
Police cannot use unbridled strength-HC
राष्ट्रमत न्यूज,प्रयागराज(ब्यूरो)। उत्तर प्रदेश गोहत्या निवारण अधिनियम के तहत 8 साल पहले दर्ज किए गए एक केस की हिस्ट्रीशीट को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बंद करने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही इलाहाबाद उच्च हाईकोर्ट ने कहा कि पुलिस नागरिकों को दी गई मौलिक स्वतंत्रता को कम करने के लिए “बेलगाम और अनियंत्रित शक्ति” का प्रयोग नहीं कर सकती है।
एक रिट याचिका पर सुनवाई
अपने आदेश में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि पुलिस को निगरानी रजिस्टर में केवल व्यक्तिगत पसंद या नापसंद के आधार पर मनमाने ढंग से व्यक्तियों के नाम दर्ज करने का कोई अप्रतिबंधित लाइसेंस नहीं है। दरअसल ये मामला मोहम्मद वजीर द्वारा दायर एक रिट याचिका पर सुनवाई का है।
SP के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती
सिद्धार्थनगर के पुलिस अधीक्षक ने हिस्ट्रीशीट संख्या -18-ए को बंद करने के याचिकाकर्ता के आवेदन को खारिज कर दिया था। 23 जून के उस फैसले को चुनौती देते हुए याचिकाकर्ता ने रिट लगाई थी और मामले में हस्तक्षेप करने की अपील की थी। आवेदन को सर्किल ऑफिसर और स्टेशन हाउस ऑफिसर, भवानीगंज, सिद्धार्थ नगर द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के आधार पर खारिज कर दिया गया था, जिसमें उत्तर प्रदेश पुलिस विनियमन के प्रावधानों, विशेष रूप से पैराग्राफ 228 और 240 (जो हिस्ट्रीशीट खोलने से संबंधित है) का उल्लेख किया गया था।
मौलिक स्वतंत्रता का हनन
इसको लेकर हाईकोर्ट ने कहा कि हमें तथ्यों और परिस्थितियों के आधार पर मामले की जांच करनी होगी। हमारा मानना है कि विनियमन 228 और 240 पुलिस को बेलगाम, अनियंत्रित शक्ति नहीं देते हैं जिसका इस्तेमाल वह इस तरह करे जिससे नागरिक की मौलिक स्वतंत्रता का हनन हो।