
24 Kundi gayatri mahayagya beings with kalash yatra
रीवा। गायत्री शक्ति पीठ रीवा में मंगल कलश यात्रा के साथ तीन दिवसीय 24 कुंडीय शक्ति सवंर्धन गायत्री महायज्ञ का शुभारंभ हुआ।कलश यात्रा में रीवा, त्योंथर के लोगों ने अपनी श्रद्धा की आहूति देने पहुंचे। मंगल कलश यात्रा में ढाई सौ से अधिक माताओं और बहनों ने माथे पर कलश रखकर गायत्री शक्ति पीठ रीवा से एक शोभा यात्रा निकाली। शोभा यात्रा कोर्ट,घोड़ा चैराहा,प्रकाश चैराहा,शिल्पी प्लाजा ,कालेज चैराह होते हुए गायत्री शक्ति पीठ पहुंच कर यज्ञ स्थल में गंगा जल के कलश को स्थापति किया। इसके बाद यज्ञ स्थल पर स्थापित कलश की सामूहिक आरती की गयी।
हम बदलेंगे तो युग बदलेगा
गायत्री साधकों ने आज शहर में कलश यात्रा निकाली। पांच महिलाएं पूरे शोभा यात्रा के दौरान शंख बजाते हुए लोगों के मन में धार्मिक भावनाओं की ज्योति जलाई। सभी मताएं और बहनें पीली साड़ी में अपने सर पर कलश लेकर चलीं। धार्मिक यात्रा के आगे सदग्रंथ साधे हुए लोगों ने हिस्सा लिया। वहीं गंगा जल साधने वाली कन्याओं ने यज्ञ स्थल पर पहुंच कर देवी गायत्री की आरती और धार्मिक आयोजन में हिस्सा लिया। कलश यात्रा के दौरान गायत्री परिवार के ब्रम्ह वाक्यों का उद्घोष होता रहा। हम बदलेंगे तो युग बदलेगा।
बुराइयों से दूर रहने का आव्हान
गायत्री परिवार के लोगों ने बुराइयों से दूर रहने का आव्हान किया। आज कलश यात्रा के बाद कलश की आरती की गयी। यज्ञाचार्य ने आने वाले भक्तों से आग्रह किया कल दिनांक 16 दिसम्बर को जोड़ों के साथ यज्ञ में आहूति देने भक्तजन आएं।यज्ञ स्थल पर 24 वेदी बनाई गयी है। गायत्री साधकों ने कलश की आरती की और मंत्रोच्चारण के बाद सुख शांति की कामना की। आने वाले श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। सभी कलश को सुरक्षित घेरे में रखा गया है। तीन दिनों तक मंत्रों के साथ गंगाजल कलश की पूजा होगी।बाद में ये गंगाजल सभी लाभार्थियों को सौपा जाएगा।
हर कुंड में तीन – तीन जोड़े
यज्ञ कर्ता एवं आयोजक श्रीमती लता दुबे ने बताया कि अखिल विश्व गायत्री परिवार शांतिकुज हरिद्वार के निर्देशन में 24 कुंडीय शक्ति संवर्धन गायत्री महायज्ञ 15 दिसम्बर से 18 दिसम्बर तक चलेगा। यहां तीन दिनों तक गायत्री मंत्रों के साथ वेदी में हवन आहूति दी जाएगी। हर कुंड में तीन- तीन जोड़े और एक साधक बैठेंगे। 16 दिसम्बर को सुबह 9 बजे से दोपहर 12 बजे तक देवावाहन देव,देव पूजन एवं 24 कुंडीय महायज्ञ है। दोपहर तीन बजे से शाम 5 बजे तक युग संगीत एवं उद्बोधन का कार्यक्रम हैं। 17 दिसम्बर को सुबह 9 बजे से दोपहर 12 बजे तक यज्ञ एवं समस्त संस्कार और 3 बजे से सायं 5 बजे तक उद्बोधन एवं दीप महायज्ञ है। दिनांक 18 दिसम्बर को यज्ञ एवं समस्त संस्कार,महापूर्णाहुति,प्रसाद वितरण है।
गायत्री परिवार 86 देशों में
हरिद्वार से आए जमुना प्रसाद ने कहा,गायत्री महामंत्र की साधना से मनुष्य की सारी कठिनाइयां दूर हो जाती है। व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक रूप से शांति मिलती है। गायत्री महामंत्र की साधना से मनुष्य में जीवन शक्ति,प्राणबल एवं आत्मबल का संचार होता है। गायत्री परिवार आज पूरी दुनिया के 86 देशों में है। सभी जगह गायत्री यज्ञ हो रहे हैं। गायत्री यज्ञ होने के पीछे मकसद यही है कि हर व्यक्ति देव तुल्य बने। व्यक्तित्व का निर्माण हो,सामाजिक क्रांति हो,प्राणियों में सदभावना हो।गायत्री यज्ञ में वो शक्ति है,जो आदमी को देवता बनाती है। कभी गायत्री मंत्र केवल कानों में दिया जाता था। आज पूरी दुनिया में उसका जाप किया जाता है। यज्ञ किया जा रहा है। हिमालय की सत्ता ने गायत्री मंत्र को देश दुनिया के कोने – कोने तक पहंुचाया है। गायत्री मंत्र को जोर से बोलने पर कभी प्रतिबंध था। लेकिन अब ऐसा नहीं है। अमेरिका में भी इसकी साधना की जाती है। गायत्री मंत्र में जीवन जीने की अद्भुत शक्ति है। गायत्री यज्ञ में मन की शुद्धि से लेकर विश्व के कल्याण तक की शक्ति है।