्षण तय किए गए हैं। रायपुर जिला पंचायत अध्यक्ष का पद इस बार अनारक्षित हो गया है। वहीं, धमतरी, महासमुंद, कबीरधाम, मुंगेली, में सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिला पंचायत अध्यक्ष पदों का आरक्षण भी अनारक्षित हुआ है। प्रदेश में जिला पंचायत अध्यक्ष की एक भी सीट OBC आरक्षित नहीं हुई है।
ओबीसी सीट सामान्य हो गयी
कांग्रेस का आरोप है कि मैदानी इलाकों में कई ऐसी ग्राम पंचायतें हैं। जहां 90 फीसदी से ज्यादा लोग OBC वर्ग से आते हैं। सरपंच पद आरक्षित नहीं है। पंचों का आरक्षण भी जनसंख्या के हिसाब से बेहद कम है। पहले जो सीटें OBC के लिए आरक्षित थी, अब वो सामान्य हो गई है।
BJP जनरल सीटों में देगी OBC को मौका
छत्तीसगढ़ निकाय चुनाव में जनरल सीटों पर भाजपा OBC कैंडिडेट को मौका देगी। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष किरण देव सिंह के मुताबिक जहां अनारक्षित सीट होती है (जनरल) वहां से कोई भी चुनाव लड़ सकता है, तो हम अपने पार्टी की आंतरिक व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए जनरल सीटों पर ओबीसी को प्राथमिकता देंगे। वहीं डिप्टी सीएम अरुण साव के मुताबिक, आयोग ने अनुशंसा करते हुए रिपोर्ट में कहा कि, अधिकतम 50% तक ओबीसी वर्ग को आरक्षण दिया जा सकता है। जबकि पहले 25% तक की ही सीमा थी, हमने ओबीसी वर्ग के आरक्षण को बढ़ाया है। बाकी अन्य निकाय, नगर निगम, नगर पालिका सभी में ओबीसी वर्ग को नियमानुसार भागीदारी मिली है।
और बवाल होना चाहिए
साव ने कहा, एक दिन पहले ही नेता प्रतिपक्ष चरण दास महंत ने जिला पंचायत पदों पर ओबीसी वर्ग को आरक्षण नहीं दिए जाने को लेकर कहा था कि अभी तो कम बवाल हो रहा है और बवाल होना चाहिए। ये ऐसे बयान देकर प्रदेश का माहौल खराब करना चाहते हैं।साव के मुताबिक कांग्रेस भ्रम, भ्रष्टाचार और भय के कॉन्सेप्ट में राजनीति करती है, मगर हम छत्तीसगढ़ को अशांत नहीं होने देंगे। हम उनकी साजिश को कामयाब नहीं होने देंगे।
जिला पंचायत अध्यक्ष, नगरीय निकाय और पंच,सरपंच चुनाव के मामले को लेकर प्रदेश में सियासी बवाल आने वाले समय में और होने के आसार है। बीजेपी अपनी ही रणनीति में फंस गयी है। यह मामला कोर्ट भी जा सकता है।