
CG governments promise khilafi,16000 employees of NMH on strike from 18 august
राष्ट्रमत न्यूज,रायपुर(रमेश कुमार‘रिपु’)। छत्तीसगढ़ सरकार की अनदेखी के चलते अपनी दस सूत्रीय मांगों को लेकर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के 16 हजार से अधिक कर्मचारी 18 अगस्त से अनिश्चिकालीन हड़ताल पर जाएंगे। इस दौरान आपातकालीन सेवाएं पूरी तरह से बंद रहेगी। मंत्री,सचिव सहित कलेक्टर, सीएमएचओ, सीएस और बीएमओ सहित संबंधित अधिकारियों को आंदोलन की लिखित सूचना दे दी गई है। जाहिर सी बात है कि इनके हड़ताल पर चले जाने से जनता की परेशानी बढ़ जाएगी।
मांगों को सरकार ने अनदेखी की
राष्ट्रमत से चर्चा के दौरान प्रदेशाध्यक्ष डाॅ अमित कुमार मिरी,प्रदेश महासचिव कौशलेश तिवारी, ने संयुक्त रूप से बताया कि राष्ट्रीय स्वास्थ मिशन की यह हड़ताल छत्तीसगढ़ प्रदेश एनएचएम कर्मचारी संघ के बैनर तले आयोजित है। प्रवक्ता पूरन दास ने कहा कि कि सरकार की बेरुखी और अड़ियल रवैये से आक्रोशित होकर इस बार कर्मचारियों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल का निर्णय लिया है। 15 अगस्त तक सरकार की ओर से हमारी 10 सूत्रीय मांगों पर ठोस निर्णय नहीं लिया गया हैं। जिसके चलते अब 18 अगस्त 2025 से प्रदेशभर के 16 हजार से अधिक कर्मचारी कामबंद, कलमबंद हड़ताल करेंगे।
आपातकालीन सेवाएं बंद
इस बार संघ ने विशेष नवजात शिशु देखभाल इकाई समेत सभी आपातकालीन सेवाओं को भी बंद रखने का कठोर निर्णय लिया गया है। शासन को इसकी पूर्व सूचना पहले ही दे दी गई है।


प्रदेश की बीजेपी सरकार के प्रति प्रदेश के कर्मचारियों मे आक्रोश है।इसकी वजह यह है कि सरकार उनकी अनदेखी कर रही है। मोदी की गारंटी नाम के घोंषणा पत्र में जो लिखा था उसे सरकार अमल में नहीं ला रही है।विधान सभा चुनाव के समय मौजूदा सरकार के कई वरिष्ठ नेता –जैसे विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह, उपमुख्यमंत्री अरुण साव, विजय शर्मा, वित्त मंत्री ओ.पी. चौधरी, वन मंत्री केदार कश्यप एवं अन्य – बड़े नेताओं ने पूर्व में एनएचएम कर्मचारियों के मंचों पर आकर खुले समर्थन का आश्वासन दिया था । छत्तीसगढ़ के चुनावी घोषणा पत्र 2023 में “मोदी की गारंटी” में भी समस्याओं के निदान का वादा किया गया है। लेकिन इस सरकार के विगत 20 माह में 160 से अधिक बार ज्ञापन व आवेदन देने के बाद भी कोई ठोस समाधान सामने नहीं आया।

पड़ोसी राज्यों में सुविधाएं मिल रही
पड़ोसी राज्यों जैसे मध्य प्रदेश, राजस्थान ,महाराष्ट्र में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में कार्यरत कर्मचारियों को बेहतर वेतन, अनुकंपा ,जॉब सुरक्षा ,पे स्केल नई पेंशन स्कीम, दुर्घटना बीमा, चिकित्सा परिचर्या जैसी सुविधाएं प्रदान की जाती हैं किंतु छत्तीसगढ़ में आज पर्यंत तक यह नहीं किया गया है।
जनता रहेगी परेशान
इस आंदोलन के कारण टीबी ,कुष्ठ,मलेरिया,टीकाकरण ,लैब की जांचे, दवाई का वितरण ,स्कूलों आंगनबाड़ी में बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण ,नवजात शिशु देखभाल केंद्र, पोषण पुनर्वास केंद्र ,बुजुर्गों की फिजियोथेरेपी,गाँव के आयुष्मान केंद्रों में ओपीडी,मौसमी बीमारियों की रोकथाम जैसी महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सुविधा को लेकर आम जन को असुविधा का सामना करना पड़ेगा । ध्यान रहे प्रदेश में कुल कार्यरत चिकित्सा स्टाफ का लगभग 35 प्रतिशत स्टाफ राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के संविदा स्वास्थ्य कर्मी ही हैं। समझा जा सकता है कि इतने बड़े अमले की वैकल्पिक व्यवस्था करना शासन प्रशासन के लिए बहुत टेढ़ी खीर होगी तथा आम जनता को नि:संदेह परेशानियों का सामना करना पड़ेगा।

