
46 Forest villages wating to become revenue villages
बालाघाट (ब्यूरो)। पहाड़ी क्षेत्रों में बसे वनग्रामों को यदि राजस्व ग्राम की सूची में शामिल कर लिया जाता तो वो गांव भी विकसित गांव की श्रेणी में आ गए होते। ऐसा करने का प्रयास तात्कालीन कलेक्टर गिरीश कुमार मिश्रा ने किया था। उन्होंने 46 गांवों को चिन्हित कर वनग्राम से राजस्व ग्राम में घोषित करने की अधिसूचना जारी की थी। ग्रामवासियों का प्रस्ताव भी आमंत्रित किया गया था।ग्राम स्तरीय और उसके बाद उपखंड स्तरीय वन समिति की अनुशंसा के बाद जिला स्तरीय समिति ने मान्य भी कर दिया था। लेकिन पिछले एक साल से फाइल ठंडे बस्ते में पड़ी हुई है।
46 गांवो मे से 41 पर चल रहा काम
वनग्राम से राजस्व ग्राम में परिवर्तन के लिए जिले की 9 तहसीलों के 46 गांवों को शामिल किया गया था। बताया जा रहा है कि 46 गांवो मे से 41 गांवों की भौतिक सत्यापन की कार्यवाही की जा रही है। मैप बनने के बाद जमा होगें। उसके बाद उसे अंतिम रूप दिया जाएगा। फिर उसका प्रकाशन होगा। इन गांवों में सबसे बैहर तहसील के 14 परसवाड़ा के 13 बालाघाट के 8 बिरसा लांजी और लालबर्रा के 3-3 लामता के 2 और कटंगी और किरनापुर के 1-1 गाँव शामिल किये गये थे। जहां बैहर तहसील के ग्राम आमारटोला, सुमेरीखेड़ा, खिरसाड़ी, मोहरई, आरमी, घुईटोला, टोपला, जैतपुरी, डोंगरिया, समरिया, जरहाटोला,जल्दीढांड, धीरी और बिलाईखार। इसके अलावा परसवाड़ा तहसील के ग्राम कोन्दुल, जामुनझिरी, टाटीघाट, सल्फारीड़, तल्लाबोड़ी, लौगुर, वरूरगोटा, टिकरिया, सांवरझोड़ी, कुकड़ा, बारिया, पालागोंदी और माटे। बालाघाट के मैरा, बंजरटोला, सर्रा, कुथीर्टोला, कोटा, खारा, कोकमा, पोलबत्तूर। बिरसा तहसील के सरईपतेरा, पटपरा और हतबन। लांजी तहसील के बोदालदलखाए धीरी और गुलपुर। लालबर्रा तहसील के सोनेवानी, चिखलाबड्डी और नवेगांव। कटंगी तहसील का ग्राम कच्छार और किरनापुर तहसील का ग्राम बोदालझोला तथा लामता के 2 ग्राम सम्मिलित हुए थे। विभागीय जानकारी के अनुसार 46 गांवो मे से 41 गांवो पर प्रक्रिया चल रही है। पांच गांवो के मैप विभाग को नहीं मिल पाये है। इससे पूर्व 27 अक्टूबर 2021 में वनग्राम से राजस्व ग्राम बनाने की कार्यवाही की गई थी।
राजस्व ग्राम बनने से ये होंगे लाभ
वन ग्राम होने से भूमि और आदान प्राप्त करने के मामले वन विभाग द्वारा संचालित होते थे। लेकिन अब तहसील के पास आने से प्रत्येक किसान या नागरिकों की जानकारी राजस्व विभाग के पास उपलब्ध होगी। जिससे लोन और खाद बीज आदि प्राप्त करने में समस्या नहीं होगी। इसके अलावा विकास कार्यो में भी इन गांवों को प्राथमिकता मिलेगी। इसके अलावा शासन स्तर से पर्यटन व संस्कृति या वन्य जीव से सम्बंधित बड़े प्रोजेक्ट बनाने में आसानी भी होगी। आरआई द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार जिले में अब तक इतनी बड़ी संख्या में कभी भी राजस्व ग्राम घोषित करने की कार्यवाही नही हुई है।
इनका कहना है
अभी भौतिक सत्यापन की प्रक्रिया चल रही है। जो मैप बनकर आयेगें वे मैप जमा होगें। उसके बाद फाईनल मैप तैयार होगें और आगे प्रकाशन की कार्यवाही की जायेगी। अभी 06 गांवो के मैप नहीं मिले है।
स्मीता देशमुख प्रभारी अधीक्षक
भू अभिलेख कार्यालय बालाघाट।