लखनऊ।(रिजवान सिद्धकी)। यूपी की नौ सीटों पर हो रहे उपचुनाव में इस बार बसपा ने अपने आठ उम्मीदवार उतार कर साइकिल की रफ्तार को कम करने का दांव खेला है। अलीगढ़ की खैर सीट से बसपा ने अभी तक किसी को टिकट नहीं दिया है। जाहिर सी बात है कि नौ सीटों पर मुकाबला त्रिकोंणीय होगा। टक्कर तीखी होगी। कांग्रेस ने अपने एक भी प्रत्याशी नहीं उतारे हैं। इंडिया ब्लाक को समर्थन कर दिया है। ऐसे में सपा को कितना लाभ होता है, यह सियासी सवाल बन गया है।
बसपा सुप्रीमों मायावती ने भाजपा के लिए तीन सीट और सपा के लिए चार सीटों पर मुसीबत खड़ी कर दी है अपने प्रत्याशी की घोंषणा करके। सभी सीटों पर जातीय समीकरण के तहत पाटियों ने उम्मीदवार उतारे हैं। एनडीए ने पांच सीट पर पिछड़ा,दो सीट ब्राम्हण,एक पर ठाकुर और एक सीट दलित उम्मीदवार उतारे गए हैं। दो सीट पर महिला उम्मीदवार है। सपा ने 4 मुस्लिम 3 पिछड़े और 2 दलित उम्मीदवार उतार कर पीडीए पर अमल किया है। सपा ने अगड़ी जाति का एक भी उम्मीदवार नहीं उतारा। लेकिन 5 महिलाओं को टिकट दिया है। वहीं बसपा के 8 प्रत्याशियों में 2 मुस्लिम 2 ब्राह्मण 2 पिछडे 1 वैश्य 1 ठाकुर प्रत्याशी उतारे हैं।
कुर्मी वोट निर्णायक
कटेहरी सीट पर सपा ने बसपा सरकार में ताकतवर मंत्री रहे और अंबेडकर नगर से सपा के मौजूदा सांसद लालजी वर्मा की पत्नी शोभावती को प्रत्याशी बनाया है। यह कुर्मी, निषाद और ब्राह्मण बहुल सीट है। भाजपा ने भी 1996, 2002 और 2007 में बसपा के विधायक और मंत्री रहे धर्मराज निषाद को प्रत्याशी बनाया है। बसपा ने कुर्मी समाज के अमित वर्मा को प्रत्याशी बनाया है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि अमित वर्मा के मैदान में आने से सपा को कुर्मी वोट में नुकसान होगा। अमित को जितने भी कुर्मी वोट मिलेंगेए उसका नुकसान सपा को ही होगा।
शाक्य वोट तय करेंगे हार-जीत
मैनपुरी की करहल सीट सैफई परिवार का गढ़ मानी जाती है। करहल में यादव, शाक्य, मुस्लिम, ठाकुर और दलित मतदाता भी बड़ी संख्या में हैं। सपा ने राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के भतीजे तेज प्रताप यादव को यहां से प्रत्याशी बनाया है।वहीं भाजपा ने यादव परिवार के दामाद अनुजेश यादव को प्रत्याशी घोषित कर मुकाबले को रोचक बना दिया है। करहल सीट का पिछला इतिहास बताता है कि यादव के साथ शाक्य भी सपा का मतदाता रहा है। बसपा ने सपा के शाक्य वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए डाॅ अवनीश कुमार शाक्य को प्रत्याशी बनाया है। शाक्य की मैदान में मौजूदगी से सपा को उनका वोट पाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी।
मुस्लिम मतदाता के हाथ में चाबी
मुरादाबाद की कुंदरकी सीट में 60 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम मतदाता हैं। जाट, सैनी, पाल और ठाकुर बिरादरी की भी अच्छी संख्या है। सपा ने हाजी रिजवान को प्रत्याशी बनाया है। वहीं भाजपा ने 2012, 2017 में इस सीट से चुनाव हारे रामवीर सिंह ठाकुर पर फिर दांव खेला है। बसपा ने भी यहां रफतउल्ला उर्फ नेता छिद्दा मुस्लिम प्रत्याशी को उतार कर सपा के लिए समस्या खड़ी कर दिया है। बसपा के मुस्लिम प्रत्याशी रफतउल्ला मुस्लिम वोट बैंक में जितना सेंध लगा पाएंगे। उतना ही सपा को नुकसान होगा। अगर रफतउल्ला को स्थानीय मशीनरी का संरक्षण मिल गया तो वह मुकाबले को रोचक भी बना सकते हैं।
मीरापुर सपा के लिए ठीक नहीं
मुजफ्फरनगर की मीरापुर सीट भी मुस्लिम बहुल है। दूसरे नंबर पर दलित मतदाता हैं। पिछड़े वर्ग में जाट, पाल, गुर्जर, सैनी मतदाता हैं। जाटए पाल सीट भाजपा ने गठबंधन की सहयोगी रालोद को दी है। रालोद ने पाल बिरादरी की मिथलेश पाल को प्रत्याशी बनाया है। वहीं सपा ने सुम्बुल राणा को मैदान में उतारा है। स्थानीय लोगों का मानना है कि मीरापुर में मुस्लिम वोट एकतरफा सपा की तरफ जाता है। सपा के मुस्लिम वोट में सेंध लगाने के लिए बसपा ने शाहनजर को प्रत्याशी बनाया है। शाहनजर मुकाबले को अगर त्रिकोणीय बनाने में सफल रहे तो उसका नुकसान सपा को हो सकता है।