
Rice mill raid scandal opens bank of questions
बालाघाट।(रफीक अंसारी। राइस मिल्स में छापे के बाद सवालों के बैंक खुल गए हैं। प्रशासन सवालों के एक एक पन्ने को खोलकर तहकीकात करे तो राइस मिल की काली करतूतों का बहीखाता सामने आ सकता है। इसलिए कि 13 दिसंबर की रात्री में राजस्व और खाद्य विभाग की टीम को श्लोक राईस मिल एवं सौरभ राईस मिल में छापा मारने पर दो हजार क्ंिवटल चावल पीडीएस का ज्यादा मिला। जाहिर सी बात है कि मिल्र्स सरकारी धान को उष्णा का चावल बनाकर दूसरे राज्यों में बेचते हैं। सवाल यह है कि जब 13 दिसम्बर को श्लोक राइस मिल्स बंद थी तो फिर 6 लाट चावल आया कहां से। कौन मंगाया था। इतना अधिक चावल मंगाने के पीछे वजह क्या थी। मिल्स इस चावल का क्या करते। प्रशासन को कायदे से इनकी मीटर रीडिंग की भी जांच करनी चाहिए। इनकी काली करतूतों से यही अंदेशा होता है कि ये सरकार को दोनों तरफ से नुकसान पहुंचाने का काम करते आए हैं।
मिलिंग की क्षमता पता की जाए
प्रशासनिक कार्यवाही के दौरान मिल संचालक ने माना कि चावल यूपी बिहार से ट्रेडिंग के लिए मंगाया गया है। सवाल यह है कि पिछले तीन माह का उनके द्वारा ट्रेडिंग एकाउन्ट का लेजर और जीएसटी रिर्टन, उनका बैंक स्टेटमेन्ट की छायाप्रति क्यों नहीं दी गयी। इन दोनो राईस मिलो में 4 मिट्रिक टन प्रति घंटा की मशीने लगी है। परंतु शासन प्रशासन को बहुत ज्यादा मात्रा में चांवल खपाने के उदेश्य से श्लोक इण्डस्ट्रीज को 12 टन प्रतिघंटा एवं सौरभ राईस मिल को 8 टन प्रतिघंटा साफ्टवेयर में सीएसएमएस दशार्या गया है। ऐसे में इनकी मिल की वास्तविक मिलिंग उत्पादन क्षमता का परीक्षण किया जाना जरूरी है।

सौरभ राइस मिल है ही नहीं
श्लोक राईस मिल एवं सौरभ राईस मिल बेहरई में एक ही केम्पस में स्थित है। परन्तु जांच अधिकारी को गुमराह करते हुये गर्रा पेट्रोल पंप के समीप स्थित गोदाम को सौरभ राईस मिल बताकर वेरिफिकेशन करवाया। जबकि दोनों राईस मिल बेहरई के केम्पस में ही एक साथ संचालित होती है। वर्षों पूर्व से खंडहर गोदाम, जिसे खाद्य अधिकारियों द्वारा 13 तारीख को भौतिक सत्यापित किया गया, उससे साफ हो गया कि वह सौरभ राईस मिल वास्तव में है ही नहीं। इसी मिल पर तो 1 करोड़ 26 लाख 54 हजार 585 रुपए की पेनाल्टी अधिरोपित की गई थी जो प्रकरण अभी भी विचाराधीन है।
तीन लाट का धान मिल में कम था
खाद्य अधिकारियों को 13 दिसंबर की रात्रि को सौरभ राईस मिल और श्लोक राईस इण्डस्ट्रीज के मालिक ने अपने बयान में बताया कि वर्ष 2024-25 में उपार्जित धान की कस्टम मिलिंग का 213 लाट का अनुबंध कर 13 लाट की धान उठाया गया है। 2 लाट का चावल जमा कराया गया था। जबकि भौतिक रूप से सिर्फ 8 लाट का धान ही मिल परिसर में है। यानी उस समय 3 लाट धान मिल में कम था।कनिष्ठ सहायक व तहसीलदार तथा एसडीएम द्वारा जब उन्हंे आगामी आदेश तक मिलिंग कार्य करने और स्टाक के साथ छेड़खानी करने को मना कर दिया गया था।
एक जांच ऐसी भी होनी चाहिए
इससे इंकार नहीं किया जा सकता कि संबधित मिलर्स द्वारा जिला प्रबंधक नागरिक आपूर्ति निगम को गलत जानकारी देकर मिल में सिर्फ जनरल इंस्पेक्शन कराया गया था।चावल जब्ती नही हुई है। उसके बाद 14.12.2024 को लाट क्रमांक 12, 4, 11 व 9 के डिपाजिट आर्डर सांईबाबा वेयर हाउस गर्रा 1011 के नाम के ट्रकों में चावल भरकर सांईबाबा गोदाम में भिजवा दिया गया। इसके अलावा अन्य 4 गाड़ी चावल भरकर गोदाम में भेजने की तैयारी की गई। यानी मिल परिसर में 02 हजार क्विंटल से भी अधिक चावल भंडारित था। अन्यथा मात्र 12 घंटे के अंदर मिलर द्वारा 2400 क्विंटल धान की मिलिंग करके चांवल बनाकर, ट्रक लोड करवाकर सीडीओ लेकर चावल जमा नहीं किया जा सकता। जाहिर है कि मील संचालक ने किसी अन्य गोदाम में पुराना घटिया चांवल भंडारित करके पहले से रखा गया था। ताकि सरकार को दिया जा सके। जाहिर सी बात है कि इनके द्वारा एक बड़े पैमाने पर सरकारी धान से उष्णा चावल बनाकर निर्यात किया जाता है।जिसकी पुष्टि उनके यहां लगे बायलर प्लांट में मीटर यूनिट काउंट से किया जा सकता है।
बाहर का चावल वेयर हाउस में
सूत्रों का कहना है कि इनके द्वारा यू.पी.बिहार से लाये गये चावल को वेयर हाउस में जमा किया जाता है। शासकीय धान का उष्णा चावल बनाकर नागपुर और गोंदिया के दलालों को दिया जाता है। जिसकी पुष्टि पिछले दो वर्षों से जीएसटी रिर्टन श्लोक राईस इण्डस्ट्रीज, श्लोक इंटरप्राइजेस, सौरभ राईस मिल तथा मंडी एसेसमेन्ट टैक्स पूंजी से किया जा सकता है। टैक्स की गणना उष्णा बायलर के मीटर चलने से कितना उसमे चावल बना प्रमाणित किया जा सकता है। एक दिन में 2400 क्विंटल धान मिलिंग करने पर 550 क्विंटल छिलका, 167 क्विंटल मैदा और 72 क्विंटल रिजेक्शन भी निकलेगा। मीटर रीडिंग में 12 घंटे में 5600 यूनिट बिजली जलना दिखना चाहिए।