
Right rally on world tribal day, society angry with government
राष्ट्रमत न्यूज,बालाघाट(ब्यूरो)।विश्व आदिवासी दिवस पर आदिवासी समाज ने गोंगो पूजन के बाद नगर में अधिकार रैली निकाली। रैली में आदिवासी समुदाय के लोग अपनी पारंपरिक वेशभूषा में शामिल हुए। आदिवासियों की विशिष्ट जीवन शैली ही उनकी पहचान है। आदिवासी समाज सरकार की नीतियों से नाराज है। आजादी के इतने बरसों बाद भी विश्वा आदिवासी दिवस पर अवकाश की घोंषणा नहीं की गयी।
रैली प्रमुख मार्गो से निकली
वीरांगना रानी दुर्गावती सामुदायिक भवन से शुरू होकर रैली शहर के प्रमुख मार्गों से होते हुए उत्कृष्ट विद्यालय सभागार पहुंची। वहां मंचीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया। आदिवासी समाज अपने पारंपरिक वेशभूषा में नजर आया। 9 अगस्त विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर गोंगो पूजा नगर भ्रमण, संवैधानिक अधिकार रैली अतिथियों का सम्मान बैगा नृत्य और मंचीय कार्यक्रम सहित अन्य कार्यक्रमों के आयोजन किए गए। जो सुबह से लेकर देर शाम तक चलता रहा है।
आदिवासी सरकार से नाराज
संयुक्त राष्ट्रसंघ की घोषणा के अनुसार 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य आदिवासियों की विशिष्ट जीवन शैली के महत्व को बरकरार रखना है।आदिवासी प्रतिनिधियों ने अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि बड़े राजनीतिक दलों की सरकारों के बावजूद प्रदेश और जिले के आदिवासी मुख्यधारा से आज तक जुड़ नहीं पाए हैं। आदिवासियों के उत्थान और विकास की योजनाएं कागजों पर ज्यादा और जमीनी धरातल पर कम हैं। इस दौरान गोंड समाज, परधान समाज कोल समाज, माना समाज, हल्बा समाज, कंड़रा समाज, बिझवा समाज,बैगा समाज, ओझा समाज,ओतकरी समाज भारिया, समाज, नगारची समाज, गोंडी लुहार समाज सहित समाज के विभिन्न वर्गों, संगठनों उनके पदाधिकारी सदस्यों सहित सभी सामाजिक बन्धु प्रमुख रूप से सभी कार्यक्रमों में पारंपरिक वेशभूषा साधारण कर शामिल हुए।
आदिवासी समाज का आरोप
प्रतिनिधियों ने कहा कि आजादी के इतने सालों बाद भी आदिवासी समाज समस्याओं से ग्रसित है। उन्होंने इस बात पर भी नाराजगी जताई कि आदिवासी दिवस पर छुट्टी घोषित नहीं किया गया। आदिवासी समुदाय के लोगों ने यह भी चिंता व्यक्त की कि आदिवासियों पर अत्याचार थमने का नाम नहीं ले रहा है। उनका आरोप है कि सरकार आदिवासी क्षेत्र में वन और खनिज संपदा के भंडार को आदिवासियों से छीनकर पूंजीपतियों के हाथों में सौंपना चाहती है।