
Maharashtra civic election ; every one is beating their own pace
नागपुर (ब्यूरो)। चुनाव का परिणाम आने के कई सप्ताह बाद आखिर महाराष्ट्र को मुख्यमंत्री मिल गया। साथ ही देवेन्द्र फड़णवीस ने अपने मंत्रिमंडल का भी गठन कर लिये। उनके मंत्रिमंडल में एकनाथ शिंदे को उप मुख्यमंत्री बनना ही पड़ा। 42 मंत्री,चार महिलाएं और एक मुस्लिम व्यक्ति को मंत्री बनाया गया। ज्यादातर उन्हें ही मंत्री बनाया गया है जो अधिक से अधिक वोटों से अपने विरोधियों को हराया है।
एक सीट खाली रखी गई
महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव रिजल्ट के 23वें दिन रविवार को नागपुर में मंत्रिमंडल विस्तार हुआ। फडणवीस सरकार में 33 कैबिनेट और 6 राज्य मंत्रियों ने शपथ ली। CM और 2 डिप्टी CM समेत यह संख्या 42 हो गई। कैबिनेट में कुल 43 मंत्री शपथ ले सकते हैं। एक सीट खाली रखी गई है। फडणवीस सरकार में 19 भाजपा, 11 शिवसेना और 9 NCP कोटे से मंत्री शामिल किए गए हैं। इनमें 4 महिलाओं (3 भाजपा, 1 NCP) और 1 मुस्लिम (NCP) को जगह मिली है। कैबिनेट में सबसे युवा मंत्री NCP की अदिति तटकरे (36 साल) और सबसे उम्रदराज मंत्री भाजपा के गणेश नाइक (74 साल) हैं। भाजपा के पंकज भोयर (PhD) सबसे ज्यादा पढ़े-लिखे मंत्री हैं। शिवसेना के भारत गोगावले सबसे कम पढ़े-लिखे (8वीं पास) मंत्री हैं। कैबिनेट में 30-40 साल के 2, 40-50 साल के 12, 50-60 साल के 12 और 60 साल से ज्यादा उम्र के 13 मंत्री शामिल किए गए हैं।
मंत्रिमंडल विस्तार के बाद CM और डिप्टी CM की प्रेस कॉन्फ्रेंस
- CM देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि मंत्रियों का परफॉर्मेंस ऑडिट किया जाएगा। जिनका परफॉर्मेंस अच्छा नहीं होगा। उनके बारे में पुनर्विचार करेंगे।
- डिप्टी CM अजित पवार ने बताया कि मंत्रियों को दो से तीन दिन में पोर्टफोलियो दे दिए जाएंगे।।
- डिप्टी CM एकनाथ शिंदे ने कहा कि मैंने और फडणवीस ने कहा था कि हम मिलकर 200 सीट लाएंगे। दादा (अजित पवार) के आने से बोनस मिला। मैं फडणवीस के पीछे मजबूती से खड़ा रहूंगा।
भाजपा के पास गृह, शिवसेना को हेल्थ और NCP को वित्त विभाग रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि भाजपा गृह, राजस्व, हायर एजुकेशन, कानून, ऊर्जा, ग्रामीण विकास अपने पास रखना चाहती है।
- पार्टी ने शिवसेना को हेल्थ, शहरी विकास, सार्वजनिक कार्य, उद्योग ऑफर किया है। वहीं, NCP को वित्त, योजना, सहयोग, कृषि जैसे विभाग देने की पेशकश की है।
- गृह और वित्त मंत्रालय को लेकर सहमति न बनने की वजह से कैबिनेट विस्तार में देरी हुई। डिप्टी CM एकनाथ शिंदे गृह और वित्त मंत्रालय पर दावा कर रहे थे, जबकि भाजपा गृह मंत्रालय किसी को नहीं देना चाहती थी।
- शिंदे सरकार में गृह मंत्रालय तब के डिप्टी CM देवेंद्र फडणवीस के पास था। इसलिए एकनाथ शिंदे गृह मंत्रालय अपने पास रखना चाहते थे।